मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

केवल 72 घंटों में पुरानी से पुरानी डायबिटिज को खत्म कर देगी मूली-खाने का सही तरीका जान लीजिए


केवल 72 घंटों में पुरानी से पुरानी डायबिटिज को खत्म कर देगी मूली-खाने का सही तरीका जान लीजिए



सभी डायबिटीज को बीमारी मानते हैं पर मशहूर मेडिकल न्यूट्रीशनिस्ट डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी की मानें तो ऐसा बिलकुल नहीं है। वियतनाम, बांग्लादेश, मलेशिया, स्विट्जरलैंड जैसे कई देशों में सेंटर चला रहे डॉ. चौधरी का दावा है कि डायबिटीज कोई बीमारी है ही नहीं। वे इसे सिर्फ एक मेडिकल कंडीशन यानी चिकित्सकीय अवस्था मानते हैं जो जीवनशैली में बदलाव करके ठीक रखी जा सकती है।



उनका मानना है कि डायबिटीज हो जाए तो पूरी तरह से दवाइयों पर निर्भर न रहें। शहर में तीन दिन तक लोगों को खाने-पीने की आदतों के बारे में जागरूक करने वाले डॉ. चौधरी ने हिंदी अखबार दैनिक भास्कर से कई मुद्दों पर खास बातचीत की। वो नुस्खा जिससे वे बिना दवाई सिर्फ 72 घंटे में डायबिटीज को ठीक करने का दावा करते हैं: डॉ. चौधरी कहते हैं कि अगर आपको डायबिटीज है तो अपनी दिनचर्या में नीचे दिए तीन बदलाव करें:

पहला बदलाव: हर रोज दोपहर 12 बजे से पहले अपने वजन का 10 प्रतिशत या कम से कम 700 ग्राम फल खाएं। फल आपकी पसंद के, मौसमी या किसी भी तरह के हो सकते हैं। उनमें वैराइटी हो तो ज्यादा अच्छा। दूसरा बदलाव: लंच और डिनर से पहले कम से कम 350 ग्राम कच्ची सब्जियां खाएं। गाजर, मूली, टमाटर, खीरा या जो कुछ और आपको पसंद हो, उसे धोकर कच्चा खा सकते हैं। तीसरा बदलाव: मिल्क प्रॉडक्ट और पैकेज्ड फूड छोड़ दीजिए। दूध, दहीं, पनीर, छाछ और इनसे बनी चीजों के साथ डिब्बा बंद चीजों से भी परहेज करें।



डायबिटीज पर डॉ. चौधरी से विस्तार से हुई बातचीत के कुछ अंश….

सवाल: डायबिटीज को आप बीमारी क्यों नहीं मानते हैं?

डॉ. चौधरी: ऐसा इसलिए है कि डायबिटीज को आज तक किसी रूप में बीमारी का दर्जा नहीं मिला है। ये सिर्फ खून में शुगर के लेवल का बढ़ना है और कुछ नहीं। ये किसी के साथ भी और कभी भी हो सकता है। मैं इसे मेडिकल कंडीशन इसीलिए कहता हूं क्योंकि ये टेम्पररी है। मान लीजिए, आप दौड़ने लगें और कोई ब्लड प्रेशर नापे तो उस समय ज्यादा ही निकलेगा। ऐसे में उसे बीमारी नहीं कह सकते।

सवाल: आसान भाषा में डायबिटीज के दो रूपों टाइप 1 और टाइप 2 में क्या फर्क है?

डॉ. चौधरी: टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के दो रूप हैं। इनमें से टाइप-1 ज्यादा गंभीर है क्योंकि ये बच्चों को ज्यादा प्रभावित करती है। टाइप-2 के साथ इतनी परेशानी नहीं जितनी की टाइप-1 के साथ। ऐसे में एक बार बच्चा इंसुलिन पर निर्भर हो जाए तो फिर जिंदगीभर की परेशानी हो सकती है। आसान भाषा में, दोनों ही स्थितियां गंभीर हैं लेकिन टाइप-1 बच्चे को असहाय बना सकती है। हमारे पास कई ऐसे बच्चे आते हैं जिनकी ब्लड शुगर बहुत बढ़ी होती है और ऐसे में अगर वो इंसुलिन की बजाए अपनी डाइट से स्थिति को सुधारे तो ज्यादा बेहतर नतीजे हो सकते हैं।



सवाल: डायबिटीज और मोटापे का क्या संबंध है? क्या ये पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाली समस्या है?

