शनिवार, 30 जनवरी 2021

फतेहपुर : व्हाट्सएप ग्रुप ने बिछड़े बच्चे को मिलाया

 

बच्चें को परिजनों को सुपुर्द करतें थानाध्यक्ष असोथर

फतेहपुर / असोथर - वैसे तो आए दिन किसी ने किसी विवादास्पद कमेंट से सोशल मीडिया बदनाम होती रहती है लेकिन अगर उसका सही इस्तेमाल हो तो यह बिछड़ों को मिला देती है। 

कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला शनिवार को। 

एक मंदबुद्धि बच्चा अपने परिजनों से बिछड़ गया। 

असोथर कस्बें की सड़कों पर रोता देखकर आसपास के दुकानदारों ने उसे पास बुला लिया, लेकिन मंदबुद्धि होने के कारण वह कुछ बता नहीं पा रहा था। 

काफी खोजबीन के बाद भी जब कुछ पता नहीं चल सका तो असोथर कस्बें के पत्रकार रिंकू आर्य ने उसकी फोटो एक न्यूज व्हाट्सएप के ग्रुप पर डाल दी। ग्रुप पर बच्चे की फोटो व डिटेल वायरल होते ही उसमें जुड़े लोग सक्रिय हो गए और आखिरकार करीब तीन घण्टे बाद बच्चे को उसके परिजन मिल गए।





बताया जाता है कि जनपद फतेहपुर के गाजीपुर निवासी अतुल कुमार जोशी का बच्चा अंश मंदबुद्धि हैं जो कि भटक कर असोथर कस्बें के बस स्टैंड पर आ गया था ।

रोते बिलखते बच्चे को देखकर आसपास के दुकानदारों ने बच्चे को पास बुलाकर नाम पता पूछना चाहा तो उन्हे पता चला की बच्चा मंदबुद्धि होने के कारण कुछ बता पानें में असमर्थ था । 

इसी दौरान असोथर कस्बा के दैनिक आज पत्रकार रिंकू आर्य ने बच्चे की फोटो व डिटेल आत्म गौरव न्यूज़. कॉम व्हाट्सएप ग्रुप में डाली व बच्चे को उसके परिजनों से मिलाने का सहयोग मांगा। 

फोटो ग्रुप पर वारयल हुई और  , इसी न्यूज ग्रुप में जुड़े गाजीपुर के राष्ट्रीय सहारा के पत्रकार अजय सिंह ने जब बच्चे की फोटो को देखा तो उन्होंने 

एक दूसरे के पास उसे भेजा तो जानकारी हुई कि यह बच्चा गाजीपुर कस्बे के अतुल कुमार जोशी जी का हैं , उन्होंने ने बच्चे के परिजनों को जानकारी दी ..

परिजनों को जानकारी होने पर वह रात्रि लगभग 8 बजे असोथर थाने आएं , जहां पर थानाध्यक्ष रणजीत बहादुर सिंह ने बच्चें को उसके परिजनों को सुपुर्द किया ।

बच्चे को परिजनों से मिलने के बाद सभी ने राहत की सांस लेते हुए पत्रकार अजय सिंह ने न्यूज़ ग्रुप में दूसरी पोस्ट डाली कि प्रयास सफल बच्चा परिजनों को मिल गया।



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शनिवार, 28 मार्च 2020

फतेहपुर में कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता फैलाने के साथ जरूरतमंदों का पेट भर रही जिले की पुलिस

जरूरतमन्द गरीबों को भोजन देते गाजीपुर थानाध्यक्ष आशीष सिंह

फतेहपुर में कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता फैलाने के साथ जरूरतमंदों का पेट भर रही जिले की पुलिस

फतेहपुर - जनपद सहित पूरे देश  में कोरोना वायरस संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान फतेहपुर पुलिस जिले के थानों / चौकियों के मुहल्लों , चौक चौराहों में जाकर लोगों को जागरूक कर रही है। 


फतेहपुर पुलिस की अलग-अलग टीम लोगों को जागरूक करने के साथ स्लम एरिया में बेसहारा और जरूरतमंद लोगों को खाना भी मुहैया करवा रही है। 
इसके अलावा सैनिटाइजर और मास्क भी उन्हें दिया जा रहा है। 

