रविवार, 28 अप्रैल 2019

मोदी लहर में तिनके की तरह से उड़ जाएगा गठबंधन - राजनाथ सिंह


मोदी लहर में तिनके की तरह से उड़ जाएगा गठबंधन - राजनाथ सिंह

फतेहपुर- उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीट फतेहपुर से बीजेपी ने सांसद साध्वी निरंजन ज्योति पर दोबारा भरोसा जताया हैं ..

यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला है 
सपा बसपा गठबंधन के प्रत्याशी सुखदेव वर्मा व पूर्व सपा सांसद राकेश सचान कांग्रेस से प्रत्याशी हैं ..
तीनों ही प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए दिन रात एक किएं हुएं हैं..
इसी के चलते जनपद एक के एक हाईप्रोफाइल नेताओं के दौरे जारी हैं
इसी क्रम में वोटरों की नब्ज भांप रहें बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने फतेहपुर के क्षत्रिय समाज बाहुल्य असोथर क्षेत्र के गाजीपुर कस्बे में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जन सभा को सम्बोधित किया ।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह का कार्यक्रम पहले असोथर कस्बे में निर्धारित था , पर सुरक्षा व अन्य कारणों से उसे गाजीपुर कस्बा स्थान्तरित कर दिया गया ..
जन सभा में राजनाथ सिंह ने कहा कि आज पूरे देश मे हो रही है प्रधानमंत्री की प्रसंशा।
मोदी की लोकप्रियता से डर कर धुर विरोधियों ने किया है गठबंधन।

" मोदी की लहर में तिनके की तरह से उड़ जाएगा गठबंधन "


कार्यक्रम में कहा कि यह सच्चाई है कि विगत पांच वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार द्वारा जितना काम हुआ है उसकी प्रशंसा देश में ही नहीं बल्कि विश्व में की जा रही है, अब विश्व के देशों में भारत के प्रति धारणा बदल गयी है, चित्र बदल रहा है. आज हमारा देश विश्व में सबसे ज्यादा आर्थिक वृद्धि करने वाला देश माना जाने लगा है और अगर इसी तरह यह आर्थिक वृद्धि जारी रही तो 2030 तक हम विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आ जायेंगे.
कांग्रेस की सरकार में कुल 25 लाख आवास बनते थे हमारी सरकार ने 1करोड़ 25 लाख आवास बना कर उसे आबंटित कर दिया है.
अमेरिकी इंस्टिट्यूट के सर्वे में आये चौकाने वाले नतीजे.
देश मे गरीबो की संख्या में तेजी से आई है गिरावट .
भाजपा नेता एवम केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का बयान।
पुलवामा हमले के बाद हमने आतंवादियों को घर मे घुस कर मारा.
कांग्रेस पूंछ रही है कि कितने आतंकियों को मारा.
हम लाशे नही गिनेंगे जरूरत पड़ेगी तो आगे भी मारेगे
1971 में इन्दिरा गांधी ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी तब वाजपेई जी ने जयजयकार की थी जिसकी चर्चा पूरे देश मे हुई थी .
सिंह ने कहा कि हम नभ, जल, थल सब जगह अपनी शक्ति बढ़ा रहे हैं आज कोई देश हमारे ऊपर आंख उठाकर नही देख सकता, हम किसी को छेड़ते नहीं यह हमारा इतिहास गवाह है. यह हमारी कमजोरी नहीं, यही हमारी ताकत है.
श्री सिंह ने सरकार द्वारा चलाई जा रही उज्जवला योजना और सौभाग्य योजना प्रधानमंत्री आवास योजना स्वच्छ भारत मिशन समेत अनेक योजनाओं का बखान किया और सरकार बनने के 1 माह के अंदर प्रत्येक किसानों के खाते में 6000/ रुपए सालाना किश्त भेजने का दावा किया और  सांसद साध्वी निरंजन ज्योति को दोबारा सांसद बनाने की अपील की और पूरे देश की सुरक्षा का जिम्मा लिया इस मौके पर सदर विधायक विक्रम सिंह भाजपा जिला अध्यक्ष प्रमोद द्विवेदी जिला संयोजक दिनेश बाजपेई सांसद साध्वी निरंजन ज्योति विधायक कृष्णा पासवान हुसैनगंज विधायक कृषि राज्य मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धुन्नी भैया करण सिंह पटेल  अयाह शाह विधायक विकास गुप्ता , जिला उपाध्यक्ष आशीष मिश्र , जिला उपाध्यक्ष अपर्णा सिंह गौतम , महिला मोर्चा अध्यक्ष गायत्री सिंह , कुलदीप भदौरिया समेत सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे ।

असोथर में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम का पोस्टर
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बुधवार, 10 अप्रैल 2019

फतेहपुर में बिजली संकट से शहर से गांव तक त्राहिमाम

© 33/11 असोथर पीएसएस
फतेहपुर में बिजली संकट से शहर से गांव तक त्राहिमाम

【आत्म गौरव न्यूज़.com】

उमस भरी गर्मी के बीच से सोमवार से घोर बिजली संकट के कारण शहर से गांवों तक त्राहिमाम मचा रहा। 
सुबह से देर रात तक बिजली की आंख-मिचौनी से उपभोक्ता पूरी तरह बेजार रहे। 

भीषण गर्मी में भी घंटों आपूर्ति ठप रहने से उनमें भारी आक्रोश है। 

बिजली संकट से दिनचर्या पर असर पड़ रहा है। 
पानी के लिए दौड़ लगानी पड़ रही है। शिकायतों के बावजूद बिजली व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है। 
वर्तमान लोकसभा चुनाव के दौर में बिजली के यह हालत सत्ताधारी पार्टी को जनता की नाराजगी कहि भारी न पड़ जाएं , न ही सत्ता दल के नेता और न ही विपक्ष इस बिजली समस्या पर चिंतित हैं और
विभागीय अधिकारी ब्रेक डाउन व जर्जर तार का रोना रो रहे हैं।

जिले फतेहपुर के बड़े हिस्से असोथर क्षेत्र के नरैनी फ़ीडर के गांवों में दो से तीन दिन तक बत्ती गुल रही। 
शाम होते-होते संकट और गहरा गया। 

फ़ीडर के विधातीपुर , बनपुरवा , कौंडर , सुजानपुर , सरकंडी , कठौता , सातों धरमपुर , सातों जोगा , मनावां , जानिकपुर , पासीन डेरा , आदि गांवों में तो लोग पनाह मांगते दिखे। 
दो दिनों से अघोषित बिजली कटौती से पानी की किल्लत से जूझना पड़ा। 
इसके बाद असोथर बाजार इलाके में घंटों बिजली बाधित रही। 
शाम होते-होते असोथर पावर सब स्टेशन से भी आपूर्ति ठप हो गई। इससे क्षेत्र में पड़ने वाले गांव अंधेरे में डूब गये। 
जेई गिरिजाशंकर यादव ने तो फोन ही नही उठाया , और पॉवर स्टेशन के ऑपरेटर ने बताया कि ओवरलोड के कारण तार टूटकर गिर गया है। 
करीब  48 घंटे से अधिक समय तक 33/11 असोथर पीएसएस से आपूर्ति नहीं हो सकी। 
इधर क्षेत्र के जरौली और कौहन में भी बिजली संकट है।



संकट से कस्बे से गांवों तक त्राहिमाम


स्थानीय लोगों ने असोथर पीएसएस पहुंचकर आक्रोश भी जताया। 
उनका कहना है कि नवनियुक्त अधिशासी अभियंता गिरिजा शंकर यादव 33/11 असोथर पीएसएस को  की बिजली व्यवस्था की कमान सौंपे जाने के बाद भी कोई सुधार नहीं हो सका। 
हालत और बदतर हो गये हैं।

इधर नरैनी फ़ीडर के हेड लाइनमैन राकेश ने कहा कि जर्जर तार होने के कारण ब्रेकडाउन हो गया था। 
शाम में लोड बढ़ने के कारण भी अधिकतर तार टूट जाता हैं। 
इसे दुरुस्त किया जा रहा है।

नरैनी फ़ीडर में बिजली की स्थिति बेहद खराब है। 
लोगों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि कई दिनों से बिजली की लुका-छिपी का खेल चल रहा है। 
शिकायत करने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। 
लोगों का कहना है कि मेंटेनेंस का बहाना बनाया जा रहा है। 
कभी तेज हवा चलने तो कभी दिन दिन भर गेहूं की पकी फसल का बहाना बनाकर बिजली की कटौती की जा रही है। 
बिजली अधिकारी केवल आश्वासन देते हैं। 
अगर इसे जल्द ठीक नहीं किया गया तो आंदोलन किया जायेगा। 
वही असोथर पशु चिकित्सालय में नया ट्रांसफार्मर रखने के कुछ ही देर बाद जल गया , पशु अस्पताल में बिजली समस्या होने से पशुपालन ,मुर्गीपालन आदि योजनाओं के लाभार्थियों  के डाटा एंट्री व अन्य तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं ।
पशुचिकित्सालय असोथर में जला ट्रांसफार्मर



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बुधवार, 3 अप्रैल 2019

असोथर थानाध्यक्ष की विदाई में छलके स्टाफ की आँखों से आंसू

असोथर थानाध्यक्ष की विदाई में छलके स्टाफ की आँखों से आंसू


फतेहपुर - उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के असोथर थाने का चार्ज लगभग 11 माह पहले थानाध्यक्ष कमलेश कुमार पाल ने सम्भाला था।
11 महीने के कार्यकाल में उन्होंने जिस तरह से अपने काम को अंजाम दिया, काफी काबिले तारीफ रहा।


जनपद के ही किशनपुर थाने तबादले होने के बाद जब आज जैसे ही असोथर थाने को छोड़कर जाने लगे तो, सब इंस्पेक्टर गोविंद सिंह चौहान , हीरामणि तिवारी , हेड कांस्टेबल ध्यान सिंह , संदीप उपाध्याय , कम्प्यूटर आपरेटर चन्द्रप्रकाश पाल व समस्त स्टाफ के आंसू छलक आये और नम आंखों से विदाई देते हुए सैल्यूट करके गाड़ी में बिठा के विदा कर दिया

