सोमवार, 20 मई 2019

आखिर क्‍या होता है Exit Poll, कैसे होता है तैयार, यहां जानिये हर बात...

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What happen the exit poll, how it is ready, know everything here ...

आखिर क्‍या होता है Exit Poll, कैसे होता है तैयार, यहां जानिये हर बात...

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के सातवें चरण और अंतिम चरण का मतदान हो रहा है. वोटिंग के खत्म होने के साथ ही एग्जिट पोल (Exit Poll 2019) के आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा. एग्जिट पोल पार्टियों की धड़कनों को बढ़ाएगा. कौन सी पार्टी को कितनी सीटें मिल रही है, विजयी रथ पर सवार कौन होगा ये भी एग्जिट पोल 2019 के जरिए साफ होता है. ऐसा नहीं है कि एग्जिट पोल हमेशा सही साबित होते हैं, ऐसे में ये जानना जरूरी है कि Exit Poll होता क्या है? 



क्या होते हैं एग्जिट पोल?



एग्जिट पोल (Exit Poll) एक सर्वे के माध्यम से सामना आता है. इस सर्वे के माध्यम से यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि चुनाव परिणाम कैसे और किसके पक्ष में आ रहे हैं. जब मतदाता अपना वोट डालकर निकल रहा हो तब उससे पूछा जाए कि उसने किसे वोट दिया. इस आधार पर किए गए सर्वेक्षण से जो व्यापक नतीजे निकाले जाते हैं उन्हें ही एक्जिट पोल कहते हैं.



एग्जिट और पोस्ट पोल से सटीक आते है परिणाम



एग्जिट पोल (Exit Poll) को सटीक बनाने के लिए काफी फील्ड वर्क करना होता है. एजेंसी ये जानती हैं कि सिर्फ मतदान देकर बाहर आए मतदाताओं की राय मात्र से ही रिपोर्ट तैयार नहीं की जा सकती है. इसलिए एजेंसियां मतदान के तुरंत बाद मतदाता से राय जानकर मोटा-मोटा हिसाब लगा लेती है. मतदान के दो-चार दिन के बाद सटीक रिजल्ट्स के लिए पोस्ट पोल किया जाता है. इसके माध्यम से वोटर की राय जानने की कोशिश की जाती है. कहा जाता है कि पोस्ट पोल के परिणाम ज्यादा सटीक होते हैं. 

ऐसे सामने आते हैं आंकड़े


कोई भी पोल हो, उसके आंकड़े सर्वे के माध्यम से सामने आते हैं. इसके लिए सैंपलिंग भी की जाती है. सर्वे में आंकड़े हासिल करने के लिए फील्ड वर्क किया जाता है. इसकी सैंपलिंग के लिए चुनावी सर्वे करने वाली एजेंसी के लोग मतदाताओं से राय लेते हैं. कई बार यह डाटा बातचीत तो कई बार कोई फॉर्म भरवाकर हासिल किए जाते हैं. कई बार इंटरनेट के माध्यम से भी आंकड़े जुटाए जाते हैं. यह डाटा उम्र, आयु वर्ग, आय वर्ग, जाति, क्षेत्र आदि के आधार पर इकट्ठे किए जाते हैं. 

इन देशों से सामने आते हैं एग्जिट पोल


दुनिया के कई लोकतांत्रिक देशों का एग्जिट पोल को लेकर अलग-अलग मत है. बेल्जियम, डेनमार्क, जर्मनी और आयरलैंड जैसे देशों में एग्जिट पोल करने को खुली छूट है जबकि चीन, दक्षिण कोरिया और मैक्सिको में कुछ शर्तों के साथ एग्जिट पोल की इजाजत है.

