बुधवार, 30 मई 2018

आत्म गौरव न्यूज़ .कॉम की ओर से हिंदी पत्रकारिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

आत्म गौरव न्यूज़ .कॉम की ओर से हिंदी पत्रकारिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ..

हिंदी पत्रकारिता दिवस 30 मई को मनाया जाता है। 


आज ही के दिन 1826 में पंडित युगुल किशोर शुक्ल ने प्रथम हिन्दी समाचार पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' का प्रकाशन व संपादन आरम्भ किया था। 
इस प्रकार भारत में हिंदी पत्रकारिता की आधारशिला पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने डाली थी। 
वे यूपी के कानपुर संयुक्त प्रदेश (कानपुर उस समय एक संयुक्त प्रदेश था) के निवासी थे।

उदंत मार्तण्ड हिंदी का प्रथम समाचार पत्र था जिसका प्रकाशन 30 मई, 1826 को कलकत्ता से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में आरंभ हुआ था। उस समय अंग्रेज़ी, फारसी और बांग्ला में तो अनेक पत्र निकल रहे थे किंतु हिंदी में एक भी पत्र प्रकाशित नहीं होता था। 
प्रारंभिक रूप में इसकी केवल 500 प्रतियां ही मुद्रित हुई थीं पर इसके पाठक कलकत्ता से बहुत दूर होने के कारण इसका प्रकाशन लम्बे समय तक न चल सका क्योंकि उस समय कलकत्ता में हिंदी भाषियों की संख्या बहुत कम थी व डाक द्वारा भेजे जाने वाले इस पत्र के खर्चे इतने बढ़ गए कि इसे अंग्रेज़ों के शासन में चला पाना असंभव हो गया। 
अंतत: 4 दिसम्बर 1826 को इसके प्रकाशन को विराम देना पड़ा।
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गुरुवार, 11 जनवरी 2018

(R.T.I) बहुत ही सरल व आसान जाने क्या हैं ? सूचना का अधिकार

सूचना के अधिकार के अर्न्तगत कौन से अधिकार आते हैं?
सूचना का अधिकार 2005 प्रत्येक नागरिक को शक्ति प्रदान करता है कि वो: 

सरकार से कुछ भी पूछे या कोई भी सूचना मांगे.
किसी भी सरकारी निर्णय की प्रति ले.
किसी भी सरकारी दस्तावेज का निरीक्षण करे.
किसी भी सरकारी कार्य का निरीक्षण करे.
किसी भी सरकारी कार्य के पदार्थों के नमूने ले. 



अपनी अर्जी मैं कहाँ जमा करुँ?

आप ऐसा पीआईओ या एपीआईओ के पास कर सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में, 629 डाकघरों को एपीआईओ बनाया गया है. अर्थात् आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आरटीआई पटल पर अपनी अर्जी व फीस जमा करा सकते हैं. वे आपको एक रसीद व आभार जारी करेंगे और यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वो उसे उचित पीआईओ के पास भेजे.


क्या इसके लिए कोई फीस है?
 मैं इसे कैसे जमा करुँ?

हाँ, एक अर्ज़ी फीस होती है. केंद्र सरकार के विभागों के लिए यह 10रु. है. हालांकि विभिन्न राज्यों ने भिन्न फीसें रखीं हैं. सूचना पाने के लिए, आपको 2रु. प्रति सूचना पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देना होता है. यह विभिन्न राज्यों के लिए अलग- अलग है. इसी प्रकार दस्तावेजों के निरीक्षण के लिए भी फीस का प्रावधान है. निरीक्षण के पहले घंटे की कोई फीस नहीं है लेकिन उसके पश्चात् प्रत्येक घंटे या उसके भाग की 5रु. प्रतिघंटा फीस होगी. यह केन्द्रीय कानून के अनुसार है. प्रत्येक राज्य के लिए, सम्बंधित राज्य के नियम देखें. आप फीस नकद में, डीडी या बैंकर चैक या पोस्टल आर्डर जो उस जन प्राधिकरण के पक्ष में देय हो द्वारा जमा कर सकते हैं. कुछ राज्यों में, आप कोर्ट फीस टिकटें खरीद सकते हैं व अपनी अर्ज़ी पर चिपका सकते हैं. ऐसा करने पर आपकी फीस जमा मानी जायेगी. आप तब अपनी अर्ज़ी स्वयं या डाक से जमा करा सकते हैं.



क्या सूचना प्राप्ति की कोई समय सीमा है?

हाँ, यदि आपने अपनी अर्जी पीआईओ को दी है, आपको 30 दिनों के भीतर सूचना मिल जानी चाहिए. यदि आपने अपनी अर्जी सहायक पीआईओ को दी है तो सूचना 35 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए. उन मामलों में जहाँ सूचना किसी एकल के जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करती हो, सूचना 48 घंटों के भीतर उपलब्ध हो जानी चाहिए.


मुझे सूचना प्राप्ति के पश्चात् क्या करना चाहिए?

इसके लिए कोई एक उत्तर नहीं है. यह आप पर निर्भर करता है कि आपने वह सूचना क्यों मांगी व यह किस प्रकार की सूचना है. प्राय: सूचना पूछने भर से ही कई वस्तुएं रास्ते में आने लगतीं हैं. उदाहरण के लिए, केवल अपनी अर्जी की स्थिति पूछने भर से आपको अपना पासपोर्ट या राशन कार्ड मिल जाता है. कई मामलों में, सड़कों की मरम्मत हो जाती है जैसे ही पिछली कुछ मरम्मतों पर खर्च हुई राशि के बारे में पूछा जाता है. इस तरह, सरकार से सूचना मांगना व प्रश्न पूछना एक महत्वपूर्ण चरण है, जो अपने आप में कई मामलों में पूर्ण है.

लेकिन मानिये यदि आपने आरटीआई से किसी भ्रष्टाचार या गलत कार्य का पर्दाफ़ाश किया है, आप सतर्कता एजेंसियों, सीबीआई को शिकायत कर सकते हैं या एफ़आईआर भी करा सकते हैं. लेकिन देखा गया है कि सरकार दोषी के विरुद्ध बारम्बार शिकायतों के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं करती. यद्यपि कोई भी सतर्कता एजेंसियों पर शिकायत की स्थिति आरटीआई के तहत पूछकर दवाब अवश्य बना सकता है. हांलांकि गलत कार्यों का पर्दाफाश मीडिया के जरिए भी किया जा सकता है. हांलांकि दोषियों को दंड देने का अनुभव अधिक उत्साहजनक है. लेकिन एक बात पक्की है कि इस प्रकार सूचनाएं मांगना और गलत कामों का पर्दाफाश करना भविष्य को संवारता है. अधिकारियों को स्पष्ट सन्देश मिलता है कि उस क्षेत्र के लोग अधिक सावधान हो गए हैं और भविष्य में इस प्रकार की कोई गलती पूर्व की भांति छुपी नहीं रहेगी. इसलिए उनके पकडे जाने का जोखिम बढ जाता है.



निवेदक गौरव सिंह गौतम सम्पादक किसी भी जानकारी या "www.aatmgauravnews.blogspot.com  से जुड़ने के लिये लॉगिन करें या सिर्फ सुबह 10 से शाम 5 बजे तक फोन करके ही बात करें या आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगती है तो इस नम्बर को अपने ग्रुप में जोड़ने का कष्ट करें।
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