थानाध्यक्ष रहते हुए इन्होने क्षेत्र में चल रहे अवैध कार्यों को बंद कराते हुए अपने कार्यशैली से क्षेत्रीय जनता का मन जीता । उन्होंने अपने 11 माह के कार्यकाल में सायबर अपराधियों की गिरफ्तारी समेत इनामी बदमाशों , अवैध शस्त्र फैक्ट्री सहित गुडवर्क भी किया।
व थानाध्यक्ष कमलेश कुमार पाल जी ने एक मिसाल कायम कर दी असोथर जैसे सी ग्रेडिंग थाने को साफ - सफाई स्वच्छता पर ए ग्रेडिंग तक ले जाने का कार्य आपके द्वारा किया गया , उत्तरप्रदेश में प्रथम स्थान पर जनसुनवाई निस्तारण में स्थान इन्ही के कारण सम्भव हुआ ।
क्षेत्रीय जनता  ने कहा कि बहुत ही नेक आदमी थे ।
थाने में आने वाला चाहे वो गरीब व्यक्ति रहा हो या कोई भी उनका सभी से बोल चाल और बर्ताव काफी अच्छा रहा।

इसके अलावा पत्रकारों को भी सम्मान देते थे।
पत्रकार संतराम सिंह , फूलचंद्र वर्मा , गौरव सिंह का कहना था कि असोथर आप जैसे थाना प्रभारी का सदैव ऋणी रहेगा
थानाध्यक्ष असोथर कमलेश कुमार पाल जी का व्यवहार काफी अच्छा था , असोथर कस्बे में सराहनीय व प्रसंसनीय निर्विवादित 11 माह का कार्यकाल रहा ...
आप ने बहुत ही सुंदर कस्बे सहित क्षेत्र में लोंगो के बीच आपसी सामंजस्य को बनाएं रखा ..
उनके 11 महीने के कार्यकाल में किसी भी तरह की कोई परेशानी नही हुई।
फिर चाहे वो खबरों की कवरेज को लेकर रही हो या उनके वर्जन को लेकर ,
शांत भाषा मे सही जवाब देते थे

और भावुक हो गए थानाध्यक्ष


जाते जाते कमलेश कुमार पाल ने थाना प्रांगण में बने शिव मंदिर में मथ्था टेका और इसके बाद वह बोलते हुए भावुक हो गए सभी का प्रेम स्नेह देखकर बरबस ही उनकी आंखों से आँसू छलक गएं और कहा की

सभी साथियों को मेरा नमस्कार 🙏
मैं यहाँ पर 11 माह के कार्यकाल में रहा आप सभी के प्रेम स्नेह से बिल्कुल अपना घर गांव जैसा लग रहा था असोथर ,मुझसे कोई जाने अंजाने में गलती गुस्ताखी हो गई तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ , मैं सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं। 
आप के क्षेत्र में मुझे आप सभी का अच्छा सहयोग मिला, जिसके लिए मैं आप सभी का धन्यवाद देता हूँ।
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बुधवार, 27 मार्च 2019

यूपी के फतेहपुर में चल रहा था अवैध असलहा बनाने का कारोबार, शस्त्र फैक्ट्री का खुलासा दो गिरफ्तार

Press conference Fatehpur S.P Kailash Singh
यूपी के फतेहपुर में चल रहा था अवैध असलहा बनाने का कारोबार, शस्त्र फैक्ट्री का खुलासा दो गिरफ्तार

अवैध शस्त्र फैक्ट्री का खुलासा  6 अदद तमंचा 315 बोर व 12 बोर व एक अदद बन्दूक 12 बोर देशी बरामद व  02  अभियुक्त  गिरफ्तार

फतेहपुर : योगीराज में पुलिस की गश्त और अपराधियों पर पुलिस की सख्ती का असर दिखाई देने लगा है।

ऐसे में फतेहपुर की गाजीपुर थाना पुलिस ने तेज तर्रार थानाध्यक्ष अर्जुन सिंह के नेतृत्व में असलहा फैक्ट्री को पकड़ने में सफलता पाई है।
पुलिस ने भारी मात्रा में असलहे,असलहा बनाने के उपकरण बरामद किए हैं।पुलिस ने असलहा बनाने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
यह काफी समय से अवैध असलहो का काला कारोबार कर रहे थे और कई शहरों में सप्लाई भी करते थे।
पुलिस ने गिरफ्तार कर दोनों अभियुक्तों को जेल भेज दिया है।

आगामी लोकसभा चुनाव को सकुशल संपन्न कराये जाने हेतु फतेहपुर पुलिस द्वारा चलाये जा रहे अभियान के क्रम में आज दिनांक 27.03.19 को  थानाध्यक्ष अर्जुन सिंह मय हमराह एवं निरीक्षक श्री अमित पाण्डेय प्रभारी स्वाट टीम की संयुक्त टीम द्वारा ग्राम अहिरन का डेरा मजरे लम्हेटा से दो नफर अभियुक्तगण  1.रामसिंह S/o स्व0 जगजीत यादव R/o ग्राम अहिरनडेरा H/o लम्हेटा Ps गाजीपुर फतेहपुर उम्र 53 वर्ष 2. अजय यादव पुत्र श्री रायबहादुर R/o गनेश पुर मजरे बीनू थाना ललौली फतेहपुर उम्र 32  वर्ष  को अवैध शस्त्र निर्माण करते हुए पकड़ लिया गया । 
अभियुक्तगण अजय यादव के कब्जे से एक अदद तमंचा 315 बोर देशी मय दो अदद कारतूस 315 बोर ,तथा मौके पर अभियुक्तगणो द्वारा बनाये जा रहे अवैध शस्त्र बनाने के उपकरण व चार अदद तमंचा 315 बोर देशी नाजायज व एक अदद तमन्चा 12 बोर व एक अदद बन्दूक 12 बोर एक अदद अधबना तमन्चा 315 बोर कुल 07 अदद तमन्चे व बन्दूक तथा कुल 18 अदद खोखे व कारतूस 315 बोर व 12 बोर बरामद हुये ।

अभियुक्तों से भारी मात्रा में बरामद अवैध असलहे

अभियुक्तगणो के विरूद्ध थाना गाजीपुर पर मु0अ0सं0 75/19 धारा 3/25 आर्म्स एक्ट बनाम राम सिंह आदि 02 नफर तथा मु0अ0सं0 76/19 धारा 3/25 आर्म्स एक्ट बनाम अजय यादव पंजीकृत किया गया तथा अभियुक्तगणो को गिरफ्तार कर जेल भेजा दिया गया हैं।
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सोमवार, 25 मार्च 2019

शहीद भगत सिंह और पत्रकार पुरोधा शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जी के आपसी सम्बन्धों का इतिहास - अजीत सिंह चौहान

शहीद सरदार भगत सिंह को 23मार्च 1931 अंग्रेजों ने फाँसी दी। 
इस फांसी के विरोध में जवाहरलाल नेहरू देशभर में बन्द बुलाया, बन्द के दौरान कानपुर में दंगा हुआ जिसमें 25मार्च 1931 को प्रताप संपादक गणेश शंकर विद्यार्थी जी शहीद हुए। 
दोनों शहीदों के आपसी सम्बन्धों का इतिहास 
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✍ अजीत सिंह चौहान


( लेखक अजीत प्रताप सिंह चौहान की गणेश शंकर विद्यार्थी जी पर " चंपारण सत्याग्रह का गणेश " नामक पुस्तक प्रतिष्ठित लोकहित प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है 
 लेखक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के शोध छात्र हैं तथा व इनकी स्नातक की शिक्षा प्रयागराज स्थित इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई है ,व लेखक फतेहपुर जिले के खागा क्षेत्र के रहने वाले हैं )

अमेजन से ऑनलाइन खरीद सकते हैं " चंपारण का सत्याग्रह "
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जब सरदार भगत सिंह कॉलेज में ही पढ़ रहे थे तभी पिता सरदार किशन सिंह और घर वाले शादी का प्रबंध करने लगे। पंजाब केसरी रणजीत सिंह के वंशज मानावाला गाँव के एक खाते-पीते परिवार की एक कन्या से विवाह भी तय हो गया, यही नहीं रस्म अदायगी का दिन भी निश्चित हो गया। किशन सिंह पुत्र को तिलक जैसा क्रांतिकारी बनाना चाहते थे जो कांग्रेस से जुड़कर आजादी के सार्वजनिक आंदोलन को भारत के आंगन में उतारे। वह नही चाहते थे कि भगत सिंह फांसी पर झूले। वे अपने छोटे भाई अजीतसिंह, अपने मित्र रासबिहारी बोस और अपने पुत्रवत प्रिय करतार सिंह सराभा के कार्यों का परिणाम देख चुके थे। हालांकि उन्होंने गदर पार्टी के काम में आर्थिक सहायता दी थी, पर सराभा से साफ कह दिया था कि तुम्हारा गदर आंदोलन जिस खुले रूप में संगठित किया जा रहा है, वह भारत में सफल नहीं हो सकता क्योंकि यह अमेरिका नहीं है। चाचा अजीत सिंह के जीवन से प्रेरित भगतसिंह विवाह नहीं करना चाहते थे, उन्होंने अपनी चाचियों का हाल देखा था। पर दिल न दुखे इस ख्याल से बाबा के पूछने पर चुप्पी साध लेते थे मगर अपने पिता किशन सिंह को यह बात बहुत ही साफ ढंग से कह दिया था कि वह शादी नही करना चाहते। किसी ने इनकी एक न सुनी, अकस्मात एक दिन घर वालों ने देखा भगत सिंह गायब है, किशन सिंह को घर की अपनी मेज की दराज़ में एक पत्र, भगत सिंह का मिला।  जिसमें उन्होंने अपने घर छोड़ने का कारण बताया था। 
पत्र-