#एग्जिटपोल2019
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रविवार, 19 मई 2019

एग्जिट पोल 2019: नरेंद्र मोदी कर रहे सत्ता में धमाकेदार वापसी

NEWS

Exit poll 2019 Predicts Narendra Modi led NDA coming back to power

एग्जिट पोल 2019: नरेंद्र मोदी कर रहे सत्ता में धमाकेदार वापसी
By Team 

लोकसभा चुनाव के सभी सात चरणों का मतदान संपन्न होने के बाद मीडिया चैनलों पर एग्जिट पोल आ गए हैं। लगभग सभी एग्जिट पोल में भाजपा की सत्ता में वापसी का दावा किया गया है। 

लोकसभा चुनाव 2019 की प्रक्रिया सातवें चरण का मतदान होने के साथ ही संपन्न हो गई।
सभी न्यूज चैनलों पर नई सरकार को लेकर एग्जिट पोल दिखाया जा रहा है। प्रमुख चैनलों के एग्जिट पोल में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले एनडीए की सत्ता में धमाकेदार वापसी का अनुमान लगाया गया है। टाइम्स नाऊ/वीएमआर के मुताबिक, एनडीए को 306 सीटें मिलने की संभावना है। वहीं आजतक/एक्सिस माय इंडिया के शुरुआत आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र में क्लीन स्वीप के करीब है। उधर, रिपब्लिक/जन की बात ने एनडीए को 295 से 315 सीटें दी हैं। वहीं भाजपा को मिलने वाली सीटों का आंकड़ा 254 से 270 तक बताया गया है। 

रिपब्लिक/सी-वोटर का एग्जिट पोल भी एनडीए के बहुमत वाली सरकार बनने के स्पष्ट संकेत दे रहा है। इसकी मानें तो भाजपा की अगुआई वाला एनडीए गठबंधन 287 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी कर रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए 128 सीटें हासिल कर सकता है। महागठबंधन को 40 और अन्य को 87 सीटें मिल सकती हैं। 

हालांकि लोकसभा 2014 के चुनाव में लगभग सभी एग्जिट पोल मोदी लहर को भांपने में नाकाम रहे थे। टाइम्स नाउ-ओआरजी के एग्जिट पोल में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 249 सीटें मिलनी की संभावना जताई गई थी। कांग्रेस को 148 सीटें और अन्य को 146 सीटें मिलने का दावा किया गया।
वहीं इंडिया टुडे-सिसरो के अपने एग्जिट पोल में एनडीए को 261 से 283 सीटें मिलने का दावा किया था।
साथ ही यूपीए को 110-120 सीटें और अन्य को 150 से 162 सीटें दी थीं।
सीएनएन-आईबीएन-सीएसडीएस ने एनडीए को 270 से 282, यूपीए को 92 से 102 और अन्य को 159 से 181 सीटें मिलने का अनुमान जताया था।
इंडिया टीवी-सी वोटर के एग्जिट पोल में एनडीए को 289 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था।
वहीं यूपीए को सिर्फ 100 व अन्य के खाते में 153 सीटें बताई थीं। हालांकि परिणाम कुछ और ही आए।
एनडीए ने 336, यूपीए ने 60 और अन्य ने 147 सीटों पर सफलता पाई।
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बुधवार, 15 मई 2019

गृहकलह के चलते सास - बहू की मौत

प्रतीकात्मक तस्वीर
Sas Bahu committed suicide because of house tribulation ..

गृहकलह के चलते सास - बहू की मौत 

फतेहपुर / असोथर : गृहकलह के चलते सास - बहू ने एक साथ बंद कमरे में फांसी लगा ली जिससे उनकी मौके पर मौत हो गई। 

मामला असोथर थाना क्षेत्र के ग्राम कुसुम्भी का है। 

गांव निवासी रामचंद्र साहू की पत्नी सोनम और उसकी मां धनपतिया के बीच आए दिन किसी ने किसी बात को लेकर तकरार होती रहती थी। 
छोटी- छोटी बातों पर परिवार में तनाव हो जाता था। 
इसको लेकर सोनम और धनपतिया तनाव में रहने लगीं।
मृतका सास धनपतिया
हालांकि, रामचंद्र के पिता कामता अपनी पत्नी धनपतिया उम्र 50 वर्ष और बहू सोनम उम्र 25 वर्ष दोनों को ही बहुत समझाता था, लेकिन कलह का सिलसिला जारी रहा। 
मंगलवार को शाम फिर किसी बात को लेकर सास- बहू में झगड़ा हो गया। 
सोनम ने यह बात अपने पति को बताई। 
झगड़े के ज्यादा बढ़ने पर तनाव में आकर दोनों सास - बहू ने बंद कमरे में साड़ी से फांसी लगा लिया। 
इससे दोनों की हालत बिगड़ गई। और मौके पर ही दोनों ने दम तोड़ दिया।
परिजनों में चीखपुकार मच गई। 
गांव के और लोग भी जमा हो गए। गांव में एक साथ दो मौतों से गांव सहित क्षेत्र में मातम पसर गया।
घटना की सूचना पर पहुंचे असोथर थानाध्यक्ष हेमराज सरोज ने कमरे की दीवाल तुड़वाकर दोनो शवों को बाहर निकलवाया व शवों का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा ।
मृतका बहू सोनम 
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गुरुवार, 9 मई 2019

