शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

एन.जी.टी. और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशो को ताक पर रखकर यूपी के फतेहपुर रामनगर कौहन में धड़ल्ले से मौरंग खनन, प्रशासन मौन

एन.जी.टी. और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशो को ताक पर रखकर
यूपी के फतेहपुर रामनगर कौहन में धड़ल्ले से मौरंग खनन, प्रशासन मौन
 

फतेहपुर - असोथर क्षेत्र के रामनगर कौहन यमुना किनारे गाटा संख्या 144 में खनन के पट्टे की आड़ में अवैध मौरंग खनन धड़ल्ले से हो रहा है। 

खनन की शर्तों के अनुसार खनन शाम सात बजे के बाद रात में नहीं किया जा सकता जबकि रात में होने वाले खनन से अधिकांश मौरंग के वाहन बिना रायल्टी के ही भरे जाते हैं, जिससे काफी भारी मात्रा में सरकारी राजस्व को भी चूना लगाया जा रहा है।

प्रशासन की चुप्पी इस पर सवालियां निशान लगा रही है।
गांव रमसोलेपुर के पास यमुना नदी में खनन पट्टे की आड़ में पट्टाधारक व मौरंग खदान संचालक द्वारा दिन-रात बड़े पैमाने पर यमुना नदी का सीना चीरा जा रहा है।

रात्रि में खनन की पाबंदी के बावजूद भी रात में खनन माफिया अधिक गहराई तक खनन करने वाली हैवी एक दर्जन पोकलैंड मशीनों व जेसीबी मशीन का प्रयोग कर डम्फर व ट्रक दिन रात में मौरंग यमुना नदी से निकालते जा रहे हैं।

यमुना नदी में बेखौफ शासन और प्रशासन से बेपरवाह दिन-रात बेतहाशा खनन कर रहे हैं।

मामले में पूरे जिले के कई आला अधिकारी मौन हैं।
यह हाल उस समय है जब सूबे में पूर्ण बहुमत की योगी सरकार हैं

मौरंग खदानों में शाम सात बजे के बाद नहीं कटती रॉयल्टी ( रवन्ना )


अधिकतर मौरंग खदान से निकलने वाली गाड़ियां शाम सात बजे के बाद ही निकलती हैं ।

इसका कारण यह हैं शाम सात बजे के बाद खनन विभाग का सर्वर डाउन हो जाता है जिसके बाद कोई रॉयल्टी या कोई ट्रक नहीं भरा जा सकता लेकिन रात में बिना रॉयल्टी के सैकड़ो ट्रक भरे जा रहे हैं।

इससे सरकार को हर रोज कई लाख रुपए का राजस्व का चूना लगाया जा रहा है।

कौहन मौरंग खदान से ओवलोड़ मौरंग भर कर निकलते प्रति दिन सैकड़ों हैवी वाहन

बताते चलें कि रामनगर कौहन मौरंग खदान संचालक बेखौफ ओवलोड़ मौरंग दे रहे हैं , अनुमति 9 घन मीटर की, माल भर रहे 30 से 40 घनमीटर शासन ने रॉयल्टी के समय हर गाड़ी में माल भरने की सीमा तय की है जिसमें 10 टायर ट्रक में 9 घनमीटर वह 12 टायर में 12 घनमीटर रेत भर सकते हैं।
ट्रक चालकों को मात्र 9 घनमीटर की रॉयल्टी देकर खदान संचालको द्वारा गाड़ी में तीस से चालीस घनमीटर माल भरते हैं।

जिससे हर दिन शासन को कई लाख रुपए का राजस्व का नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
यह सब खेल प्रशासन व पुलिस की नाक के नीचे हो रहा है।

जानकारों की मानें तो यह सब नियम और कानून को ताक में रखकर खुलेआम पोकलैंड मशीनों से अवैध खनन की  मिलीभगत का खेल सफेदपोश सत्ताशीन नेताओं की सह पर हो रहा हैं।

अगर कही दबाव में आकर कार्यवाही भी की जाती हैं , तो महज औपचारिकता ।
पर्यावरण और प्रकृति से खिलवाड़ करने वाले दिन रात बेतहाशा खनन कर रहे हैं पर्यावरण संरक्षण पर निरंतर खतरा मंडरा रहा हैं , इसके बाद भी विभागीय अफसरशाह मौन साधे बैठें हैं ।

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