डॉ. चौधरी: डायबिटीज और मोटापे का कोई खास संबंध नहीं, पर मैं फिर से इसे लाइफस्टाइल के कारण होने वाली समस्या कहूंगा, पर ये वंशानुगत या पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाली नहीं है। मान लीजिए किसी के परिवार में उनके दादा या पड़दादा की मौत डायबिटीज के कारण हुई तो इसका मतलब ये नहीं कि उसे भी डायबिटीज होगी। हां, ये बात जरूर है कि अगर आपकी लाइफस्टाइल खराब है तो इस बात की आशंका ज्यादा हो जाती है कि आप डायबिटीज का शिकार हो जाएं। लाइफस्टाइल में खराबी से ही हार्ट और डायबिटीज जैसी समस्याएं होती है।



सवाल: क्यों पता नहीं चलता कि आप कब डायबिटीज का शिकार हो गए?

डॉ. चौधरी: पता चलता है, लेकिन लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है। जैसे वजन कम होने लगे, ज्यादा पेशाब आए, पेशाब के आसपास चींटियां दिखें, थकान लगे, उनींदापन लगे। ये ऐसे लक्षण हैं जिनसे पता चलता है कि आपकी लाइफस्टाइल में कोई बड़ी समस्या हो चुकी है या होने वाली है। वास्तव में हमें समझ तो सब आता है पर आलस या लापरवाही या फिर किसी धारणा के कारण हम अपनी दिनचर्या और जीवनशैली पर ध्यान नहीं देते।

सवाल: आप 72 घंटे में डायबिटीज से छुटकारे का दावा करते हैं ? ऐसा कोई और क्यों नहीं करता ?

डॉ. चौधरी: हां, मैं करता हूं और इसलिए करता हूं कि मुझे यकीन है कि ऐसा हो सकता है। मैंने करके भी दिखाया और मैं तो आज-अभी कहता हूं, आपके माध्यम से कहता हूं कि ऐसा संभव है। मैं तो यही कहता हूं कि आप सिर्फ ऊपर दिए तीन स्टेप को फॉलो कीजिए आपकी डायबिटीज हमेशा के लिए दूर हो जाएगी। मैं आपको खाना खाने से मना नहीं कर रहा हूं। इतना करेंगे तो आपको डायबिटीज की दवाएं बंद करनी पड़ेंगी। तीन दिन में इंसुलिन का डोज छूट सकता है।

सवाल: आपको कुछ लोग फ्रॉड बताते हैं, आपका विरोध करते हैं? ऐसा क्यों है?

डॉ. चौधरी: दरअसल, इसके पीछे वे लोग हैं जो डायबिटीज पीड़ितों को दवाओं पर आश्रित बनाए रखना चाहते हैं। मैं जहां भी जाता हूं मेरे तरीकों का विरोध होता है। कभी आईएमए तो कभी एफडीए के लोग विरोध करते हैं। मेरे कार्यक्रमों में बाधा डाली जाती है। मेरे साथ तो ये रोज की कहानी है। मीडिया के जरिए मुझ पर आरोप लगाए जाते हैं। लेकिन, मैं कहता हूं कि आप सामने आइए। सामने आकर मुझसे बात कीजिए। मैं तो आपके माध्यम से चैलेंज करता हूं कि मुझे बुलाओ और आप मुझे डायबिटीज के 10 मरीज देकर सिर्फ तीन दिन में नतीजे देख लीजिए। मैं तो सीधे साबित करने की बात कर रहा हूं। मैं तो डॉक्टर बिरादरी से कहता हूं कि आइए, साथ मिलकर काम करें। आपका और मेरा मकसद एक ही है कि अपने देश पर लगे वर्ल्ड कैपिटल ऑफ डायबिटीज के कलंक को मिटाना है। मैं अकेले भोपाल में ऐसे 500 लोग बता सकता हूं जो मेरे फार्मूले से ठीक हुए हैं। वे लोग खुद ही बोलेंगे।

सवाल: क्या आपकी रिसर्च और काम को को दुनिया में कहीं प्रमाणित किया गया है?

डॉ. चौधरी: हां, ये प्रमाणित है। डायबिटीज पर की हुई मेरी रिसर्च ‘जर्नल ऑफ मेटाबोलिक सिम्प्टम’ में प्रकाशित हुई है। इसी के साथ जो रिसर्च मैंने किया वही कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने भी किया है। कैंब्रिज के शोधकर्ताओं ने भी यहीं बताया है जो मैं बता रहा हूं। मैं कुछ अलग या गलत नहीं बता रहा हूं। अगर कुछ सच है तो सब एक ही तरह से बोलेंगे।

Input : Live Bavaal
Continue reading

मात्र 5 दिन खा लें पीपल का पत्ता,जिंदगी में कभी नहीं आएगा हार्टअटैक-खाने का सही तरीका जान लीजिए


मात्र 5 दिन खा लें पीपल का पत्ता,जिंदगी में कभी नहीं आएगा हार्टअटैक-खाने का सही तरीका जान लीजिए


हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बताने जा रहे है जिसके पत्तों के प्रयोग से हार्ट अटैक जैसी बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं आपको फिर कभी हार्ट अटैक का डर नही सताएगा।



इस पत्ती का 5 दिन आप नियमित रूप से प्रयोग करेंगे तो आपको कभी भी हार्ट अटैक की समस्या नही होगी क्योंकि जीवन से बढ़कर कुछ नही है और भी जो बीमारियां है उनके लिए भी सहायक है ये पत्तियां जो आपकी बीमारियों को खत्म कर देगी यह पत्तियां इतनी लाभकारी है कि आपके हर रोग को खत्म कर सकती है। तो चलिये जानते है इस पत्ती का नाम। जिस पत्ती की बात कर रहे थे वो पीपल की पत्ती है।


पीपल की पत्ती से अनेको फायदे है जो हमारे शरीर को फायदा पहुँचाते हैं।यदि किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक की शिकायत हो तो वह इस पीपल की पत्ती का सेवन करे यह समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी और दुबारा होने की संभावना नही रहेगी लेकिन इसकी पत्तियों का नियमित तरीके से ही सेवन करे और फिर इसके फायदे आपको पता चलेंगे।

पीपल की 10 से 12 हरी पत्तियो अर्थात कोमल पत्तियां लेनी है और फिर इन पत्तियों को 1 गिलास पानी मे उबाल लीजिये और इसको तबतक उबालते रही जब पानी का एक तिहाई हिस्सा न हो जाए जब पानी एक तिहाई ठंडा हो जाये तो इसे छानकर तीन भागों में कर ले फिर इस आपको 3 से 4 घण्टे के अंतराल पर सुबह और शाम को पीना है। लगातार इसे 5 दिन तक पीना है इससे हार्ट अटैक सम्बंधित बीमारी से आप हमेशा के लिए छुट्टी पा जाएंगे और भी शरीर की बीमारियां भी खत्म हो जाएंगी यदि कोई व्यक्ति इस बीमारी से परेशान है तो पीपल की कोमल पत्ती का काढ़ा बना कर पी सकता है जो कि बिल्कुल भी नुकसान नही करता।

Input : Live Bavaal
Continue reading

आंवला से पुरानी से पुरानी बवासीर को 72 घंटे में होती हैं ठीक ..बस खाने का सही तरीका जान लीजिए

 
आंवला से पुरानी से पुरानी बवासीर को 72 घंटे में होती हैं ठीक ..बस खाने का सही तरीका जान लीजिए

आंवला को हर मर्ज की दवा भी कहा जाता है। कहते हैं, बुजुर्गो की बात का और आंवले के स्वाद का पता बाद में चलता है।
आंवला को प्राचीन आयुर्वेदिक प्रणाली में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए लगभग पांच हजार साल से प्रयोग किया जा रहा है। इसका नियमित सेवन दिल की बीमारी, मधुमेह, बवासीर, अल्सर, दमा, ब्रॉन्काइटिस तथा फेफड़ों की बीमारी में राम बाण का काम करता है।



पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आंवला के सेवन से बुढ़ापा दूर रहता है, यौवन बरकरार रहता है, पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है, आंखों की रोशनी, स्मरणशक्ति बढ़ती है, त्वचा और बालों को पोषण प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि दीर्घायु के लिए आंवला चूर्ण रात के समय घी, शहद अथवा पानी के साथ सेवन करना चाहिए। इसी तरह आंवला चूर्ण 3 से 6 ग्राम लेकर आंवले के स्वरस और 2 चम्मच मधु और 1 चम्मच घी के साथ दिन में दो बार चटाकर दूध पीयें, इससे बुढ़ापा जाता है, यौवनावस्था प्राप्त होती है।

उन्होंने कहा कि आंवला, रीठा, शिकाकाई तीनों का काथ बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम, घने और लंबे होते हैं। सूखे आंवले 30 ग्राम, बहेडा 10 ग्राम, आम की गुठली की गिरी 50 ग्राम और लोह चूर्ण 10 ग्राम रातभर कढ़ाई में भिगोकर रखें तथा बालों पर इसका प्रतिदिन लेप करने से छोटी आयु में श्वेत हुए बाल कुछ ही दिनों में काले पड़ जाते हैं। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आंवले के 20 मिलीलीटर रस में 5 ग्राम शक्कर और 10 ग्राम शहद पीने से योनिदाह में अत्यंत आराम होता है। इसी तरह आंवले के बीज 3 से 6 ग्राम जल में ठंडाई की तरह पीस-छानकर उसमें शहद व मिश्री मिलाकर पिलाने से तीन दिन में ही श्वेतप्रदर में विशेष लाभ होता है।



