बुधवार, 29 अगस्त 2018

Sonalika Tractors contributes Rs. 1 crore along with 5 tractors towards rebuilding Kerala

Sonalika Tractors contributes Rs. 1 crore along with 5 tractors towards rebuilding Kerala
tractor news
New Delhi, 29th August 2018: India’s youngest & fastest growing tractor brand, Sonalika International Tractors Limited today donated Rs.1 crore towards Kerala’s Flood Relief Fund. Along with this the company also contributed 5 multi-purpose heavy duty tractors, which will be used in the restoration activities.
Sonalika, being customer-centric & society focused brand, is committed to provide relief and rehabilitation to the people who were affected by the devastation caused by torrential rains and floods.
Mr. Raman Mittal, Executive Director, Sonalika Group said, “We at Sonalika, feel emotionally bonded towardsthe community and are committed to support in rebuilding of Kerala. Beyond this contribution of Rs.1 crore& 5 tractors we are committed to contribute in every possible way for restoration of the devastated infrastructure and helping rebuild lives of the affected people.”
Mr. Mudit Gupta, President, Sonalika Group presenting the contribution to Shri PinarayiVijayan, Chief Minister of Kerala.
About Sonalika International Tractors Limited
Being farmer centric at its core, India’s youngest and fastest growing tractor brand, Sonalika International Tractors Limited has built the World’s No.1 largest integrated tractor manufacturing plant in Hoshiarpur. This world class plant is fully equipped to manufacture each component required in making of a tractor- from sheet metal to the whole tractor. Being India’s youngest and fastest growing tractor brand, Sonalika ITL export tractors to over 100 countries and holds leadership position across 4 countries. The company in India stand strong as the 3rd largest tractor manufacturing company growing rapidly by providing best customized solutions. 
With the understanding that each farmer growing different crops have different needs Sonalika offers customized solutions in the widest heavy duty product range from 20-120HP. This farmer centric approach acts as an enabler to earn trust of over 8 lakh farmers globally and being chosen by Govt. of India as a contributing partner with NITI Aayog for doubling farmer’s income by year 2022.
With the new futuristic plant, a well-equipped state-of-the-art research and development center, consistency in the quality of products and services and with a robust growth year on year, Sonalika is on a path of becoming the No.1 Global Tractor brand
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मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

रॉयल एनफील्ड - के 10 सबसे बड़े मिथक, क्या सच क्या झूठ?

✍ गौरव सिंह गौतम (संपादक)

Royal Enfield इंडियन मार्केट्स में उपलब्ध सबसे पुराने प्रोडक्ट्स में से एक है. इन सालों में, वो ब्रांड्स जो काफी समय से हैं उनके बारे में मार्केट एक आम धारणा बना लेती है. इस ब्रांड की इंडिया में ज़बरदस्त फ़ॉलोविंग है लेकिन इसके बारे में कई आलोचनाएँ और मिथ्या हैं. तो Royal Enfield के बारे में कौन से ऐसे मिथ्या हैं जिसके बारे में हर किसी को जानना चाहिए? आइये देखते हैं…

ज्यादा डिस्प्लेसमेंट बेहतर है


ऐसे कई कस्टमर्स है जो Enfields को ज्यादा इज्ज़त सिर्फ इसलिए बख्शते हैं क्योंकि उनके इंजन का डिस्प्लेसमेंट साइज़ ज्यादा है. लेकिन बड़ा हमेशा बेहतर नहीं होता. Royal Enfield का सबसे छोटा इंजन 346 सीसी का है लेकिन उसकी पॉवर आउटपुट कई 150 सीसी के बाइक्स जैसी है.

ऐसा इसलिए है क्योंकि इंजन का डिजाईन ऐसा है की वो हमेशा लो आरपीएम और लो कम्प्रेशन रेश्यो पर रहेगा. Royal Enfield के इंजन में टॉर्क ज्यादा होता है. ये टॉर्क इन भारी बाइक्स को हिलाने में काम आता है लेकिन मॉडर्न बाइक्स के तुलना में इनकी परफॉरमेंस अप टू डेट नहीं है और यही बात Royal Enfield बाइक्स के करैक्टर का एक हिस्सा है. इनके बड़े इंजन पॉवर उत्पन्न करने में उतने सक्षम नही हैं जितने होने चाहिए.

Royal Enfield आउटडेटेड प्रोडक्ट बनाती है


कई सारी Royal Enfield बाइक्स विंटेज बाइक्स जैसी दिखती हैं और आम धारणा ये है की कंपनी मॉडर्न नहीं है. खैर, UCE इंजन (जिसे आउटडेटेड तकनीक कहा जा सकता है) की बात छोड़ दें, Royal Enfield वो कंपनी है जिसने हाल फिलहाल में कई सारे प्रयोग किये हैं.

Royal Enfield ने Continental GT के साथ इंडिया की पहली किफायती कैफ़े रेसर बाइक निकाली और फिर Himalayan के रूप में उसने सबसे किफायती टूरिंग बाइक निकली. ये कंपनी जल्द ही इंडिया की सबसे किफायती ट्विन-सिलिंडर 650 सीसी बाइक भी लॉन्च करेगी. हाँ बाइक्स की इंजीनियरिंग को आउटडेटेड कहा जा सकता है लेकिन इनके प्रोडक्ट्स मॉडर्न हैं और ये ब्रांड के मॉडर्न सोच को दर्शाता है.

लम्बी दूरी की सवारी



कई लॉन्ग डिस्टेंस राइडर्स अक्सर Royal Enfield को इस्तेमाल करते हैं और इसने इस बाइक को लॉन्ग डिस्टेंस राइड के लिए सबसे बेहतरीन बाइक होने का दर्जा दे दिया है. लेकिन Classic, Bullet, और Thunderbird जैसी Enfields हाई स्पीड पर ज्यादा आरामदायक नहीं होतीं.