पुलिस लोगों से लॉकडाउन नियमों की पालना करने के साथ घर में ही रहने की अपील कर रही है। जरूरत पड़ने पर संबंधित हेल्पलाइन नंबर से मदद मांगने के लिए भी कहा जा रहा है। 
इसके साथ ही कोरोना वायरस से बचने के साथ अपनी मदद कैसे करें, पुलिस विभाग के अधिकारी और कर्मचारी जगह-जगह जाकर लोगों को बता रहे हैं। 

सोशल डिस्टेंसिंग नहीं करने की बढ़ रही शिकायतें



पुलिस अधिकारियों के अनुसार शहर वासियों को रूटीन की जरूरतों के लिए बाहर निकलने पर सोशल डिस्टेंसिंग की दिक्कत आ रही है। 
सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की पालन नहीं करने पर लोग एरिया में इकट्ठा भी हो जाते हैं। 
इससे आसपास के लोगों द्वारा लगातार शिकायतें पुलिस कंट्रोल रूम में बढ़ रही है। 


गाजीपुर थानाध्यक्ष और हरिहरगंज , राधानगर चौकी इंचार्ज ने बांटा जरूरतमंदों को खाना



गाजीपुर थाना के युवा थाना प्रभारी आशीष सिंह ने जरूरतमंद लोगों को खुद खाना पहुंचाया। शनिवार को उन्होंने अपने हाथों से बच्चों को खाना देकर सब लोगों तक खाना पहुंचाया। 

इसके अलावा थाना प्रभारी आशीष सिंह ने अपनी पुलिस टीम के साथ गाजीपुर क्षेत्र के युवाओं को लेकर एक टीम बनाई। 
जोकि उन लोगों तक खाना लेकर जा रही है, जिन्हें किसी कारण खाने को कुछ भी नहीं मिल रहा।

हरिहरगंज इंचार्ज विजय कुमार त्रिवेदी जरूरतमंदों को फल व बिस्किट देते हुए 
शनिवार को हरिहरगंज चौकी इंचार्ज विजय कुमार त्रिवेदी राधानगर चौकी इंचार्ज अश्विनी सिंह ने भी अपनी पुलिस टीम के साथ मिलकर जरुरतमंद लोगों को खाना पहुंचाया। 
इसके अलावा उन्होंने इलाके में जरूरतमंद लोगों को कहा कि इमरजेंसी और किसी भी प्रकार की मदद के लिए कभी भी फतेहपुर पुलिस उनकी सहयाता के लिए तैयार है।    

हरिहरगंज इंचार्ज अश्विनी सिंह जरूरतमंद को भोजन देते हुए 
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गुरुवार, 19 मार्च 2020

आखिर क्या हैं कोरोना वायरस या COVID 19 और इससे बचाव समझिये आसान भाषा में


आखिर क्या हैं कोरोना वायरस या COVID 19 और इससे बचाव समझिये आसान भाषा में 

After all, what is Corona virus or COVID 19 and avoid it in easy language


आज समय है हम सभी को अपना व्यक्तिगत, सामाजिक,राष्ट्रीय और वैश्विक दायित्व निभाने का
आईये जानते हैं कोरोना वायरस के बारे में आसान सरल सही जानकारी 

1. यह एक नया वायरस है और इसलिए इसके विरुद्ध लोगों में प्रतिरोधक क्षमता (immunity)नहीं है ।

2. एक संक्रमित व्यक्ति कम से कम 3 व्यक्तियों को संक्रमित करता है । यानि केवल 1 व्यक्ति कुछ हफ्तों और मात्र 15 चरणों (steps) में 15,000,000 यानि डेढ़ करोड़ लोगों को संक्रमित कर सकता है ।

3. हालाँकि, है तो सर्दी जुकाम जैसा ही, पर इसकी संक्रमण क्षमता बहुत अधिक है ।सौ में  तीन संक्रमित लोग मर जाते हैं ( इटली में ज्यादा),और कोई प्रतिरोधक क्षमता नहीं है, कोई टीका (vaccine) भी नहीं है ।

4. छींकने खाँसने से करोणों की संख्या में वायरस  बाहर निकल कर,हवा में फैलता है और हाथों में लगता है और सभी सामानों पर,दरवाजों कुण्डियों पर भी लग जाता है ।

5. जब कोई दूसरा व्यक्ति संपर्क में आता है, या संक्रमित सामान,दरवाजा,गेंद,लूडो  इत्यादि को छूता है, तो उसे भी संक्रमण  हो जाता है ।अब उससे बचने के लिए प्रतिरोधक क्षमता तो है नहीं, तो संक्रमण तो होना ही है ।

