✍ गौरव सिंह गौतम (मुख्य संपादक आत्म गौरव न्यूज़ .कॉम)
आजादी की बात हुई पर क्रांति बुझी है आंखों में ,
चरखों को चिंगारी मिलती वीर मिट गए राखो में ,
जंग लगा दी वीरों के वीर उन फौलादी हथियारों को ,
दफन कर दिया गांधी ने जब इंकलाब के नारों को ,
तब भारत मां के आंचल ने जन्म दिया कुछ पूतों को ,
और चुनौती कर दी गोरों की काली करतूतों को ,
जगरानी के घर में जन्मा चंद्रशेखर था नाम हुआ ,
अंग्रेजों के दुर्दिन हालत का वही परिणाम हुआ ,
पंडित जी का अजब हौसला चढ़ बैठा था जोरों पर ,
तांव ठोकते मूछों पे और गोली ठोकी गोरों पर ,
इंकलाब को जिंदा कर के वचन दिया इस माटी को ,
बंदूकों से बदल दिया जब बूढ़ी अबला लाठी को ,
बासंती बेलों से सब सजा रहे थे क्यारी को ,
बात नहीं यह भाई भारत में बैठी गद्दारी को ,
लगा दिया जयचंदी कुनबा पंडित जी की राहों पर ,
और पकड़ ले जाएंगे उन अंग्रेजों की बाहों में ,
चंद्रशेखर के माथे पर जो तिलक लगा सिंदूरी था ,
गद्दारी के खातिर उन को मरवाना मजबूरी था ,
केवल एक बंदूक लिए पंडितजी इलाहाबाद गए ,
और चुनौती को आनंद भवन के ऊपर लाद गए ,
गूंज उठी वह मिट्टी जब अंग्रेजों की गोली से ,
पंडित जी ने तिलक किया जब उस मिट्टी की रोली से ,
और तमंचा बढ़ा दिया था अंग्रेजों की छाती पर ,
शुरू हुआ तब इंकलाब इस शष्यामला माटी पर ,
वक्त रो दिया इतने में ही आजादी की होली में ,
आजादी की जंग बची थी बस उनकी एक गोली में ,
आजादी का जश्न चला था जंजीरे कमजोर थी ,
और तमंचे की नाली उनके माथे की ओर थी ,
आजादी के दीवाने ने अपनी उंगली मोड़ी थी ,
अंग्रेजों की सारी मेहनत आजादी से तोड़ी थी ,
अमर हो गया आजादी का मधुर तराना छोड़ गया ,
चंद्रशेखर आजाद हो गया इंकलाब को फ़ोड़ गया ,
झूठे चरखों के धागों से भारत जिंदाबाद रहा ,
गांधी जेल गए लेकिन आजाद सदा आजाद रहा ।।
अंत मे एक फिर महापुरुष को गौरव का शत शत नमन 💐