कुछ बीमारियों में आंवले के प्रयोग की विधि : नेत्ररोग : 20-50 ग्राम आंवलों को जौकुट कर दो घंटे तक आधा किलोग्राम पानी में औटाकार उस जल को छानकर दिन में तीन बार आंखों में डालने से नेत्र रोगों में लाभ मिलता है।

नकसीर : जामुन, आम तथा आंवले को बारीक पीसकर मस्तक पर लेप करने से नासिका में प्रवृत रक्त रुक जाता है।

स्वर भेद : अजमोदा, हल्दी, आंवला, यवक्षर, चित्राक, इनको समान मात्रा में मिला लें, 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु तथा 1 चम्मच घृत के साथ चाटने से स्वर भेद दूर होता है।

हिचकी : आंवला रस 10-20 ग्राम और 2-3 ग्राम पीपर का चूर्ण 2 चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है। वमन : हिचकी तथा उल्टी में आंवले का 10-20 मिलीलीटर रस 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। यह दिन में दो-तीन बार दिया जा सकता है।



अम्लपित्त : 1-2 नग ताजा आंवला मिश्री के साथ या आंवला स्वरस 25 ग्राम समभाग शहद के साथ सुबह-शाम लेने से खट्टी डकारें, अमल्पित्त की शिकायतें दूर हो जाती हैं। पीलिया : यकृत की दुर्बलता व पीलिया निवारण के लिए आंवले को शहद के साथ चटनी बनाकर सुबह-शाम लिया जाना चाहिए।

कब्ज : यकृत बढ़ने, सिरदर्द, कब्ज, बवासीर व बदहजमी रोग से आंवला से बने त्रिफला चूर्ण को प्रयोग किया जाता है।

बवासीर : आंवला को पीसकर उस पीठी को एक मिट्टी के बर्तन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बरतन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है। बवासीर के मस्सों से अधिक रक्तस्राव होता हो, तो 3 से 8 ग्राम आंवला चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में दो-तीन बार करना चाहिए। ऐसा करने से 72 घंटों में पुराने से पुरानी बवासीर ठीक हो जाएगी

अतिसार : 5-6 नग आंवलों को जल में पीसकर रोगी की नाभि के आसपास लेप कर दें और नाभि की थाल में अदरक का रस भर दें। इस प्रयोग से अत्यन्त भयंकर अतिसार का भी नाश होता है। कुष्ठ : आंवला और नीम के पत्ते को समभाग में महीन चूर्ण करें। इसे 2 से 6 ग्राम या 10 ग्राम तक रोजाना सुबह चाटने से भयंकर गलित कुष्ठ में भी शीघ्र लाभ होता है।

खुजली : आंवले की गुठली को जलाकर भस्म करें और उसमें नारियल तेल मिलाकर गीली या सूखी किसी भी प्रकार की खुजली पर लगाने से लाभ होता है।
Continue reading

रविवार, 1 अक्तूबर 2017

सेंधा नमक : भारत से कैसे गायब कर दिया गया?



आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ??
आइये आज हम आपको बताते हैं 
कि नमक मुख्य कितने प्रकार होते हैं।
एक होता है 
समुद्री नमक 
दूसरा होता है  सेंधा नमक (rock salt)। 
सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है।
पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक' आदि आदि नाम से जाना जाता है ।
जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है।
वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है।
यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन सहायक, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है। इससे पाचक रस बढ़ते हैं।
तों आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति निर्मित है, ईश्वर का बनाया हुआ है। सदैव याद रखे इंसान शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता।

भारत मे सन 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनियां भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है, उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली-भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है। हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों-अनपूर्णा, कैपटन कुक आदि ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था??  खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि... बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई। और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था। उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।

दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले ban कर दिया। अमेरिका मे नहीं है,जर्मनी मे नहीं है, फ्रांस मे नहीं, डेन्मार्क मे नहीं है। डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आओडीन युक्त नमक बैन कर दिया...क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमनेे आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत मे बिक नहीं सकता। वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।

आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ।

सेंधा नमक के फ़ायदे:

सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है । क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अम्ल मे मिलती है तो वो न्यूट्रल हो जाता है और रक्त अम्लता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ।

ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास, व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??

सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है! इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis)  का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।

यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।

क्या ? समुद्री नमक के भयंकर नुकसान 

इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है !
क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है।
अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है ।
दूसरा होता है “industrial iodine”  ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है।
जिससे बहुत सी गंभीर बीमरिया हम लोगो को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है।
हालांकि इस बात को मैं लेखक व हमारी न्यूज़ टीम नुकसान या फायदे की प्रमाणिकता नही दे रहे पर इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह खबर हैं ।


Continue reading