6. अब अगर आपकी जान संक्रमण से बच भी जाये, तो  भी आप संक्रमण की एक तीव्र श्रृंखला (chain) तो शुरू कर ही देंगे- डेढ़ करोड़ लोगों को संक्रमित करने के लिए ।इसीलिए ऐसे लोगों को केवल 2 हफ्तों के लिए अलग थलग (quarantine) करने की जरूरत है ।

7. आपके द्वारा या बच्चों के द्वारा माता पिता दादा दादी,नाना नानी तक पहुंच जाएगा यह  संक्रमण । उन्हें हृदय रोग,फेफङे के रोग, या डायबीटीज वगैरह पहले से ही हो सकता है । इसलिए कोरोना वायरस इंफेक्शन उनके लिए जानलेवा सिद्ध हो सकता है ।

8. जब ढेर सारे लोगों को इंफेक्शन हो जाएगा,  तब इलाज़ के इंतेज़ाम (व्यवस्था arrangements) कम पङ जाएंगे और यह निर्णय लेना पङेगा कि किसका इलाज़ करें और किसे ऐसे ही छोङ दें । ऐसी नौबत ( स्थिति, stage) इटली में आ गयी है ।

इससे बचाव के लिए क्या करें


1. भीङभाङ वाली जगहों पर ना जाएं ।बहुत जरूरत पङने पर ही बाहर जाएं ।

2. बच्चों को खेलने कूदने के लिए बाहर न भेजें, और ना ही दूसरे बच्चों को  घर बुलायें।

3. छोटी मोटी पार्टियां, पारिवारिक मिलन,गोष्ठी ना करें ।

4. हाथ को बार बार साबुन से अच्छी तरह से धोयें, लगभग 20 सेकंड तक, खासतौर से उंगलियों के बीच।कहीं बाहर से आयें तब तो जरूर ही धोयें ।

5. सर्दी खांसी या बुखार होने पर मुँह पर रूमाल रखें, घर से बाहर न निकलें ।घर के लोगों से भी दूर रहें ।डाॅक्टर को दिखायें ।

6. संक्रमित क्षेत्र से आने पर, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर तुरन्त जिले के  स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचित करें, या किसी डाॅक्टर को बतायें ।ऐसे किसी व्यक्ति के बारे में जानने पर भी स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचित करें ।

7. आपका जिम्मेदार व्यवहार ही आपको,आपके परिवार को, समाज और देश को और पूरी दुनिया को इस महामारी से बचा सकता है ।

क्या ना करें 


1. बहादुर न बने ,ना ही गैरजिम्मेदार और अवज्ञ।

2. ना डरें और ना ही अफवाह फैलायें।

3. सोशल मीडिया पर आ रही ऊलजलूल बातों पर ना तो ध्यान दें और ना ही आगे बढायें।

4. गोबर, गौमूत्र, यज्ञ,हवन,पूजा पाठ,तुलसी, मुलैठी,होमियोपैथी, आयुर्वेद, किसी भी चीज का कोई महत्व (role) नहीं है ।इन बेवकूफियों में ना पङें।

5. बेवजह मास्क न लगायें ।
अगर कहीं भीङ में जा रहे हैं या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने की संभावना है तभी मास्क लगायें ।
लोगों ने इतने मास्क खरीद लिये हैं कि अस्पतालों के लिए मास्क कम पङ गये हैं ।

भारत सरकार ने अभूतपूर्व प्रयास किये हैं इस महामारी को रोकने के लिए, लेकिन वो सब नागरिकों के जिम्मेदार व्यवहार से ही सफल हो सकेंगे ।
सजग रहें और सुरक्षा की कोई कङी टूटने ना दें।

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बुधवार, 3 अप्रैल 2019

असोथर थानाध्यक्ष की विदाई में छलके स्टाफ की आँखों से आंसू

असोथर थानाध्यक्ष की विदाई में छलके स्टाफ की आँखों से आंसू


फतेहपुर - उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के असोथर थाने का चार्ज लगभग 11 माह पहले थानाध्यक्ष कमलेश कुमार पाल ने सम्भाला था।
11 महीने के कार्यकाल में उन्होंने जिस तरह से अपने काम को अंजाम दिया, काफी काबिले तारीफ रहा।