केस दर्ज होने के बाद फरार हुआ फतेहपुर में तैनात दारोगा, सिपाही भी गैरहाजिर


केस दर्ज होने के बाद फरार हुआ फतेहपुर में तैनात दारोगा, सिपाही भी गैरहाजिर

गौरव सिंह गौतम 

फतेहपुर जनपद में दरोगा कालका प्रताप सिंह वर्तमान में चौकी प्रभारी राधानगर के पद पर तैनात है। 
तैनात दारोगा मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही वह फरार है। 
इतना ही नहीं प्रेमिका के आत्महत्या करने के बाद मृतका के परिवार ने दारोगा समेत उसे बड़े भाई विश्वनाथ प्रताप, चाचा जेपी सिंह और चचेरे भाई अरविंद पर भी नामजद मुकदमा दर्ज करवाया था, जिनकी गिरफ्तारी के लिए फतेहपुर पुलिस ने मथुरा पुलिस की सहायता से दबिश दी, हालाँकि वे भी फरार हो गये।

प्रेमिका के आत्महत्या के बाद फंसा दारोगा और उसका परिवार:


दरअसल, प्रेमिका से शादी से मना करने के वाले दारोगा और उसके परिवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। 
वहीं दारोगा पर ड्यूटी से गैरहाजिर होने को लेकर भी रिपोर्ट दर्ज कर ली गयी हैं। 
इसके अलावा मथुरा निवासी उसके भाई, चाचा और चचेरे भाई के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ, जिनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की एक टीम मथुरा भेजी गई है।

गिरफ्तारी के लिए मथुरा तक दबिश, सिपाही भाई भी फरार:


सर्विलांस से भी आरोपितों के मोबाइल की लोकेशन ट्रेस की जा रही है। कहा जा रहा है कि बर्खास्त सिपाही अरविंद के मथुरा में कई ठिकाने हैं। 
अरविंद आरोपी दारोगा कालका का चचेरा भाई है। 
मथुरा पुलिस से भी पकडऩे के लिए मदद मांगी गई है। 
मामले में एसपी प्रयागराज गंगापार एनके सिंह के मुताबिक़ आरोपितों की तलाश में टीम दबिश दे रही है और जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