        पूज्य पिताजी
        नमस्ते।
        
        मेरी जिंदगी मकसदे आला (उच्च उद्देश्य) यानि आजादी-ए-हिंद के असूल (सिद्धांत) के लिए वक्फ़ (दान) हो चुकी है। इसलिए मेरी जिंदगी में आराम और दुनियावी खाहशात (सांसारिक इच्छाएं) बायसे कशिश (आकर्षक) नहीं है।
        आपको याद होगा कि जब मैं छोटा था, तो बापूजी ने मेरे यज्ञोपवीत के वक्त ऐलान किया था कि मुझे खिदमत-ए-वतन (देश सेवा) के लिए वक्फ़ कर दिया गया है। लिहाजा मैं उस वक्त की प्रतिज्ञा कर रहा हूँ। 
उम्मीद है आप मुझे माफ फरमाएंगे।
                                             
                                                       आपका ताबेदार
                                                           भगत सिंह

शचीन्द्रनाथ सान्याल ने अपनी पुस्तक 'बंदी जीवन' में लिखा कि "इस दौरान भगत सिंह से उनका संपर्क था, हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के रूप में इस पार्टी में पंजाब के युवाओं को अपने संगठन में शामिल करने के प्रयास में सान्याल भगत सिंह को भी शामिल करना चाहते थे - उन्हें जब भगत सिंह ने बताया कि घर वाले उनकी शादी करने पर तुले हुए हैं तो उन्होंने फौरन उनको लाहौर छोड़कर कानपुर चले जाने को कहा।" 
भगत सिंह क्रांतिकारी रासबिहारी बोस से मिलने तथा सहायता प्राप्त करने जापान जाना चाहते थे, इसी उद्देश्य से वह लाहौर से कानपुर पहुंचे, और कानपुर में भगत सिंह रामनारायण बाजार में रहते थे। और अख़बार बेचकर अपने खाने-पीने का इंतजाम  करते थे। यह बाजार बंगाली लोगों का गढ़ था इतने बंगालियों के बीच में एक सिख का रहना किसी के भी संदेह का कारण बन सकता था। पुलिस के कुछ सिपाही भी उनके मकान के आस-पास टोह लेते दिखाई दिए थे। ऐसे में भगत सिंह को जगह बदलने की आवश्यकता थी। जल्द ही उन्हें भी प्रताप प्रेस के विषय में पता चल गया जो देशभक्त नवयुवकों के लिए अपना घर सा था। 'प्रताप' संपादक गणेश शंकर विद्यार्थी के पास जो पहुंचता उसे यही अनुभव होता कि विद्यार्थीजी सबसे अधिक मुझ पर ही विश्वास करते हैं और मेरे नजदीक है। भगत सिंह ने विद्यार्थी जी से भेंट की, अनजान युवक ने देश सेवा करने का अपना दृढ़ निश्चय प्रकट किया, और जीवन निर्वाह के लिए कुछ काम चाहा। सहायता या दान लेने से साफ इंकार कर दिया। विद्यार्थीजी ने युवक में, प्रतिभा, आत्मविश्वास और एक अजीब धुन देखी, उन्होंने उसे प्रेस में काम दिया था, प्रताप प्रेस में भगत सिंह ने अपना परिचय  'बलवंत सिंह' दिया था।
 कानपुर उन दिनों उत्तर भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के सूत्र संचालन का केंद्र था। अनुशीलन समिति के एक प्रमुख संगठन कर्ता के रूप में श्री योगेश चटर्जी 'राय महाशय' के नाम से संगठन कर रहे थे। प्रांत में शचीन्द्रनाथजी सन्याल ने अपना संगठन शुरू कर दिया था तथा कुछ अन्य लोग भी स्थान-स्थान पर अपने छोटे-छोटे गुट बनाने लगे थे। पर कुछ दिनों बाद सब लोग "हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन" नाम की संस्था के नीचे एकत्र होकर काम करने लगे। राय महाशय कानपुर के कुरसवां में एक मकान लेकर रहने लगे, भगत सिंह इन्हीं दिनों कानपुर आए और यहां उनका सम्बंध इसी क्रांतिकारी संस्था से हो गया।  क्रांतिवीर चन्द्रशेखर 'आजाद'  से भगत सिंह का परिचय प्रताप प्रेस में ही इसी दौरान विद्यार्थीजी ने करवाया था। यह समय भगत सिंह के जीवन के लिए निर्णायक बना, इसी समय से वह भारत की एक सुसंगठित क्रांतिकारी संस्था के सदस्य बने और जो आगे चलकर भारतीय क्रांति के इतिहास का एक अध्याय बना।
'प्रताप' में भगत सिंह की स्थायी रूप से नियुक्ति नहीं हुई। आवश्यकता के अनुसार खर्च मिल जाता था, पर यह रकम किसी भी दशा में 20आना माहवारी से अधिक नहीं पहुंची। उन्हीं दिनों बब्बर अकालीयों के खून से अंग्रेजों ने अपने हाथ लाल किए थे। होली के त्योहार के दिन थे। 'प्रताप' साप्ताहिक में "खून की होली" शीर्षक से छपा लेख सरदार भगत सिंह का लिखा हुआ था। 'प्रताप' की आर्थिक दशा स्वयं ही खराब थी। सरकार उसे किसी भी तरह बंद कर देना चाहती थी। तीन बार उसकी जमानत ज़ब्त की जा चुकी थी। रायबरेली में हत्याकांड करने वाले वीरपाल की मुख़ालफ़त करने और किसानों का पक्ष लेने के कारण मानहानि का मुकदमा चला। विद्यार्थीजी को हजारों रुपए जनता से लेकर मुकदमें में फूंकना पड़ा। जेल भुगतनी पड़ी। दैनिक प्रताप का संस्करण बन्द करना पड़ा। दशा यहां तक बिगड़ी कि डाक्टरों ने स्वयं विद्यार्थीजी को स्वास्थ्य खराब हो जाने की वजह से पहाड़ में जाने की सलाह दी थी, पर धन की कमी के कारण वे पहाड़ न जाकर फूलबाग में बैठकर अपना काम करते थे।
कानपुर में भगत सिंह का परिचय अन्य सदस्यों से हुआ -  जिसमें बटुकेश्वर दत्त के अतिरिक्त सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य, अजय घोष, विजय कुमार सिन्हा आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय है।
बटुकेश्वर दत्त ने भगत सिंह को बांग्ला भाषा में पारंगत किया था। 1924 में भयानक भरी गंगा में जीवन की पर्वाह न करते हुए अपने अन्य साथियों के साथ नजदीकी गांव में रहने वाले किसानों को बचाने और उन्हें सहायता पहुंचाने का काम किया।
 विद्यार्थीजी ने अलीगढ़ जिले के शादीपुर गाँव के नेशनल स्कूल में भगत सिंह को हेडमास्टर बनाकर भेजने का निश्चय किया और, रहने की व्यवस्था वहां के स्थानीय नेता ठाकुर टोल सिंह के घर कर दी गई। इसी दौरान भगत सिंह के पारिवारिक मित्र रामचन्दर को नेशनल कॉलेज में भगत सिंह के सहपाठी रहे जयदेव गुप्ता का पत्र मिला। पत्र में जयदेव गुप्ता ने रामचन्दर को अपने साथ कानपुर चलने के लिए राजी किया। दोनों कानपुर पहुंचे और विद्यार्थी जी से मिले। वरिंदर संधू के अनुसार "तब तक विद्यार्थीजी को यह खबर नहीं थी कि उनके अखबार में काम करने वाला 'बलवंत' वास्तव में क्रांतिकारी सरदार अजीत सिंह का भतीजा और सरदार किशन सिंह का पुत्र भगत सिंह है। भगत सिंह के दोनों मित्रों ने विद्यार्थीजी को भगत सिंह के विषय में व दादी की गंभीर बीमारी और पोते से मिलने की इच्छा के बारे में बताया।" जयदेव के अनुसार भगत सिंह छुप रहे थे और उन दोनों (उन्हें और रामचन्दर) से नहीं मिले। इसलिए इन दोनों ने विद्यार्थीजी के पास भगत सिंह के लिए उनकी दादी की बीमारी का संदेश छोड़ा और साथ में यह आश्वासन भी था कि लौटने पर कोई उनसे शादी के लिए जिद नहीं करेगा। दोनों लाहौर लौटकर किशन सिंह से आग्रह किया कि वह अपने मित्र मौलाना हसरत मोहानी को पत्र लिखे जिसमें भगत सिंह से साफ-साफ वायदा किया गया हो कि उनसे शादी के लिए नहीं कहा जाएगा। मौलाना हसरत मोहानी ने भी विद्यार्थीजी से आग्रह किया कि वह भगत सिंह को घर वापसी के लिए राजी करें। इससे पहले किशन सिंह ने 'वंदेमातरम' समाचार पत्र में विज्ञापन छपवाया था कि "भगत सिंह, जहां भी हों, लौट आएं।"  लाहौर लौटने से पहले भगत सिंह कानपुर में अगस्त-सितंबर 1923 से अप्रैल 1924 के मध्य लगभग छः माह रहे।