जनपद के ही किशनपुर थाने तबादले होने के बाद जब आज जैसे ही असोथर थाने को छोड़कर जाने लगे तो, सब इंस्पेक्टर गोविंद सिंह चौहान , हीरामणि तिवारी , हेड कांस्टेबल ध्यान सिंह , संदीप उपाध्याय , कम्प्यूटर आपरेटर चन्द्रप्रकाश पाल व समस्त स्टाफ के आंसू छलक आये और नम आंखों से विदाई देते हुए सैल्यूट करके गाड़ी में बिठा के विदा कर दिया

थानाध्यक्ष रहते हुए इन्होने क्षेत्र में चल रहे अवैध कार्यों को बंद कराते हुए अपने कार्यशैली से क्षेत्रीय जनता का मन जीता । उन्होंने अपने 11 माह के कार्यकाल में सायबर अपराधियों की गिरफ्तारी समेत इनामी बदमाशों , अवैध शस्त्र फैक्ट्री सहित गुडवर्क भी किया।
व थानाध्यक्ष कमलेश कुमार पाल जी ने एक मिसाल कायम कर दी असोथर जैसे सी ग्रेडिंग थाने को साफ - सफाई स्वच्छता पर ए ग्रेडिंग तक ले जाने का कार्य आपके द्वारा किया गया , उत्तरप्रदेश में प्रथम स्थान पर जनसुनवाई निस्तारण में स्थान इन्ही के कारण सम्भव हुआ ।
क्षेत्रीय जनता  ने कहा कि बहुत ही नेक आदमी थे ।
थाने में आने वाला चाहे वो गरीब व्यक्ति रहा हो या कोई भी उनका सभी से बोल चाल और बर्ताव काफी अच्छा रहा।

इसके अलावा पत्रकारों को भी सम्मान देते थे।
पत्रकार संतराम सिंह , फूलचंद्र वर्मा , गौरव सिंह का कहना था कि असोथर आप जैसे थाना प्रभारी का सदैव ऋणी रहेगा
थानाध्यक्ष असोथर कमलेश कुमार पाल जी का व्यवहार काफी अच्छा था , असोथर कस्बे में सराहनीय व प्रसंसनीय निर्विवादित 11 माह का कार्यकाल रहा ...
आप ने बहुत ही सुंदर कस्बे सहित क्षेत्र में लोंगो के बीच आपसी सामंजस्य को बनाएं रखा ..
उनके 11 महीने के कार्यकाल में किसी भी तरह की कोई परेशानी नही हुई।
फिर चाहे वो खबरों की कवरेज को लेकर रही हो या उनके वर्जन को लेकर ,
शांत भाषा मे सही जवाब देते थे

और भावुक हो गए थानाध्यक्ष


जाते जाते कमलेश कुमार पाल ने थाना प्रांगण में बने शिव मंदिर में मथ्था टेका और इसके बाद वह बोलते हुए भावुक हो गए सभी का प्रेम स्नेह देखकर बरबस ही उनकी आंखों से आँसू छलक गएं और कहा की

सभी साथियों को मेरा नमस्कार 🙏
मैं यहाँ पर 11 माह के कार्यकाल में रहा आप सभी के प्रेम स्नेह से बिल्कुल अपना घर गांव जैसा लग रहा था असोथर ,मुझसे कोई जाने अंजाने में गलती गुस्ताखी हो गई तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ , मैं सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं। 
आप के क्षेत्र में मुझे आप सभी का अच्छा सहयोग मिला, जिसके लिए मैं आप सभी का धन्यवाद देता हूँ।
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रविवार, 24 मार्च 2019

बाबा अश्वस्थामा धाम मंदिर प्रांगण में एक दूजे के हुए प्रेमी युगल

बाबा अश्वस्थामा धाम मंदिर प्रांगण में एक दूजे के हुए प्रेमी युगल

फतेहपुर - कस्बा असोथर के बाबा अश्वस्थामा धाम मंदिर प्रांगण में रविवार को एक प्रेमी युगल की शादी कराई गई।

    

फतेहपुर - कहते हैं प्यार और जंग में सब कुछ जायज होता. कुछ ऐसा ही मामला देखने को मिला फतेहपुर जनपद के असोथर कस्बे में जहां एक प्रेमी युगल ने कस्बे मंदिर परिसर में शादी रचाई. शनिवार को असोथर थाना पहुंच कर दोनों ने एक दूजे के होने की बात कही थीं.