यह था लेटर -


नमस्ते, मेरा नाम प्रिंशू सिंह है। यह लेटर मैं अपने पूरे होशोहवास में लिख रही हूं। 
आज एक मई 2019 को मैं गाड़ी में बैठकर यह लेटर लिख रही हूं। मैं प्रयागराज में कालका प्रताप के घर जा रही हूं। जब आप यह लेटर पढ़ रहे  होंगे तब शायद मैं इस दुनिया में नहीं होऊंगी। मेरा और कालका प्रताप, जिसे मैं बॉबी भी कहती हूं, उनसे परिचय फेसबुक से हुआ था। यह बात 2016 अगस्त महीने की है। धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई। कालका जब भोपाल मिलने आया और दोनों ने एक दूसरे को देखकर पसंद कर लिया। मां और दोस्त के साथ शादी की बात भी हुई। विवाह पर कालका को गिफ्ट में 20 लाख रुपये और चार पहिया वाहन देने की बात हुई। मथुरा के एक होटल में सगाई के दिन यह कहते हुए कालका ने शारीरिक संबंध बनाया कि अब शादी होनी ही है। भोपाल भी मिलने आता था और मुझे फतेहपुर भी बुलाता था। बॉबी सात से आठ साल बड़ा था। दोनों के रिश्ते पति-पत्नी की तरह थे। इसी दौरान बॉबी ने कहा कि वह झूंसी में मकान ले रहे हैं, लिहाजा कुछ और पैसे चाहिए।"शादी की तिथि तय हो गई। 28 अप्रैल 2019 को बॉबी ने मुझसे कहा कि पापा और अरविंद भैया शादी के लिए तैयार नहीं है। लेकिन बॉबी ने यह भी कहा कि मैं तुम्हारे साथ हूं। लेकिन आज एक मई 2019 को बड़े भैया ने शादी के लिए मना कर दिया। मेरा जीवन सबने मिलकर बर्बाद कर दिया। मेरी मौत के जिम्मेदार बॉबी के घर वाले हैं। मेरी भगवान से सिर्फ यही गुजारिश है कि इन सभी को किए की सजा मिले।""मैं अरिवंद प्रताप सिंह, बॉबी के चाचा जेपी सिंह और उनके बड़े भैया विश्वनाथ प्रताप सिंह की वजह से अपनी जान दे रही हूं। बॉबी ने मुझे शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाया और आत्महत्या करने जैसी स्थिति में लाकर रख दिया।मुझे सिर्फ न्याय चाहिए। प्रिंशू ने पांच पेज के सुसाइड नोट में कुछ ऐसा ही लिखा है। पुलिस का कहना है कि छात्रा की हैंडराइटिंग से सुसाइड नोट का मिलान कराया जाएगा।"

शादी की खुशियां हो गईं काफूर


प्रिंशू का परिवार भोपाल के राजेंद्र नगर में कुछ साल से मकान बनवाकर रह रहा है। 
बेटी की सगाई तय होने के बाद स्टील कंपनी के सुपरवाइजर भरत सिंह समेत सभी लोग खुश थे। घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं। कार्ड भी रिश्तेदार और करीबियों को बांट रहे थे, लेकिन अचानक हुई इस घटना से शादी की खुशियां काफूर हो गईं। पिता, मां, भाई और छोटी बहन बिलखते रहे। परिजनों ने रसूलाबाद घाट पर अंतिम संस्कार किया।

सबके सामने ही खाया था जहर


पिता भरत सिंह का आरोप है कि जब वह दारोगा कालका और उसके परिजनों से बात कर रहे थे, तभी उनकी बेटी को धक्का मारकर भगाने की बात कही। इसी से परेशान होकर प्रिंशू ने जहर खा लिया। हालत बिगड़ पर कालका और उसके परिजनों ने अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर से मौत की पुष्टि हुई है।


फतेहपुर कोतवाली थाने के प्रभारी सत्येंद्र सिंह ने बताया कि कालका प्रताप दो और तीन मई की छुट्टी लेकर घर गया था। यह बात सही है कि प्रिंशू से उसकी शादी तय हुई थी। 

Ex-MLA यौन शोषण कांड में चर्च‍ित थी छात्रा


पत्रकार‍िता की पढ़ाई कर चुकी एक छात्रा ने पांच पेज का सुसाइड नोट लिखकर जहर खाकर जान दे दी. 
लड़की की 15 मई को पुल‍िस इंस्पेक्टर से शादी होने वाली थी लेक‍िन दहेज की वजह से लड़की को सुसाइड के ल‍िए मजबूर होना पड़ा. बता दें क‍ि सुसाइड करने वाली लड़की प्र‍िंशु स‍िंह फरवरी  2018 में तब चर्चा में आई थी जब उसने कांग्रेस के पूर्व व‍िधायक हेमंत कटारे पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे लेक‍िन बाद में आरोप वाप‍िस ले ल‍िए थे ..
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बुधवार, 8 मई 2019

आखिर क्यों सिपाही श्याम बाबू अब नहीं बन पाएंगे SDM ?


सिपाही श्याम बाबू

आखिर क्यों सिपाही श्याम बाबू अब नहीं बन पाएंगे SDM ?


