सोमवार, 22 अक्तूबर 2018

बुंदेलखंड का रॉबिनहुड या डकैत ...


                  बुंदेलखंड का रॉबिनहुड या डकैत

✍ गौरव सिंह मुख्य सम्पादक

बुंदेलखंड ( चित्रकूट ) - उत्तर प्रदेश के जनपद चित्रकूट में रैपुरा क्षेत्र के देवकली गांव में राम प्यारे पटेल का बड़ा बेटा शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ ने 32 साल तक बागी जीवन व्यतीत किया। ददुआ के बारे में यह एक बात और रोचक है कि वह 32 साल के डकैत करियर के दौरान कभी पुलिस के हाथ नहीं लगा। वह पहला डकैत था जो 32 साल तक आतंक करता रहा, लेकिन पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाई थी। 

बताया जाता है कि पिता की मौत का बदला लेने के लिए ही ददुआ ने हथियार उठाया था और आठ लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।

राजनीतिक गलियारों में बुन्देलखण्ड की पूरी डोर चाहे वो विधानसभा हो या लोकसभा , नगर पंचायत हो या नगर पालिका ,जिला पंचायत अध्यक्ष हो या ग्राम प्रधान हो सभी का निर्णय ददुआ की अनुमति के बगैर नहीं होता था। एक पक्ष जो आतंक के इस पर्याय को औरों से अलग करता है, वो ये की पूरे क्षेत्र में एक बात लगभग हर मुह से कही जाती है कि 'ददुआ कभी गरीबों पर जुल्म नहीं करता था, बल्कि उनकी ज्यादा से ज्यादा मदद ही करता था, जिसके कारण उसे 'भारत के रॉबिनहुड' की भी संज्ञा दी जाती थी।

1992 में इलाहाबाद, बांदा और फतेहपुर के संयुक्त पुलिस अभियान में दस्यु सरगना फतेहपुर में धाता क्षेत्र के घटईपुर और नरसिंहपुर कबरहा गांव के बीच गन्ने के खेतों में फंस गया था। उस समय ददुआ के साथ करीब 72 डकैत साथी मौजूद थे। इस घेराबंदी में पुलिस के 500 जवान नियुक्त थे। ददुआ के विधायक पुत्र वीर सिंह ने बताया कि अपने को पूरी तरह से घिरा पाकर ददुआ ने संकल्प लिया था कि यदि मैं बच जाता हूं तो पंचमुखी हनुमान मन्दिर की स्थापना करूंगा और ददुआ बाल-बाल बच गया। इसके बाद 1996 में ददुआ ने उसी स्थान पर मन्दिर की स्थापना की थी। 2004 में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति बिठाकर प्राण प्रतिष्ठा की थी।

धाता फतेहपुर में बना दस्यु सम्राट ददुआ का मंदिर

दस्यु सरगना के बढते आतंक से परेशान उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसको जिंदा अथवा मुर्दा पकडने के एवज में सात लाख रुपये का ईनाम घोषित किया था। घोषणा के समय केवल स्केच द्वारा बनाया गया काल्पनिक चित्र ही पत्रकारों को दिया गया था। इसके बाद फरवरी 2007 में चित्रकूट स्थित घनघोर जगमल के जंगल में एसटीएफ की मुठभेड में दस्यु ददुआ दस डकैतों के साथ मारा गया। दस्यु ददुआ के मारे जाने के 24 घंटे के अंदर उसके शिष्य डकैत अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया ने उन छह एसटीएफ जवानों को घात लगाकर मार दिया जो ददुआ को मारे जाने वाले पुलिस दल में शामिल थे।

आस -पास के गांवों में जहा एक वर्ग उसे मसीहा मानता है वही एक वर्ग उसे डकैत की संज्ञा देता है इसलिए ये निष्कर्ष निकाल पाना बेहद मुश्किल है कि वास्तव में उसे रॉबिनहुड कहा जाना चाहिए या फिर एक डकैत....

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