इसके बाद थाना के द्वारा दोनों प्रेमी युगल के परिवार वालों को थाना पर बुलाया गया. प्रेमी और प्रेमिका के परिवार वालों की सहमति न होने के कारण लगभग 2 घंटे तक हाई वोल्टेज ड्रामा चला लेकिन प्रेमी युगल के परिवार वालों को उनकी जिद के सामने झुकना पड़ा.

कस्बा असोथर के बाबा अश्वस्थामा धाम मंदिर प्रांगण में रविवार को इस प्रेमी युगल की शादी कराई गई।


असोथर थाना क्षेत्र कस्बे की रहने वाली ओमप्रकाश तिवारी की 19 वर्षीया पुत्री अर्चना का कस्बे के ही रहने  वाले विनय अवस्थी पुत्र राजेश अवस्थी ने बाबा अश्वस्थामा धाम मंदिर प्रांगण में एक दूसरे को माला पहनाकर शादी रचाई। 

दोनों के बीच कई महीनों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। 
लेकिन पारिवारिक अनबन के कारण शादी नहीं हो रही थी। 
मोबाइल से बातचीत शुरू हुई और यह बातचीत प्यार में तब्दील हो गया.


प्यार इतना परवान चढ़ा कि दोनों एक दूसरे के होने की ठान ली और थाने पहुंच गए और एक दूसरे के साथ शादी करने की इच्छा व्यक्त की. असोथर थाना परिसर में दोनों परिवार के सदस्यों की रजामंदी के बाद आज रविवार को बाबा अश्वस्थामा धाम मंदिर में पूरे विधि विधान के साथ शादी संपन्न हुई और दोनों पति-पत्नी के रूप में एक दूजे के हो गए.
रविवार को लड़के की मां तथा लड़की के माता-पिता की उपस्थिति में दोनों की शादी कराई गई। 

मौके पर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रामकिंकर अवस्थी व अन्य ग्रामीण भी उपस्थित रहें।

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रविवार, 17 मार्च 2019

एक पुल ऐसा जिसके नीचे नदी तो ऊपर बहती है नहर



एक पुल ऐसा जिसके नीचे नदी तो ऊपर बहती है नहर 

फतेहपुर - भारत देश हमेशा ही ऐतिहासिक स्मारकों का देश रहा है। 

चाहे ताजमहल हो या फिर लाल किला या फिर कुतुबमीनार। सभी स्मारक अपने आप में एक उत्कृष्ट निर्माण कला के नायाब नमूने हैं। 
ऐसा ही एक स्मारक उत्तर प्रदेश के जनपद फतेहपुर के ग्राम असोथर क्षेत्र में बरैड़ा गांव स्थित में झाल का पुल है, जो ब्रिटिश शासनकाल की उत्कृष्ट निर्माण कला का ऐतिहासिक उदाहरण है।

ऊपर रामगंगा कैनाल नहर, तो नीचे ससुरखदेरी नदी पुल के ऊपर बहती रामगंगा नहर और नीचे  नदी की अविरल छटा देखते ही बनती है। 
इतना ही नहीं दोनों नदियों के बीच बने पुल के बीचों-बीच बनी कोठरियां स्वयं में अनूठी हैं।

मैने तीन तस्वीरे दी हुयी है आप देख सकते है 
ससुरखदेरी नदी से सौ फुट की ऊंचाई पर पुल का निर्माण इस तरह से किया गया कि ऊपर से रामगंगा कैनाल नहर की निकासी हुई। 
नदी एवं नहर के बीचों-बीच लगभग 15 सुरंग मार्ग कोठरियों का निर्माण किया गया। 
जिन्हें चोर कोठरियों के नाम से जाना जाता है। जगह-जगह सीढ़ियां बनाकर इन कोठरियों में उतरने के भी इन्तजामात किए गए हैं। 
इस पुल को सिंचाई विभाग की ऐतिहासिक और उत्कर्ष संरचना माना जाता है। 
चूंकि इतना पुराना पुल होने के बावजूद इसकी मजबूती आज भी बरकरार है।

130 वर्ष पुराना है पुलबताया जाता है कि बिट्रिश काल का यह पुल लगभग 130 वर्ष पुराना है। इस पुल का निर्माण सन् 1885 में शुरू हुआ था। चार वर्ष में इसका निर्माण तत्कालीन मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग एनडब्लू पी एवं कर्नल डब्लू एएच ग्रेट हैंड के निर्देशन में पूरा हुआ..