बीते दिनों उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही श्याम बाबू ने महकमे का नाम रौशन करते हुए PCS 2016 की परीक्षा पास की थी, जिसके तहत उन्हें उपजिलाधिकारी का पद दिया गया था। 
जिसके बाद यूपी पुलिस के कई बड़े अधिकारियों ने सिपाही श्याम बाबू को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई भी दी थी, लेकिन अब सिपाही श्याम बाबू का SDM बनने का सपना अधूरा रह सकता है। इतना ही नहीं, जिस प्रकार की जानकारी मिल रही है और श्याम बाबू पर जो आरोप लगे हैं, उससे उनका भविष्य भी खतरे में आ सकता है।

फर्जी करार दिया गया प्रमाण-पत्र:


  • यूपी पुलिस में सिपाही श्याम बाबू श्याम बाबू ने पीसीएस परीक्षा 2016 पास करके उपजिलाधिकारी का पद प्राप्त किया था।
  • कई सीनियर अधिकारियों ने श्याम बाबू को उनकी इस कामयाबी के लिए बधाई भी दी थी।
  • जो लोग श्याम बाबू को नहीं जानते वो भी उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें सलाम कर रहे थे।
  • लेकिन अब सिपाही श्याम बाबू की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
  • गौरतलब है कि, उनका जाति प्रमाण पत्र अवैध करार दिया गया है।
  • मूल रूप से बलिया जिले की बैरिया तहसील के रहने वाले श्याम बाबू ने,
  • अपना जाति प्रमाण पत्र बैरिया तहसील से ही बनवाया था, जिसमें जाति गोंड थी।
  • यह जाति अनुसूचित जनजाति के अन्तर्गत आती है,
  • तो पीसीएम परीक्षा में इसी के तहत श्याम बाबू को आरक्षण का लाभ मिला और वह एसडीएम के पद पर चुन लिए गए।
  • अब अब आयोग में आई शिकायत में पाया गया कि, उन्होंने फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनवाया है।

 प्रशासन की ओर से नोटिस जारी:


  • जिसके बाद श्याम बाबू को तहसील प्रशासन की ओर से नोटिस जारी किया गया है,
  • वहीं, आयोग अब उनके चयन पर भी कार्रवाई कर सकता है।
  • नोटिस के अनुसार, श्याम बाबू ने अपनी जाति के लिये अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र लगाया था और,
  • फर्जी जाति प्रमाण पत्र की शिकायत के बाद जब जांच शुरू हुई तो, श्याम बाबू का जाति प्रमाण पत्र भी अवैध करार कर दिया गया।
  • प्रशासनिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि, श्याम बाबू का जाति प्रमाणपत्र शासनादेश का उल्लंघन करते हुए जारी किया गया है।
  • ऐसे में अब श्याम बाबू बुरी तरह फंस गये हैं।
  • एक ओर उनपर प्रशासनिक कार्रवाई होगी और दूसरी तरफ चयन रद्द किये जाने का भी डर है।
  • 14 साल से हैं यूपी पुलिस में सिपाही:
  • गौरतलब है कि, सिपाही श्याम बाबू पिछले 14 साल से यूपी पुलिस में तैनात हैं।
  • उन्होंने साल 2005 में बलिया के रानीगंज स्थित श्री सुदिष्ट बाबा इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट किया था,
  • जिसके बाद वे उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हो गए थे।
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रविवार, 28 अप्रैल 2019

आग की लपटों में जलकर स्वाहा हो गएं पांच घर गांव तक कच्चे रास्ते के खराब होने के कारण असोथर विजयीपुर मार्ग पर खड़ी रह गई दमकल विभाग की गाड़ी


आग की लपटों में जलकर स्वाहा हो गएं पांच घर

गांव तक कच्चे रास्ते के खराब होने के कारण असोथर विजयीपुर मार्ग पर खड़ी रह गई दमकल विभाग की गाड़ी


फतेहपुर : असोथर थानाक्षेत्र के मजरें सीर गांव में शाम को अचानक आग लग गई , अनुसूचित जाति बाहुल्य मजरें में अचानक आग लग जाने से पासवान बिरादरी के सुखराम पासवान , मुन्ना पासवान, पुत्तन पासवान, रामप्रसाद पासवान , होरीलाल उर्फ नेता के पांच घर जल कर स्वाहा हो गएं , जिनमें घर गृहस्थी सहित खाने पीने का सामान गेंहूं , चावल व जेवर , कपड़े  , साईकिल आदि जल गएं लोगों के अनुमान से लाखों का नुकसान हो गया हैं। 