इसका अनरिफाइंड इंजन और थका देने वाले वाइब्रेशन के चलते आपका शरीर काफी जल्दी थक जाता है. और आमतौर पर दूसरी बाइक्स चलाने वालों के मुकाबले Royal Enfield राइडर्स लॉन्ग राइड्स पर ज्यादा ब्रेक लेते हैं.

ये कभी भी खराब हो सकती हैं


Royal Enfield बाइक्स के पास भरोसेमंद ना होने का अवांछित खिताब है. लेकिन ये बात सच नहीं है. Royal Enfield बाइक्स को उनके इंजन की बनावट के चलते ज्यादा रख-रखाव की ज़रुरत होती है. अगर बाइक को प्रॉपर सर्विस के साथ सारे एहतियात बरतते हुए रख जाए तो वो किसी भी दूसरे बाइक्स की तरह ही रहेंगी. Royal Enfield मोटरसाइकिल्स में बाकी कई बाइक्स के मुकाबले ज्यादा रख-रखाव की ज़रुरत पड़ती है लेकिन आपको Royal Enfield का वो टशन और प्रेसेंस मिलता है जो कम ही बाइक्स डे पाती हैं.

वो दूसरी नयी बाइक्स जितनी ही मॉडर्न हैं


जैसा की ऊपर कहा गया है कुछ ऐसी Royal Enfield बाइक्स हैं जो कंपनी की आधुनिकता को दर्शाती हैं लेकिन उनमें इस्तेमाल की गयी टेक्नोलॉजी पिछले ज़माने की है. सभी Royal Enfield बाइक्स काफी महंगी हैं और उनमें से किसी में भी ABS या closed loop fuel injection जैसे फ़ीचर्स नहीं हैं. ABS का ऑप्शन भी नहीं है वहीँ जो fuel injection system वो इस्तेमाल करते हैं वो open loop है जिसका मतलब है की उनमें कोई ऑक्सीजन सेंसर नहीं है.

उनकी माइलेज अच्छी नहीं होती


Royal Enfield के इंजन से जुड़ा दूसरा मिथ्या ये है की उनकी माइलेज कम होती है. कई लोग सोचते हैं की बड़े इंजन के चलते उन बाइक्स की माइलेज अच्छी नहीं होती. ये सच नहीं है. Bullet 350 की माइलेज लगभग 35 किमी/लीटर की है और ये काफी अच्छा है. Royal Enfield के इंजन काफी रिलैक्स्ड होते हैं और वो हाई आरपीएम तक नहीं पहुँचते. वो कम आरपीएम पर ही ज्यादा पॉवर डे सकते हैं, जिसका मतलब है कम काम और बदले में ज्यादा माइलेज.


उन्हें स्टार्ट करना दिक्कतों से भरा है


ये कुछ सालों पहले सच होता लेकिन मॉडर्न Royal Enfields को स्टार्ट करने में कोई दिक्कत नहीं आती. आज के Royal Enfield बाइक्स इलेक्ट्रिक स्टार्ट के साथ आते हैं जो एक टीवी स्टार्ट करने जितना आसान होता है. अगर इलेक्ट्रिक स्टार्टर फ़ैल भी हो जाता है, Royal Enfield के नए Unit Construction Engines (UCE) में डीकंप्रेसर होता है जो उन्हें बिना बैक किक के आसानी से स्टार्ट होने की क्षमता देता है.

ऑइल लीक्स



Royal Enfield बाइक्स को उनके ऑइल लीक के लिए जाना जाता है, जिसे अक्सर अपना क्षेत्र घेरना कहते हैं. ऑइल लीक में लगातार ऑइल लेवल चेक करने की ज़रुरत होती है और ऐसा न कर पाने के चलते इंजन सीज़ हो सकता है. मॉडर्न Royal Enfields ने इस मुसीबत से छुटकारा पा लिया है और उनके कस्टमर ऑइल लीक की शिकायत नहीं करते हैं. नए इंजन में बेहतर सीलिंग और ऑइल लीक से बेहतर बचाव के उपाय किये गए हैं और ये पुराने मॉडल से काफी बेहतर हैं.

इन्हें चलाना आसान है




इन बाइक्स के बारे में एक सबसे ज्यादा फैली हुई मिथ्या है की उन्हें चलाना काफी आसान है. यही कारण है की Enfield इस्तेमाल करने वाले अधिकांश टूरर आपको ये बताएँगे की इन बाइक्स को हैंडल करने में काफी ताकत की ज़रुरत होती है. हाँ वो सीधे सड़कों पर स्थिर रहते हैं लेकिन मुड़े हुए पहाड़ी रोड्स पर राइडर्स एक Enfield को हैंडल करते हुए आसानी से थक सकते हैं. और इंजन का लो आउटपुट भी इसमें खलल ही डालता है.

हैण्डमेड



हमें इसे कई बार सुना होगा. Royal Enfield बाइक्स का वेटिंग पीरियड लम्बा होता है क्योंकि वो हाथ से बनाई जाती हैं और उन्हें बनाने में समय लगता है. दरअसल Royal Enfield अपने प्रोडक्शन लाइन में मॉडर्न रोबोटिक आर्म्स का इस्तेमाल करती हैं. आज की Royal Enfield में कुछ भी हाथ से नहीं बना होता. पहले पेंटर्स का एक परिवार Classic 350 और Classic 500 के फ्यूल टैंक्स पर बने पिनस्ट्राइप्स को पेंट किया करता था, जिसने इस मिथ्या को हवा मिली.
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