मेरी जानकारी व इतिहास के जानकारों के मुताबिक असोथर कस्बा अंग्रेजी हुकूमत के दौरान स्थानीय मुख्यालय हुआ करता था। 

जहां जिला मजिस्ट्रेट की हैसियत एवं उसके नुमाइन्दे मय फौज के निवास करते थे। 
इस इलाके में जलापूर्ति का एक मात्र साधन ससुरखदेरी नदी थी, 
जिससे क्षेत्र के किसानों एवं अन्य लोगों को जलापूर्ति का अभाव रहता था। 
जलाभाव से पीड़ित लोगों की मांग पर ही अंग्रेजी हुकूमत ने यहां रामगंगा कैनाल नहर बनवाई थी ।
असोथर कस्बे से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह ऐतहासिक पुल ...
कई फिल्मो जैसे नशा एक बर्बादी का मंजर आदि के कुछ दृश्यो को भी फिल्माया गया है

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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2019

मिसाल : आज भी मंदिर के सामने चाय-बिस्कुट बेचती हैं सबसे बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री की बहन…


मिसाल : आज भी मंदिर के सामने चाय-बिस्कुट बेचती हैं सबसे बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री की बहन…


मोहमाया छोडकर वैरागी बनना क्या होता है, यह कोई योगी आदित्यनाथ और उनके परिवार से पूछे। गोरक्षनाथ पीठ जैसे प्रख्यात मंदिर के महंत और पांच बार सांसद और अब मुख्यमंत्री होने के बाद भी उनका परिवार उसी हाल में है, जैसे कि पहले था। जब योगी महंत भी नहीं थे। योगी आदित्यनाथ सन्यासी बनने के लिए एक बार घर से बाहर निकले तो फिर वापस मुड़कर नहीं देखे।



आज जहां एक बार सांसद-विधायक होते ही लोग अपने परिवार क्या रिश्तेदारों को भी मालामाल कर देते हैं, वहीं योगी आदित्यनाथ त्याग और इमानदारी की मिसाल पेश करते हैं| वह ऐसे तथाकथित राजनीतिज्ञों को आइना भी दिखाते है।मुश्किलों में दिन कट रहें है बहन केतीन बहनों में से सबसे छोटी बहन शशि ऋषिकेश से लगभग 30 किलोमीटर ऊपर जंगलों में झोपड़ीनुमा दुकान पर रोजगार कर रही हैं। वह नीलकंठ मंदिर से ऊपर पार्वती मंदिर के पास प्रसाद, फूल माला और बिस्कुट बेचकर अपने परिवार का पेट पाल रही हैं। वैसे तो योगी आदित्यनाथ की दो बहनें ठीक-ठाक परिवार में हैं, सिर्फ शशि को ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बहन का कहना है कि “आज से 27 साल पहले जब योगी आदित्यनाथ उत्तराखंड के पंचूर गांव में रहते थे तो पूरा परिवार हर त्यौहार को एक साथ मिलकर मनाता था।“



योगी कहते थे-कमाऊंगा तो गिफ्ट दूंगा

योगी की बहन शशि का कहना है कि बचपन में रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन वह अपने चारों भाइयों को सामने बैठाकर राखी बांधती थीं और उपहार के नाम पर योगी आदित्यनाथ उर्फ़ अजय बिष्ट उनसे यही कहा करते थे कि अभी तो फिलहाल में कुछ नहीं कमा रहा हूं, लेकिन जब बड़ा हो जाऊंगा तो तुम्हें खूब सारे उपहार दूंगा। वहीं, अजय बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ बचपन में राखी के त्यौहार पर अपने पिता से पैसे लेकर अपनी तीनों बहनों को दिया करते थे। शशि बताती हैं कि पैसे देने के बाद योगी आदित्यनाथ पिता के चले जाने के बाद उनसे वही पैसे दोबारा मांगा करते थे।





आज के योगी आदित्यनाथ की 27 साल पहले अजय बिष्ट के तौर पर पहचान थी। यही वह समय था, जब वह घर छोड़कर गोरखपुर पहुंचे थे। बहन का कहना है कि इसके बाद से वह कभी योगी से नहीं मिलीं। तभी से भाई की कलाई पर राखी न बांध पाने का हर बार मलाल रहता है।

Input : Live Bavaal
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Google की नौकरी छोड़ शुरू किया समोसे बेचना, आज है 50 लाख से ज्यादा का मालिक


Google की नौकरी छोड़ शुरू किया समोसे बेचना, आज है 50 लाख से ज्यादा का मालिक

अगर कोई गूगल की अच्छी-खासी नौकरी छोड़ समोसे बेचना शुरू करे तो लोग उसे बेवकूफ ही कहेंगे, लेकिन जब आपकी सालाना कमाई 50 लाख रुपये के पार पहुंच जाए तो शायद लोगों को अपनी राय बदलनी पड़ेगी. जानें इस शख्स की कहानी.