सरदार भगत सिंह और गणेश शंकर विद्यार्थी जी की शहादत के बीच में  दो दिनों का अंतर था। हिंदी पत्रकारिता के भीष्म की  प्रायोजित हत्या के लिए औपनिवेशिक अंग्रेजी सत्ता ने भगत सिंह की शहादत को ही ढाल बनाया। दरअसल कानपुर के जिस सांप्रदायिक दंगे में विद्यार्थीजी शहीद हुए, वह दंगा उस दौरान भड़काया गया जब कानपुर सहित देश के अनेक बड़े शहरों में गांधी-इरविन समझौता के तहत सरदार भगत सिंह को जेल से छोड़ने की जगह फांसी देने के विरोध में बंद का आवाहन किया  गया था। दोनों शहीदों की पहली मुलाकात शहादत के लगभग सात बरस पहले कानपुर में हुई थी। जब भगत सिंह विवाह से बचने के लिए घर छोड़कर कानपुर आए थे और प्रताप साप्ताहिक में बलवंतसिंह के नाम से काम किया और प्रताप प्रेस में रुके भी।
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1916 लखनऊ अखिल भारतीय कांग्रेस अधिवेशन के बाद महात्मा गांधी एक दिन के लिए 'प्रताप प्रेस' कार्यालय पर रुके, जहां पर उन्होंने विद्यार्थीजी को कांग्रेस से जुड़ने और देश की राजनीति में सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद विद्यार्थीजी लगातार कांग्रेस में सक्रिय रहे। विद्यार्थीजी अपने जीवन में पांच बार जेल गए जिसमें दो बार कांग्रेस के नेता के रूप में में भाषण देने के कारण जेल गए। 1923 में आयोजित फतेहपुर जिला कान्फ्रेंस के सभापति के रूप में दिये गये उनके भाषण को अंग्रेज सरकार ने देशद्रोह माना और और उन्हें एक बरस साल की सजा सुनाई गयी। यह उनकी तीसरी जबकि पहली राजनीतिक जेल यात्रा थी। विद्यार्थीजी 20मार्च 1923 से 29 जनवरी 1924 को जेल से मुक्त हुए।
1925 में अखिल भारतीय कांग्रेस का चालीसवाँ अधिवेशन श्रीमती सरोजनी नायडू की अध्यक्षता में कानपुर में हुआ। स्वागत कार्यकारिणी के प्रधानमंत्री विद्यार्थीजी बनाये गये। इसके बाद वह 1926 में संयुक्त प्रांत काउंसिल के सदस्य के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए और उन्होंने उद्योगपति चुन्नीलाल गर्ग को मदनमोहन मालवीयजी के प्रचार के बावजूद पराजित किया और काउंसिल के सदस्य बने। जब सन 1929 में कांग्रेस ने निर्णय लिया कि कांग्रेसी सदस्य काउंसिल की सदस्यता छोड़ दे तो उन्होंने सबसे पहले त्यागपत्र दिया।
सन 1929 में फर्रुखाबाद में हुए युक्त प्रान्तीय राजनीतिक सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गये और उसके बाद प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चुने गये। 1930 का कांग्रेस का नमक सत्याग्रह आरंभ हुआ तो विद्यार्थीजी युक्त प्रांत के प्रथम डिक्टेटर मनोनीत किया गये। 'कर्मयोगी' के संपादक व 'भारत में अंग्रेजी राज' जैसी पुस्तक के लेखक पं सुंदरलाल ने अपनी आत्मकथा में लिखते हैं कि "उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष श्री गणेश शंकर विद्यार्थी के पास से तकाजे-पर-तकाजे आ रहे थे कि मैं तुरंत उत्तर प्रदेश (उस समय मुंबई में थे) लौट आऊँ। कानपुर में प्रदेश कांग्रेस का प्रांतीय सम्मेलन हो रहा था। स्वागतकारिणी समिति ने मुझे अध्यक्ष चुना था। गणेशजी स्वागतकारणी समिति के सभापति थे। ... उत्तर प्रदेश के सब बड़े नेता, जवाहरलाल जी को छोड़कर सम्मेलन में उपस्थित थे। नमक सत्याग्रह का बिगुल बज चुका था। ... फूलबाग में सम्मेलन का विशाल पांडाल प्रतिनिधियों, सत्याग्रही स्वयंसेवकों और युवा कार्यकर्ताओं से खचाखच भरा था। गणेश शंकर विद्यार्थी ने स्वागतकारणी के सभापति की हैसियत से प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने सावधान किया कि सरकार और उसके गुर्गे, इस बात की चेष्टा करेंगे कि प्रदेश को सांप्रदायिक दंगों में उलझा दें। इसलिए हमें सावधानी बरतनी होगी और यदि कहीं भी साम्प्रदायिक उत्पात होते हैं तो हमें उन्हें रोकने में अपने प्राणों की बाजी लगा देनी चाहिए। उन्होंने युवा देशभक्तों से भी अपील की कि उन्हें अहिंसात्मक उपायों को अपनाकर नमक सत्याग्रह के पूरे मनोबल के साथ भाग लेना चाहिए।"
प्रांतीय राजनीतिक सम्मेलन में विद्यार्थीजी के भाषण को राजद्रोहात्मक बताकर 25 मई को दफा117 में गिरफ्तार हुए और उसी दिन एक बरस की सख्त सजा दे दी गयी। उसी दिन शाम को कानपुर से हटाकर रात बारह बजे हरदोई जेल पहुंचाया गया। विद्यार्थीजी के बाद पुरुषोत्तमदास टंडन दूसरे डिक्टेटर बने। टण्डनजी की गिरफ्तारी के बाद पंडित सुंदरलाल को डिक्टेटर बनाया गया।
गणेश शंकर विद्यार्थी की सजा पूरी होने के छः दिन पहले गांधी-इरविन समझौते के तहत उन्हें जेल से 15मार्च, 1931 के स्थान पर 9मार्च, 1931 को रिहा किया गया। गांधी-इरविन समझौते में राजनीतिक कैदियों को रिहा करना था, परंतु भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को रिहा नहीं किया गया। उन्हें 23मार्च, 1931 को लाहौर के किले में फांसी दे दी गयी और फिरोजपुर के पास सतलुज नदी के किनारे उनके शव को अत्यंत गोपनीय तरीके से अग्नि के सुपुर्द किया गया। इसके विरोध में जवाहरलाल नेहरू के आदेश पर 25 मार्च को देशभर में हड़ताल हुई। मुंबई, कराची, लाहौर, कोलकाता मद्रास और दिल्ली में यह हड़ताल शांतिपूर्वक रही, किंतु कानपुर में अंग्रेजों ने हड़ताल को हिंदू-मुस्लिम दंगे में बदल दिया। कई दिन तक चलता रहा, हजारों घर जला दिये गये। और 500 से अधिक लोग मारे गए।
25 मार्च 1931 को जब दंगा शुरू हुआ तो विद्यार्थीजी घर से निकलकर दंगाइयों के बीच पहुंचकर लोगों को शांत करने, उनकी प्राण रक्षा करने की कोशिश करने लगे। शाम तक उसी धुन में मारे-मारे फिरते रहे। लोगों को बचाते वक्त उनके पैर में कुछ चोट आयी। 24 तारीख की रात में और 25 की सुबह दंगे का रूप और भी भीषण हो गया। और वह नौ बजे सुबह सिर्फ थोड़ा सा दूध पीकर लोगों को बचाने के लिए चल पड़े। उनकी धर्मपत्नी ने जाते समय कहा-  "कहां इस भयंकर दंगे में जाते हो।" उन्होंने जवाब दिया- "तुम व्यर्थ घबराती हो। जब मैंने किसी की बुराई नहीं की तब मेरा कोई क्या बिगड़ेगा? ईश्वर मेरे साथ है।" इतना कहकर हिंदी पत्रकारिता का भीष्म अपनी मृत्यु को मृत्युंजय बनाने के लिए घर से निकल पड़ा, इसके बाद 'प्रताप' संपादक कभी अपने घर वापस नहीं आये। शहीद होने के लगभग 22 वर्ष पहले 'सरस्वती' में लिखे जीवन के प्रथम लेख 'आत्मोत्सर्ग' में विद्यार्थीजी ने अपना मार्ग स्पष्ट कर दिया था। लेख के अंतिम शब्द "यदि आप में आत्मोसर्गी बनने की अभिलाषा हो तो आपको अवसर की राह देखने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आत्मोसर्ग करने का अवसर प्रत्येक मनुष्य के जीवन में, पल-पल में आया करता है। देशकाल और कर्तव्य पर विचार कीजिये और स्वार्थरहित होकर साहस को नहीं छोड़ते हुए कर्तव्यपरायण बनने का प्रयत्न कीजिये।"
विद्यार्थीजी के लिए शायद आत्मोसर्ग के लिए इससे अनुकूल अवसर शायद नहीं था। उन्होंने पटकापुर, बंगाली मोहाल, इटावा बाजार के करीब 150 मुसलमान स्त्री, पुरुष और बच्चों को वहां से बचाया। ... उस समय विद्यार्थीजी अपनी डेढ़ पसली का दुबला-पतला शरीर लिए नंगे पांव, नंगे सिर, सिर्फ एक कुर्ता पहने, बिना कुछ खाये-पिये, बड़ी मुस्तैदी और लगन के साथ घायलों और निःसहायों को बचाने में व्यस्त थे। किसी को कंधे पर उठाए हुए हैं तो किसी को गोदी में लिए अपनी धोती से उसका खून पोंछ रहे हैं। किसी को डांटकर तो किसी से आरजू मिन्नत से, तो किसी से सत्याग्रह द्वारा वह विपत्तिग्रस्त लोगों को नर-पिशाचों के चंगुल से बचाते रहे। इसी बीच लोगों ने उनसे मुसलमानी मोहल्ले में हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार का हाल बताया। यह जानते हुए कि जहां की बात कही जा रही है, वहां मुसलमान ही मुसलमान रहते हैं और वे इस समय बिल्कुल धर्मान्ध होकर पशुता का तांडव-नृत्य कर रहे हैं, विद्यार्थी जी निर्भीकता के साथ उधर चल पड़े। रास्ते में उन्होंने मिश्री बाजार और मछली बाजार के कुछ हिंदुओं को बचाया और वहां से चौबेगोला पहुंचे। वहां पर विपत्ति में फंसे हुए बहुत से हिंदुओं को उन्होंने निकलवाकर सुरक्षित स्थानों पर भेजा औरों के विषय में पूछ ही रहे थे कि मुसलमानों ने उन पर और उनके साथ के स्वयंसेवकों पर हमला करना चाहा।
दूसरे दिन 5:30 बजे प्रताप प्रेस और विद्यार्थीजी के घर वालों को खबर मिली कि विद्यार्थीजी कहीं पर घायल हो गए हैं। पहले तो लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि विद्यार्थीजी पर कोई हाथ उठाएगा, परन्तु जब समय बीतने के साथ कुछ निश्चित पता नहीं चला तो संदेह बढा और कई मित्रों ने उन्हें ढूंढना शुरू किया। 11:00 बजे रात तक बराबर उनकी खोज होती रही, पता लगाया जाता रहा, पर कुछ भी पता न चला। चौबेगोला आने तक की बात लोग बतलाते थे। पर इसके बाद कहां गए, कैसे घायल हुए, यह कोई न बतलाता था। यह हाल देखकर विद्यार्थीजी घरवालों और मित्रों को शंका होने लगी। परंतु फिर भी 26 तारीख को दिन भर खोज होती रही। 27 मार्च को पता चला कि अस्पताल में जो बहुत सी लाशें पड़ी हुई हैं उनमें से एक विद्यार्थीजी की लाश होने का संदेह है। तुरंत शिवनारायण मिश्र और डॉ जवाहरलाल वहां पहुंचे। यद्यपि लाश फुलकर काली और बहुत कुरूप हो गयी थी, फिर भी खद्दर के कपड़े, उनके अपने ढंग के निराले बाल और हाथ में खुदे हुए 'गजेंद्र' नाम आदि देखकर पहचान लिया। उनका कुर्ता अभी तक उनके शरीर पर था जेब से तीन पत्र भी निकले, जो लोगों ने विद्यार्थीजी को लिखे थे। उन्हें देखकर यह बिल्कुल निश्चय हो गया कि लाश विद्यार्थीजी की ही है।
जिस समय गणेश जी शहीद हुए उसी समय कराची में कांग्रेस का अधिवेशन चल रहा था। विद्यार्थीजी अस्वस्थ होने के कारण कराची कांग्रेस में नहीं गये थे और वह घर से बाहर भी नहीं निकल रहे थे, परंतु जब दंगे और नरसंहार की बात सुनी तो बीमारी को भूलकर दंगा शांत करने निकल पड़े। कराची में कांग्रेस के नेताओं को जब सूचना मिली तो कराची कांग्रेस ने इस दु:खद घटना पर निम्नलिखित प्रस्ताव पास किया।
"कानपुर कांग्रेस के दंगे में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गणेशशंकर विद्यार्थी की मृत्यु के समाचार पर अपना गहरा दु:ख प्रकट करती है। श्री गणेश शंकर विद्यार्थी कांग्रेसजनों में सबसे अधिक बेलौस कांग्रेसजन थे। उनमें किसी प्रकार की संप्रदायिकता छू भी नहीं गयी थी। इसलिए वे हर दिल और हर संप्रदाय के लोगों में हर-दिल-अजीज थे। कांग्रेस शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करते हुए इस बात पर अभिमान प्रकट करती है कि प्रथम पंक्ति के काम करने वालों में श्रेष्ठ कार्यकर्ता कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने अपना बहुमूल्य जीवन, मुसीबत और खतरे में पड़े लोगों को बचाने के प्रयास में और मारकाट-पागलपन को रोककर शांति की स्थापना में बलिदान किया। कांग्रेस सब लोगों से अपील करती है कि इस अत्यंत बहुमूल्य और उदार बलिदान का वे प्रतिशोध के लिए नहीं बल्कि शांति स्थापना के लिए, एक आदर्श के रूप में उपयोग करेंगें। कांग्रेसी दंगे के कारणों की जांच करने के लिए और उचित उपाय सुझाने के लिए तथा जख्म को भरने के लिए तथा आस-पास के जिलों में दंगे को फैलने से रोकने के लिए एक समिति मुकर्रर करती है। समिति में छः सदस्य होंगे, उसके चेयरमैन डॉक्टर भगवानदास होंगे और मंत्री पंडित सुंदरलाल।"
गांधीजी ने कराची से ही विद्यार्थीजी के संबंध में एक तार  बालकृष्ण शर्मा 'नवीनजी' के नाम भेजा था।-
 "काम में बहुत व्यस्त रहने के कारण मैं न तो कुछ लिख सका न तार दे सका। यद्यपि हृदय खून के आंसू रोता है, फिर भी गणेश शंकर की जैसी शानदार मृत्यु की संवेदना प्रकट करने को जी नहीं चाहता। यह निश्चय है कि आज नहीं तो आगे किसी दिन उनका निष्पाप खून हिंदू-मुस्लिम एक्य को सुदृढ़ बनायेगा। इसलिए उनका परिवार संवेदना का नहीं, बल्कि बधाई का पात्र है। ईश्वर करे उनका दृष्टांत संक्रामक साबित हो।"
                                                                         गांधी
दंगे की जांच-पड़ताल के सिलसिले में डॉ भगवानदास, पुरुषोत्तमदास टंडन, अब्दुल लतीफ बिजनौरी, मंजर अली सोख़्ता और जफरूल मुल्क को महीनों कानपुर में रहना पड़ा। कानपुर में रहकर सैकड़ों व्यक्तियों की गवाही लेनी पड़ी और बाद में बाबू शिवप्रसाद गुप्त के बनारस के निवास स्थान 'सेवा उपवन' में बैठकर रिपोर्ट लिखी गयी। समिति ने बड़े परिश्रम, अनुसन्धान और छानबीन के बाद कई सौ पृष्ठों की एक रिपोर्ट तैयार करके वर्किंग कमेटी के सामने पेश की। काफी समय बाद यह रिपोर्ट छपी। परंतु सरकार ने उसके प्रकाशन के 24 घंटे के अंदर उस रिपोर्ट को ज़ब्त कर लिया।
रिपोर्ट के अनुसार कानपुर में भीषण दंगा होने की सूचना सरकारी हलकों में बहुत पहले से थी। मौलाना मोहम्मद अली की मृत्यु पर कानपुर के हिन्दू दुकानदारों ने अपनी दुकानें नही बंद की। इसलिए मुसलमान दुकानदारों ने तय किया कि आगे किसी हिन्दू नेता के मरने पर जब हड़ताल होगी तो मुसलमान भी दुकानें नहीं बंद करेंगे। पुलिस के कुछ अफ़सर जिनके परिवार शहर में रहते थे, उन्होंने अपने परिवारों को बाहर भेज दिया और अपने रिश्तेदारों को यह पत्र लिखा है कि चूँकि अनकरीब दंगा होने वाला है, इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से हम अपने परिवारों को आपके यहां भेज रहे हैं। ऐसे पत्र कमेटी ने अपने कब्जे में लिए थे।
स्वर्गीय गणेश शंकर विद्यार्थी ने अनेक मुसीबतजदा मुस्लिम परिवारों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया उनकी। अपील और रक्षा के प्रयत्नों से दंगे में उफान नहीं आ रहा था। इसलिए सरकारी अधिकारियों ने प्रयत्न किया कि उन्हें किसी तरह से समाप्त किया जाये। इसलिए उनसे प्रायोजित रूप से कहा गया कि कुछ हिंदू परिवार फंसे हुए हैं उन्हें आप बचाइए। यह कहकर उन्हें चौबेगोला की गलियों में ले गए और वहां ले जाकर एकांत में उन पर छुरे से आक्रमण किया गया। अपने बलिदान से पूर्व उन्होंने सर झुकाकर कहा था कि "मेरी हत्या करने से ही यदि आपको सन्तोष होता है तो सर हाजिर है।" निर्दयी गुर्गो ने बेरहमी के साथ उन्हें कत्ल कर दिया।

उपरोक्त अंश चंपारण सत्याग्रह का गणेश से 
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रविवार, 24 मार्च 2019

लोकसभा चुनाव को लेकर असोथर पुलिस ने किया फ्लैग मार्च


लोकसभा चुनाव को लेकर असोथर पुलिस ने किया फ्लैग मार्च 

फतेहपुर - लोकसभा चुनाव को देखते हुए फतेहपुर जिले के तेज तर्रार एसपी कैलाश सिंह के निर्देश पर असोथर पुलिस ने क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों में फ्लैग मार्च किया और चुनाव के दौरान अशांति फैलाने वालों और आदर्श आचार संहिता का पालन नहीं करने वालों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी। 

इस दौरान पुलिस ने आम जनता को भी विश्वास दिलाया कि शांतिपूर्ण मतदान और आम लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस तैयार है।

इस फ्लैग मार्च में थानाध्यक्ष कमलेश कुमार पाल , उपनिरीक्षक गोविंद सिंह चौहान , उपनिरीक्षक विजय कुमार त्रिवेदी , कमलाशंकर यादव , कांस्टेबल ध्यान सिंह , संदीप उपाध्याय , हीरामणि तिवारी व अन्य उपस्थित रहे ।
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बाबा अश्वस्थामा धाम मंदिर प्रांगण में एक दूजे के हुए प्रेमी युगल

बाबा अश्वस्थामा धाम मंदिर प्रांगण में एक दूजे के हुए प्रेमी युगल

फतेहपुर - कस्बा असोथर के बाबा अश्वस्थामा धाम मंदिर प्रांगण में रविवार को एक प्रेमी युगल की शादी कराई गई।

    

फतेहपुर - कहते हैं प्यार और जंग में सब कुछ जायज होता. कुछ ऐसा ही मामला देखने को मिला फतेहपुर जनपद के असोथर कस्बे में जहां एक प्रेमी युगल ने कस्बे मंदिर परिसर में शादी रचाई. शनिवार को असोथर थाना पहुंच कर दोनों ने एक दूजे के होने की बात कही थीं.

इसके बाद थाना के द्वारा दोनों प्रेमी युगल के परिवार वालों को थाना पर बुलाया गया. प्रेमी और प्रेमिका के परिवार वालों की सहमति न होने के कारण लगभग 2 घंटे तक हाई वोल्टेज ड्रामा चला लेकिन प्रेमी युगल के परिवार वालों को उनकी जिद के सामने झुकना पड़ा.

कस्बा असोथर के बाबा अश्वस्थामा धाम मंदिर प्रांगण में रविवार को इस प्रेमी युगल की शादी कराई गई।


असोथर थाना क्षेत्र कस्बे की रहने वाली ओमप्रकाश तिवारी की 19 वर्षीया पुत्री अर्चना का कस्बे के ही रहने  वाले विनय अवस्थी पुत्र राजेश अवस्थी ने बाबा अश्वस्थामा धाम मंदिर प्रांगण में एक दूसरे को माला पहनाकर शादी रचाई। 

दोनों के बीच कई महीनों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। 
लेकिन पारिवारिक अनबन के कारण शादी नहीं हो रही थी। 
मोबाइल से बातचीत शुरू हुई और यह बातचीत प्यार में तब्दील हो गया.