अगर कोई गूगल की अच्छी-खासी नौकरी छोड़ समोसे बेचना शुरू करे तो लोग उसे बेवकूफ ही कहेंगे, लेकिन जब आपकी सालाना कमाई 50 लाख रुपए के पार पहुंच जाए तो शायद लोगों को अपनी राय बदलनी पड़ेगी. यह कामयाबी मुनाफ कपाड़िया ने हासिल की है. आइए जानते हैं कौन हैं ये मुनाफ और कैसे हासिल किया ये मुकाम…



एक झटके में छोड़ दी नौकरी: मुनाफ कपाड़िया की फेसबुक प्रोफाइल में लिखा है कि मैं वो व्यक्ति हूं जिसने समोसा बेचने के लिए गूगल की नौकरी छोड़ दी. लेकिन उनके समोसे की खासियत यह है कि वह मुंबई के पांच सितारा होटलों और बॉलिवुड में खासा लोकप्रिय है. मुनाफ ने एमबीए की पढ़ाई की थी और उसके बाद उन्होंने कुछ कंपनियों में नौकरी की और फिर चले गए विदेश. विदेश में ही कुछ कंपनियों में इंटरव्‍यू देने के बाद मुनाफ को गूगल में नौकरी मिल गई. कुछ सालों तक गूगल में नौकरी करने के बाद मुनाफ को लगा कि वह इससे बेहतर काम कर सकते हैं. बस फिर क्‍या था, लौट आए घर.



इस आइडिया के बाद शुरू की कंपनी: मुनाफ भारत में द बोहरी किचन नाम का रेस्‍टोरेंट चलाते हैं. मुनाफ बताते हैं कि उनकी मां नफीसा टीवी देखने की काफी शौकीन हैं और टीवी के सामने काफी वक्त बिताया करती थीं. उन्हें फूड शो देखना काफी पसंद था और इसलिए वह खाना भी बहुत अच्छा बनाती थीं. मुनाफ को लगा कि वह अपनी मां से टिप्स लेकर फूड चेन खोलेंगे. उन्होंने रेस्टोरेंट खोलने का प्लान बनाया और अपनी मां के हाथों का बना खाना कई लोगों को खिलाया. सबने उनके खाने की तारीफ की. इससे मुनाफ को बल मिला और वह इस सपने को पूरा करने में लग गए.



देशभर में हो गए मशहूर: मुनाफ का द बोहरी किचन न सिर्फ मुंबई बल्कि देशभर में मशहूर है. उनके रेस्तरां का सबसे बेहतरीन, लजीज और मशहूर फूड आइटम मटन समोसा माना जाता है. मगर द बोहरी किचन सिर्फ मटन समोसा के लिए ही मशहूर नहीं है, नरगि‍सी कबाब, डब्‍बा गोश्‍त, करी चावल समेत ऐसी कई डिशेज हैं जिनके लिए भी ‘द बोहरी किचन’ मशहूर है. कीमा समोसा के अलावा मटन रान भी रेस्तरां का एक मशहूर और लजीज खाना है.





हर महीने करते हैं लाखों रुपए की कमाई: बीते दो साल में ही रेस्तरां का टर्नओवर 50 लाख रुपये तक पहुंच गया है. ‘द बोहरी किचन’ को अपने लजीज खाने के लिए कई सेलेब्स द्वारा भी तारीफ मिल चुकी है. आशुतोष गोवारिकर और फराह खान जैसी मशहूर हस्तियां भी “द बोहरी किचन” के लजीज खाने का लुत्फ उठा चुके हैं और सोशल मीडिया पर इसकी तारीफ भी कर चुके हैं.

Input : News18
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बुधवार, 11 अप्रैल 2018

इस डिजिटल इंडिया में एक पत्रकार ऐसा भी .... पढ़े पूरी खबर



अनुज वर्मा जी की कलम ✍ से 


[ इस न्यूज़ आर्टिकल के लेखक उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद में हिंदुस्तान समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार हैं ]

इस डिजिटल इंडिया में एक पत्रकार ऐसा भी...