प्यार इतना परवान चढ़ा कि दोनों एक दूसरे के होने की ठान ली और थाने पहुंच गए और एक दूसरे के साथ शादी करने की इच्छा व्यक्त की. असोथर थाना परिसर में दोनों परिवार के सदस्यों की रजामंदी के बाद आज रविवार को बाबा अश्वस्थामा धाम मंदिर में पूरे विधि विधान के साथ शादी संपन्न हुई और दोनों पति-पत्नी के रूप में एक दूजे के हो गए.
रविवार को लड़के की मां तथा लड़की के माता-पिता की उपस्थिति में दोनों की शादी कराई गई। 

मौके पर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रामकिंकर अवस्थी व अन्य ग्रामीण भी उपस्थित रहें।

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बुधवार, 20 मार्च 2019

एटीएम कार्ड बदलकर ठगी करने वाले दो अंतर्जनपदीय सायबर अपराधियों को असोथर पुलिस ने किया गिरफ्तार, भेजा जेल


एटीएम कार्ड बदलकर ठगी करने वाले दो अंतर्जनपदीय सायबर अपराधियों को असोथर पुलिस ने किया गिरफ्तार, भेजा जेल

फतेहपुर - असोथर थानाक्षेत्र की पुलिस टीम व सायबर सेल टीम के संयुक्त प्रयास से आज चेकिंग के दौरान दो सायबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया 

- अभियुक्तों से एक 315 बोर तमंचा चार जिंदा कारतूस व एक अपाचे बाइक बरामद 

- कई बैंकों के एटीएम कार्ड और 4800 रुपये बरामद 

- गिरफ्तार ठगों को जेल भेजकर अन्य साथियों की तलाश में जुटी असोथर पुलिस 

- अपराधियों से कई बैंकों के एटीएम कार्ड और चार हजार आठ सौ रुपये बरामद

- अपराधियों से एक 315 बोर तमंचा चार जिंदा कारतूस व एक अपाचे बाइक बरामद 

- गिरफ्तार ठगों को जेल भेजकर अन्य साथियों की तलाश में जुटी





यूपी के फतेहपुर जनपद में असोथर थाना पुलिस ने बुधवार सुबह असोथर कस्बे के थरियांव मोड़ क्षेत्र से एटीएम कार्ड बदलकर लोगों से ठगी करने वाले गिरोह के दो शातिर बदमाशों को गिरफ्तार किया है। 


गिरफ्तार दोनों ठगों के कब्जे से पुलिस ने विभिन्न बैंकों के कई एटीएम कार्ड और चार हजार आठ सौ रुपये बरामद किए हैं।

एसओ असोथर कमलेश कुमार पाल ने बताया कि गिरफ्तार ठग यूपी के फतेहपुर समेत कई अन्य जनपदों के विभिन्न एटीएम में कैश निकालने आए लोगों को चकमा देकर उनका पिन नंबर जानकर असली एटीएम की जगह दूसरा एटीएम कार्ड थमा देते थे। इसके बाद मशीन में असली एटीएम डालकर रुपये निकालकर चंपत हो जाते थे। 

गिरफ्तार आरोपित ने बताया कि उसके गैंग के लोग अपने नेटवर्क के जरिए काम करते हैं। 
पुलिस पूछताछ में उसने गैंग के कुछ सदस्यों के नाम भी बताए हैं। असोथर पुलिस उनकी तलाश में जुट गई है।



शिकार की तलाश में खड़े थे ठग


एसओ असोथर कमलेश कुमार पाल ने बताया कि बुधवार सुबह पुलिस कस्बे थरियांव मोड़ के टैम्पो स्टैंड के पास रोड पर चेकिंग कर रही थी। 

इसी दौरान टीम को सूचना मिली की थरियांव मोड़ के पास स्थित एटीएम पर कार्ड बदलकर ठगी करने वाले गैंग के दो बदमाश किसी युवक को शिकार बनाने की ताक में खड़े है। 

इसके बाद पुलिस टीम ने मौके पर जाकर आरोपित ठगों कमेंद्र उर्फ टिंकू उम्र 28 वर्ष पुत्र राजेंद्र सिंह निवासी भग्गा का पुरवा थाना मलवां जनपद फतेहपुर व शैलेश सिंह  उम्र 24 वर्ष पुत्र राम सिंह निवासी गज्जा का पुरवा थाना सचेंडी जनपद कानपुर नगर  को गिरफ्तार कर लिया। 
दोनों ठग अपनी रिश्तेदारी सुजानपुर गांव आये हुए थे ..
तलाशी लेने पर ठगों के कब्जे से एक अपाचे मोटरसाइकिल व 315 बोर का तमंचा , चार जिंदा कारतूस विभिन्न बैंकों के 3 एटीएम कार्ड व चार हजार आठ सौ रुपये व दो सैमसंग कम्पनी के मोबाईल बरामद हुए।

अभियुक्तों ने पुलिस की पूंछताछ पर बताया की वह भोले भाले लोगों से एटीएम कार्ड बदलकर व लकी ड्रा आदि का विजेता घोषित कर खाते में पैसा जमा कराने सम्बंधित अपराध करते हैं ।

इनका एक संगठित गिरोह हैं जो कि प्रतापगढ़ , कानपुर , बाँदा , प्रयागराज आदि जनपदो में सायबर अपराधों को अंजाम देते हैं । 

अंतर्जनपदीय सायबर अपराधियों को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम

1 - विजय कुमार यादव प्रभारी सायबर सेल फतेहपुर 
2 - कमलेश कुमार पाल थानाध्यक्ष थाना असोथर जनपद फतेहपुर
3 - उपनिरीक्षक विजय कुमार त्रिवेदी थाना असोथर जनपद फतेहपुर
4 - हे०का० हीरामणि तिवारी थाना असोथर जनपद फतेहपुर
5 - का० नफीस अहमद थाना असोथर जनपद फतेहपुर
6 - का० संदीप उपाध्याय थाना असोथर जनपद फतेहपुर ..

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रविवार, 17 मार्च 2019

यूपी के फतेहपुर में बरामद हुआ नकली नोटों का जखीरा ,अभियुक्त गिरफ्तार



यूपी के फतेहपुर में बरामद हुआ नकली नोटों का जखीरा ,अभियुक्त गिरफ्तार

✍ धीरेंद्र सिंह "राणा"

फतेहपुर पुलिस को मिली बड़ी सफलता, नकली नोटों के जखीरे सहित प्रिंटर छपाई मशीन सहित अभियुक्त गिरफ्तार

आज दिनांक 17 - 03 - 2019 को जिला फ़तेहपुर पुलिस को उस समय एक बड़ी सफलता मिली जब सदर कोतवाल ने अपनी टीम व स्वाट टीम के साथ मुखबिर की सूचना पर एक बिना नम्बर की स्कूटी सवार को पकड़ा।



स्कूटी सवार की निशानदेही पर वर्मा तिराहे स्थित उसकी मोबाइल की दुकान राज मोबाइल से प्रिंटर मशीन व 04 सीरीज के 100 - 100 के 670 नोट कुल 67000 रुपयें के  नकली नोट बरामद किये गएं हैं ।

अपराधियों से बरामद नकली नोट

अभियुक्त मनोज कुमार प्रजापति पुत्र कल्लू प्रसाद प्रजापति थाना सुल्तानपुर घोष के कुम्हारन का पुरवा ऐराया मसायक का रहने वाला है और वर्तमान समय में सदर कोतवाली क्षेत्र के पटेलनगर में रह रहा था।
अभियुक्त द्वारा मोबाइल की दुकान में नकली नोट बनाने का काम किया जा रहा था।
इस मामले का खुलासा करते हुए जनपद के पुलिस अधीक्षक कैलाश सिंह ने बताया कि नकली नोटों के छपने की सूचना मिली थी तो सदर कोतवाली व स्वाट टीम द्वारा अभियुक्त को गिरफ्तार कर नकली नोट, प्रिंटर मशीन व स्कैनर आदि उपकरण बरामद किये गये है तथा अभियुक्त पर अपराध संख्या 203/19 489 क/ख/ग/घ पंजीकृत कर के जेल भेजा जा रहा है।



नकली नोटों के इस मामले को खुलासा करने में मुख्य भूमिका स्वाट टीम प्रभारी अमित कुमार पाण्डेय व सदर कोतवाल सतेंद्र सिंह सहित इनकी टीम ने चेकिंग अभियान के दौरान अपराधियों को गिरफ्तार कर नकली नोटों के सौदागरों का खुलासा किया ।

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शुक्रवार, 15 मार्च 2019

असोथर के नरैनी फ़ीडर की सुधरी बिजली व्यवस्था तो ग्रामीणों के चेहरे खिले


असोथर के नरैनी फ़ीडर की सुधरी बिजली व्यवस्था तो ग्रामीणों के चेहरे खिले


फतेहपुर -  33/11 विद्युत उपकेंद्र असोथर  के नरैनी फ़ीडर के आधा सैकड़ा गाँवो में पिछले कुछ दिनों से बाधित विद्युत आपूर्ति क खबर प्रकाशित होने के बाद सुधार दिया गया है। 

आखिरकार 48 घण्टों बाद इन गाँवों में बिजली आयी तो ग्रामीणों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। 

आपको बता दें कि विद्युत उपकेंद्र असोथर के नरैनी फ़ीडर में पड़ने गाँवो में दो दिनपहले लाईन खराब हो जाने के बाद भी विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रदेश के नए ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के निर्देशों की अवहेलना की जा रही थी। 
जबकि मंत्री ने ग्रामीण क्षेत्र में 48 घंटे के अंदर खराब लाईन , फाल्ट व ट्रांसफार्मर को बदलने के स्पष्ट निर्देश दिए थे।

आत्म गौरव न्यूज़. com द्वारा प्रकाशित खबरों का लिंक


जब इसकी सूचना ग्रामीणों द्वारा क्षेत्र के पत्रकार बंधुओं को लगी, तो इस खबर को समाचार पत्रों पर प्रमुखता से उठाया गया । 

" असोथर के नरैनी फ़ीडर के ग्रामीण अंचलों में बिजली आपूर्ति ध्वस्त "


" अघोषित बिजली  कटौती से अन्नदाता व विद्यार्थी परेशान , परीक्षा की तैयारी बाधित "

दो शीर्षक से खबर छपने के बाद हरकत में आए अधिकारियों ने कनिष्ठ अधिकारियों को तत्काल निर्देशित करते हुए दो दिन से जर्जर हालत में पड़ी नरैनी फ़ीडर विद्युत आपूर्ति को तुरंत  सही करवाया ।

इस बाबत अधिशासी अभियंता राकेश कुमार का कहना हैं पुरानी जर्जर हालत में लाईन होने के कारण नरैनी फ़ीडर में पड़ने वाले गांवों की विद्युत आपूर्ति के आवंटन में समस्या आयी थी , जिसकी सूचना प्राप्त होने पर तत्काल सुधार किया हैं , नरैनी फ़ीडर में जिले के निर्धारित रोस्टर के मुताबिक नियमित समय पर गांवों को बिजली आपूर्ति की जा रही हैं ।
अब कोई समस्या वाली बात नहीं हैं।

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गुरुवार, 14 मार्च 2019

अघोषित बिजली कटौती से अन्नदाता व विद्यार्थी परेशान , परीक्षा की तैयारी बाधित



अघोषित बिजली कटौती से अन्नदाता व विद्यार्थी परेशान , परीक्षा की तैयारी बाधित

फतेहपुर / असोथर : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड व स्नातक व परास्नातक स्तर की परीक्षा बीते माह से शुरु है। 

इसकी तैयारी में जुटे परीक्षार्थियों की चिंता न ही विद्युत विभाग को है और न प्रशासनिक अफसरों व सत्ता में आसीन भाजपा के नेताओं को हैं
बीते तीन दिन से 33/11 विद्युत उपकेंद्र असोथर से नरैनी फ़ीडर से आधा सैकड़ा गांवों में परीक्षार्थियों व किसान भाइयों को गेंहूँ की फसल की अंतिम सिंचाई को बिजली नहीं मिल रही है। 
लिहाजा परीक्षा का तैयारी में व किसान भाइयों की गेहूं की फसल अंतिम चरण में हैं अगर समय पर बिजली की इसी तरह बेतहाशा कटौती जा रही तो अन्नदाता खून के आंसू बहाने को मजबूर हैं व विद्यार्थियों को भी कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

छात्रों के पढ़ने के समय बिजली गायब हो जा रही है। 

विद्युत आपूर्ति के समय में पिछले तीन दिन से मनमानी कटौती होने से छात्रों व अभिभावकों ने असंतोष जताया है।
सायंकालीन विद्युत आपूर्ति की जगह बिजली रात्रि को नौ बजे से दी जा रही है जबकि अल सुबह बिजली की आवश्यकता के समय में ही काट दी जा रही है। 
क्षेत्र में 33/11 असोथर विद्युत उपकेन्द्र में एक दर्जन से अधिक संविदा कर्मी व जेई राकेश कुमार कार्य कर रहे  हैं , पर वह इस नरैनी फ़ीडर की अघोषित कटौती को नजरअंदाज किये है , उपभोक्ताओं के बार बार फोन करने पर उपकेंद्र असोथर का नंबर स्विच ऑफ व जेई महोदय का व्यस्त या नॉट रीचबल बताता हैं ।
छात्र रामजन्म, सर्वेश कुमार, देवेन्द्र कुमार, वीर सिंह, प्रद्युम्न का कहना है कि प्रशासन इस तरफ ध्यान न देकर हम लोगों के साथ खिलवाड़ कर रहा है। 
हम लोगों के परीक्षा की तैयारी में व्यवधान आ रही है। 
छात्रों ने विभाग के साथ सरकार का भी ध्यान आकृष्ट कराया है। क्षेत्र के कुछ लोगों ने जिलाधिकारी महोदय से तत्काल विद्युत आपूर्ति दुरस्त करवानें की मांग की है।

इस बाबत अधिशाषी अभियंता विद्युत राकेश कुमार का कहना है कि विद्युत आपूर्ति के आवंटन ओवलोड़ के कारण समस्या पड़ रही हैं ।
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बुधवार, 13 मार्च 2019

असोथर के नरैनी फ़ीडर के ग्रामीण अंचलों में बिजली आपूर्ति ध्वस्त


असोथर के नरैनी फ़ीडर के ग्रामीण अंचलों में बिजली आपूर्ति ध्वस्त

फतेहपुर /असोथर - असोथर क्षेत्र के 33/11विद्युत उपकेंद्र से पिछले तीन दिन से असोथर के नरैनी फ़ीडर के ग्रामीण अंचलों में बिजली आपूर्ति ध्वस्त होने से किसानों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। 

बिजली के अभाव में किसान गेंहूं की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं जिससे गेंहूं की फसल सूखने के कगार पर पहुंच गई है।

अघोषित बिजली कटौती से उपभोक्ता आजिज आ चुके हैं।

योगी सरकार शासन के फरमानों का बिजली विभाग के अधिकारी व कर्मचारी धज्ज्यिां उड़ाने में लगे हुए हैं। बिजली किल्लत झेल रहे उपभोक्ताओं ने चेताया कि रोस्टर के अनुरुप आपूर्ति नहीं की गई तो लोग आंदोलन को बाध्य होंगे। बिजली पावर हाउस असोथर से जुड़े आधा सैकड़ा गांवों में विद्युत आपूर्ति चरमरा गई है जो किसानों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
क्षेत्र के सरकंडी , सुजानपुर, कौंडर , मनावाँ , जानिकपुर , विधातीपुर समेत आसपास के गांव में बिजली आपूर्ति बेपटरी हो गई है।
मनमानी बिजली कटौती से अन्नदाता गेंहूं की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। खेतों में बालियां लगे गेंहूं की फसल झूलस रही हैं जिसे देख अन्नदाता खून के आंसू रोने को विवश हैं।

_मौसम की दगाबाजी व किसानों की मेहनत की कमाई खेतों में नष्ट हो रही है, जिसे देख किसानों का सुख-चैन हराम हो गया है।

किसानों की माने तो परेशानी झेल रहे कृषक कई बार विभागीय अधिकारियों को पत्र देकर व जिलाधिकारी महोदय को फोन द्वारा संपर्क कर अघोषित बिजली कटौती बंद कराने की मांग कर चुके हैं लेकिन विभागीय स्तर से संज्ञान नहीं लिया जा रहा है जिससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
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शनिवार, 2 मार्च 2019

अवैध खनन पर स्पेशल रिपोर्ट योगी सरकार के मंशूबों में पानी फेरते फतेहपुर के संगोलीपुर मड्डइयन मौरंग खदान में सक्रिय खनन माफिया-





संगोलीपुर मड्डइयन में हो रहा मानक से विपरीत अवैध खनन-


फतेहपुर में अवैध खनन जोरों पर, किशनपुर थानाक्षेत्र के संगोलीपुर में ठेकेदार एक खण्ड का टेण्डर लेकर कर रहे कई खण्डों में खनन, प्रशासन मौन-


एक तरफ जहां अंडरलोड गाड़ियाँ चलाने का फरमान योगी सरकार का था, तो वहीं मौजूदा दौर में ओवरलोड से भी ज्यादा लोड वाहनों ने सड़कों का हाल किया खराब-


फतेहपुर में यमुना की धारा मोड़कर किया जा रहा अवैध खनन, जिम्मेदार बेपरवाह-


घाट में लेबर लोडिंग की जगह पोकलैंड मशीनों से की जा रही लोडिंग-


सूत्रों के मुताबिक घाट में माननीय के नाम के चलते जिला प्रशासन कार्यवाही से कतरा रहा-

बताते चलें कि बालू खनन के कारोबार के लिए चर्चित जनपदों में प्रयागराज से सटा हुआ फतेहपुर जनपद भी मशहूर है। यहाँ पर इस समय बालू माफिया पूरी तरह से सक्रिय हैं। 
जो न सिर्फ अपने ही खण्ड में खनन करते हैं बल्कि एक खण्ड का टेण्डर लेकर समूचे खाली पड़े खण्डों में अवैध खनन करवाते हैं, जिससे प्रदेश के राजस्व के एक लंबी धनराशि की क्षति भी होती है। 
सूत्रों की मानें तो इन खनन माफियाओं का जाल इतना बड़ा है कि जिले के अधिकारी भी इनके सामने घुटने टेके हुए हैं। एक तरफ जहां प्रशासन ने लेबर लोडिंग के लिए आदेशित किया था तो वहीं ये खनन माफिया सरकार के आदेशों की अवहेलना करते हुए दर्जनों पोकलैंड मशीनें लगाकर यमुना की धारा मोड़कर खनन कर रहे हैं साथ ही पूरीरात यमुना की धारा में पनचक्की लगाकर यमुना नदी को गर्त में मिलाने का काम कर रहे हैं। जिससे आने वाले समय में प्राकृतिक आपदाएं आने का भी खतरा मँडराता दिखाई दे रहा है। 

माननीय के नाम का भी कर रहे पूरा दुरुपयोग, माननीय का नाम भी अवैध खनन में बदनाम-

विश्वस्त सूत्रों/घाट में मौजूद पट्टेधारक के लोगों की मानें तो बताया जा रहा कि इस अवैध खनन के पीछे एक माननीय का भी हाँथ है। संगोलीपुर मड्डइयन क्षेत्र में सक्रिय खनन माफिया के मौरंग खदान में माननीय का भी अपना अलग परसेंटेज है। 
खबर की कवरेज के दौरान घाट में मौजूद माफिया के लोगों का कहना था कि आपके वीडियो और फोटो बनाने से कुछ भी होने वाला नहीं है, यहाँ माननीय जी का भी शेयर है। 
वीडियो बनाने मात्र से कुछ होने वाला नहीं है।