उत्तर प्रदेश / मुजफ्फरनगर - मुज़फ्फर नगर में एक पत्रकार ऐसा भी है 
जिसके पास न अपनी छपाई मशीन है, 

न कोई स्टाफ और न सूचना क्रांति के प्रमुख साधन-संसाधन। 
मात्र कोरी आर्ट शीट और काले स्केज ही उसके पत्रकारिता के साधन हैं। 
तमाम शहर की दूरी अपनी साईकिल से तय करने वाले और एक-एक हफ्ता बगैर धुले कपड़ों में निकालने वाले इस पत्रकार का नाम है दिनेश। 
जो गाँधी कालोनी का रहने वाला है। 
हर रोज अपनी रोजी रोटी चलाने के अलावा दिनेश पिछले सत्रह वर्षों से अपने हस्तलिखित अख़बार 
"विद्या दर्शन" को चला रहा है। 
प्रतिदिन अपने अख़बार को लिखने में दिनेश को ढाई-तीन घंटे लग जाते हैं। 
लिखने के बाद दिनेश अखबार की कई फोटोकॉपी कराकर शहर के प्रमुख स्थानों पर स्वयं चिपकाता है। 

हर दिन दिनेश अपने अख़बार में किसी न किसी प्रमुख घटना अथवा मुद्दे को उठाता है 
और उस पर अपनी गहन चिंतनपरक निर्भीक राय रखते हुए खबर लिखता है।

पूरा अख़बार उसकी सुन्दर लिखावट से तो सजा ही होता है 
साथ ही उसमें समाज की प्रमुख समस्याओं और उनके निवारण पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है।
सुबह से शाम तक आजीविका के लिये हार्डवर्क करने वाले दिनेश को अख़बार चलाने के लिये किसी भी प्रकार की सरकारी अथवा गैर सरकारी वित्त सहायता प्राप्त नहीं नहीं है। 
गली-गली आइसक्रीम बेचने के जैसे काम करके दिनेश अपना जीवन और अख़बार चलाता है। 
अपने गैर विज्ञापनी अख़बार से दिनेश किसी भी प्रकार की आर्थिक कमाई नहीं कर पाता है। 

फिर भी अपने हौसले और जूनून से दिनेश निरंतर सामाजिक परिवर्तन के लिये अख़बार चला रहा है। 
श्रम साध्य इस काम को करते हुए दिनेश मानता है 
कि भले ही उसके पास आज के 
हिसाब से साधन-संसाधन नहीं हैं और न ही उसके अख़बार का पर्याप्त प्रचार-प्रसार है फिर भी 
यदि कोई एक भी उसके अख़बार को ध्यान से पढता है अथवा किसी एक के भी विचार-परिवर्तन में उसका अख़बार रचनात्मक योगदान देता है 

तो उसका अख़बार लिखना सार्थक है।
बगैर किसी स्वार्थ, 
बगैर किसी सशक्त रोजगार और बगैर किसी सहायता के खस्ताहाल दिनेश अपनी तुलना इस देश के आम नागरिक से करता है। 

बात सही भी है। 
भले ही उसका अख़बार बड़े पाठकवर्ग अथवा समाज का प्रतिनिधित्व न करता हो परंतु वह खुद तो इस देश में गरीबों और मज़लूमों की एक बड़ी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है। 

इस देश में पत्रकारिता का जो इतिहास रहा है वह देश की आज़ादी से सम्बद्ध रहा है। 

आज़ादी के बाद पत्रकारिता जनता के अधिकारों का प्रतिनिधित्व करने लगी। 

परंतु आज हम सब जानते हैं कि आज पत्रकारिता किसका प्रतिनिधित्व कर रही है। 

ऐसे में दिनेश अपने दिनोदिन क्षीण होते वज़ूद के बावजूद पत्रकारिता के बदल चुके मूल्यों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। 

इस व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है जिसमें दिनेश या दिनेश जैसे लोगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। 

हमारे बदलते मानवीय मूल्यों पर सवाल खड़ा करता है 
कि क्या हम एक ऐसे ही समाज का निर्माण करने में व्यस्त हैं जिसमें सब आत्मकेंद्रित होते जा रहे हैं। 
किसी को किसी के दुःख अथवा समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है। 

ऐसे बहुत से सवाल खड़ा करता दिनेश और उसका अखबार इस दौर की बड़ी त्रासदी की ओर इशारा करता है जिसे समझने की आज बेहद जरुरत है।

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