योगी सरकार के फरमान के बावजूद ओवरलोड देना भी नहीं बन्द कर रहे पट्टाधारक-

अगर अंत में बात करें यहां के ओवरलोड की तो उसका भी जनपद फतेहपुर में कोई जवाब नहीं। 
क्योंकि यहाँ पर तो दरोगा जी और आला अफसरों की मेहरबानी पर ही गाड़ियाँ चल सकती हैं या फिर आपकी गाड़ी की इंट्री हो, वो भी पूरी नई नोटों के साथ। 
और साथ मे बात करें यहाँ के लोकल पुलिस की तो उनका तो ये आलम है कि उन्हें किसी का भी डर नहीं है।
खुल्लमखुल्ला चौबीसों घंटे वसूली होती है।।

एनजीटी के नियमों की भी पट्टेधारक कर रहे खुलेआम अवहेलना-

आपको बता दें कि किसी भी घाट का टेण्डर होने के बाद उसे एनजीटी से एनओसी लेनी पड़ती है। 

एनजीटी उस घाटमालिक को कुछ शर्तों के बाद ही घाट चलाने के लिए "नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट"  देता है। 
लेकिन उसमें मौरंग खदान संचालक को बाध्य भी रखता है कि अगर इन शर्तों के विपरीत खनन हुआ तो आपका टेण्डर जुर्माने सहित निरस्त किया जा सकता है। 

लेकिन फतेहपुर में एनजीटी के नियम और शर्त कोई मायने नहीं रखते हैं।। 

क्योंकि यहाँ मौरंग खदान संचालक टीम के लोगों का ही कहना है कि सारे नियम बने ही तोड़ने के लिए हैं।।
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शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

एन.जी.टी. और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशो को ताक पर रखकर यूपी के फतेहपुर रामनगर कौहन में धड़ल्ले से मौरंग खनन, प्रशासन मौन

एन.जी.टी. और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशो को ताक पर रखकर
यूपी के फतेहपुर रामनगर कौहन में धड़ल्ले से मौरंग खनन, प्रशासन मौन
 

फतेहपुर - असोथर क्षेत्र के रामनगर कौहन यमुना किनारे गाटा संख्या 144 में खनन के पट्टे की आड़ में अवैध मौरंग खनन धड़ल्ले से हो रहा है। 

खनन की शर्तों के अनुसार खनन शाम सात बजे के बाद रात में नहीं किया जा सकता जबकि रात में होने वाले खनन से अधिकांश मौरंग के वाहन बिना रायल्टी के ही भरे जाते हैं, जिससे काफी भारी मात्रा में सरकारी राजस्व को भी चूना लगाया जा रहा है।

प्रशासन की चुप्पी इस पर सवालियां निशान लगा रही है।
गांव रमसोलेपुर के पास यमुना नदी में खनन पट्टे की आड़ में पट्टाधारक व मौरंग खदान संचालक द्वारा दिन-रात बड़े पैमाने पर यमुना नदी का सीना चीरा जा रहा है।

रात्रि में खनन की पाबंदी के बावजूद भी रात में खनन माफिया अधिक गहराई तक खनन करने वाली हैवी एक दर्जन पोकलैंड मशीनों व जेसीबी मशीन का प्रयोग कर डम्फर व ट्रक दिन रात में मौरंग यमुना नदी से निकालते जा रहे हैं।

यमुना नदी में बेखौफ शासन और प्रशासन से बेपरवाह दिन-रात बेतहाशा खनन कर रहे हैं।

मामले में पूरे जिले के कई आला अधिकारी मौन हैं।
यह हाल उस समय है जब सूबे में पूर्ण बहुमत की योगी सरकार हैं

मौरंग खदानों में शाम सात बजे के बाद नहीं कटती रॉयल्टी ( रवन्ना )


अधिकतर मौरंग खदान से निकलने वाली गाड़ियां शाम सात बजे के बाद ही निकलती हैं ।

इसका कारण यह हैं शाम सात बजे के बाद खनन विभाग का सर्वर डाउन हो जाता है जिसके बाद कोई रॉयल्टी या कोई ट्रक नहीं भरा जा सकता लेकिन रात में बिना रॉयल्टी के सैकड़ो ट्रक भरे जा रहे हैं।

इससे सरकार को हर रोज कई लाख रुपए का राजस्व का चूना लगाया जा रहा है।

कौहन मौरंग खदान से ओवलोड़ मौरंग भर कर निकलते प्रति दिन सैकड़ों हैवी वाहन

बताते चलें कि रामनगर कौहन मौरंग खदान संचालक बेखौफ ओवलोड़ मौरंग दे रहे हैं , अनुमति 9 घन मीटर की, माल भर रहे 30 से 40 घनमीटर शासन ने रॉयल्टी के समय हर गाड़ी में माल भरने की सीमा तय की है जिसमें 10 टायर ट्रक में 9 घनमीटर वह 12 टायर में 12 घनमीटर रेत भर सकते हैं।
ट्रक चालकों को मात्र 9 घनमीटर की रॉयल्टी देकर खदान संचालको द्वारा गाड़ी में तीस से चालीस घनमीटर माल भरते हैं।

जिससे हर दिन शासन को कई लाख रुपए का राजस्व का नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
यह सब खेल प्रशासन व पुलिस की नाक के नीचे हो रहा है।

जानकारों की मानें तो यह सब नियम और कानून को ताक में रखकर खुलेआम पोकलैंड मशीनों से अवैध खनन की  मिलीभगत का खेल सफेदपोश सत्ताशीन नेताओं की सह पर हो रहा हैं।

अगर कही दबाव में आकर कार्यवाही भी की जाती हैं , तो महज औपचारिकता ।
पर्यावरण और प्रकृति से खिलवाड़ करने वाले दिन रात बेतहाशा खनन कर रहे हैं पर्यावरण संरक्षण पर निरंतर खतरा मंडरा रहा हैं , इसके बाद भी विभागीय अफसरशाह मौन साधे बैठें हैं ।

यह विचारणीय प्रश्न हैं ?
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शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

बीजेपी मंडल अध्यक्ष असोथर समेत 5 अन्य पर SC - ST का मुकदमा दर्ज


बीजेपी मंडल अध्यक्ष असोथर समेत 5 अन्य पर SC - ST का मुकदमा दर्ज

फतेहपुर / असोथर - असोथर कस्बे में दिनांक 31- 01 - 2019 को हुई प्रधानपति रामकिंकर व अनुज सिंह के साथ मारपीट व छीना झपटी की घटना के संबंध में आज थानाध्यक्ष असोथर कमलेश कुमार पाल द्वारा दोनों पक्षों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई कर मुकदमा पंजीकृत किया गया ।


ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रामकिंकर अवस्थी ने अपनी गले की चैन अनुज प्रताप सिंह को छीन लेने का आरोप लगाया , प्रधान प्रतिनिधि पक्ष के महावीर रैदास की तहरीर के अनुसार पूर्व में हुई मारपीट दिनांक 16 - 06 - 2016 को गांव के ही अनुज प्रताप सिंह , दीपेश सिंह , मुकेश सिंह , महामाया सिंह , विकास सिंह , शैलेश सिंह , के विरुद्ध थाना असोथर में मुकदमा अपराध संख्या 200 सन 2016 में

  • धारा 147 , 149 , 323 , 504 , 395 आईपीसी व SC - ST एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया था , 


जिसमें विवेचना होने के पश्चात न्यायालय में चार्जशीट प्रेषित की गई थी ,जिसमें महावीर रैदास व उपरोक्त मुकदमे के गवाह रामकिंकर की गवाही होना है जिसमें कल दिनांक 31 - 01 - 2019 को अनुज सिंह , अंकित सिंह , दीपेश सिंह भदौरिया , शिव बदन सिंह ,अन्ननी सिंह , शिव प्रताप सिंह , ने महावीर रैदास व ग्राम प्रधानपति से मारपीट की उपरोक्त प्रकरण पर

  • धारा 147, 323 ,504 ,506 , 392, 3(2)(v) अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति
  • (नृशंसहता निवारण अधिनियम) Sc-st पंजीकृत किया गया 

हीं दूसरे पक्ष के अनुज सिंह की तहरीर पर ग्राम प्रधान पति रामकिंकर अवस्थी पर वह उनके कुछ अज्ञात समर्थकों पर

  • धारा 352 392 , 427 , के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया गया ।


अनुज सिंह का कहना था वह रोज की भांति शाम 7:00 बजे अपनी आढ़त से घर वापसी आ रहे थे तभी रास्ते में रामकिंकर अवस्थी पुत्र गणेश अवस्थी निवासी ग्राम असोथर आपने कुछ समर्थकों के साथ अपने घर के सामने खड़े थे । प्रार्थी की गाड़ी गड्ढा होने की वजह से रुक गई जो कि प्रार्थी का रामकिंकर के साथ पुराना विवाद है और प्रार्थी लगातार रामकिंकर अवस्थी की प्रधान पत्नी के द्वारा की गई अनियमितता की शिकायत करता रहता है उसकी खुन्नस में रामकिंकर अवस्थी ने प्रार्थी ऊपर हमला कर दिया और प्रार्थी के गले की चेन तोड़ दिया और लाठी से प्रार्थी के ऊपर हमला कर दिया वह प्रार्थी की गाड़ी को क्षतिग्रस्त कर दिए प्रार्थी किसी तरह अपनी जान बचाकर असोथर थाना पहुंचा और तुरंत अपने ऊपर हमले की जानकारी दिया ।

वही पूरे मामले पर बीजेपी मंडल अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह ने बताया कि उपरोक्त प्रकरण में उन्हें बेवजह व उनके द्वारा की बीस लाख रुपयें से अधिक कूड़ादान डिब्बों की जांच करवाने के कारण रंजिशन प्रधान प्रतिनिधि रामकिंकर अवस्थी की सह पर फंसाया जा रहा हैं ।
व वह कल हो रही मारपीट के दौरान मौके पर थे ही नहीं ,
वह पूरे मामले को आला अधिकारियों को अवगत करवाएंगे इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाएंगे ।

पूरे मामले पर थानाध्यक्ष असोथर का कहना हैं , की पूरे प्रकरण की जांच क्षेत्राधिकारी थरियांव रामप्रकाश के द्वारा की जा रही हैं , जांच उपरांत दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जाएंगी ।
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