प्रदेश और केंद्र की वर्तमान व पूर्व सरकारें विकास के चाहें लाख दावें करें पर जमीनी स्तर यह कोशो दूर है इसी का जीता जागता उदाहरण हैं असोथर ग्रामसभा का मजरा सीर लगभग 100 से 150 की दलित समाज की आबादी वाले गांव में विकास अभी कोशों दूर है ।


रविवार की शाम को अचानक संदिग्ध परिस्थितियों में लगी आग से पांच घर जल कर स्वाहा हो गएं ..
और फायर ब्रिगेड की गाड़ी के कच्चे रास्ते की बहुत खराब होने से गांव तक न पहुंचने पर वह गांव से 2 किलोमीटर दूर ही खड़ी रह गई .. और घर जल कर स्वाहा हो गएं ..
अगर समय से फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंच जाती तो बच सकते थे घर ..



हालांकि गांववालों ने एकजुटता दिखाते हुए कुएं से बाल्टी रस्सी से पानी भर भर कर डाला तब  रात 10 बजे तक आग पर काबू पाया जा सका ।
सूचना पर पहुंची डायल 100 , पुलिस टीम व थानाध्यक्ष असोथर को भी गांव तक पैदल ही जाना पड़ा ..
गांव में अभी तक तो न ही विद्युतीकरण योजना का लाभ मिला हैं , न ही सीर गांव तक जाने के लिए कोई रास्ता हैं ।

यहाँ तक की गांव में एक भी सरकारी नल नही हैं।


पांच परिवारों की घर गृहस्थी एक साथ जल जाने से घरों की महिलाएं व बच्चें रो रो कर लोगों से व्यथा बताती रहें ..
वही गांववालों उन पीड़ित परिवारों को इस दुख की घड़ी एक दूसरे को मदद करने का आश्वासन दिया ।

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फतेहपुर - बावन इमली 162 बरस पुरानी दास्तान एक महीने तक इमली के पेड़ में लटके रहें 52 शहीदों के शव

फतेहपुर - बावन इमली 162 बरस पुरानी दास्तान
एक महीने तक इमली के पेड़ में लटके रहें 52 शहीदों के शव

गौरव सिंह गौतम


फतेहपुर : 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी जब देश में फूटी तो इससे यूपी का फतेहपुर भी अछूता नहीं रहा।

यहां की माटी में जन्मे लालों ने गोरों से गुरिल्ला युद्ध कर उनके पैर उखाड़ने शुरू कर दिए थे और फतेहपुर जिले का 32 दिनों तक अझुआ से खजुहा तक का क्षेत्र अंग्रेजों से मुक्त था। 
इस लड़ाई के एक योद्धा वीर सपूत थे बिंदकी के अटैया रसूलपुर (अब पधारा) गांव के 

"ठाकुर जोधा सिंह अटैया"

छापामार युद्ध में पारंगत जोधा सिंह अटैया ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया.
अवध व बुंदेलखंड के क्रांतिकारियों के संपर्क आए . जोधा सिंह ने 27अक्टूबर 1857 को महमूदपुर गांव में एक दरोगा व एक अंग्रेज सिपाही को घेरकरमार डाला था, जब वह एक घर में सो रहा था .
7 दिसंबर 1857 को गंगापार रानीपुर पुलिस चौकी पर हमला कर एक अंग्रेज परस्त को भी मार डाला और रानीपुर गांव में बनी पुलिस चौकी के घोड़े हांक ले गए। 
इसी क्रांतिकारी गुट ने 9 दिसम्बर को जहानाबाद में गदर काटी और छापा मारकर ढंग से तहसीलदार को बंदी बना लिया .
जोधा सिंह ने दरियाव सिंह और शिवदयाल सिंह के साथ गोरिल्ला युद्ध की शुरुआत की थी 

4 फरवरी 1858 को जोधा सिंह अटैया पर ब्रिगेडियर करथ्यू ने असफल आक्रमण किया .

साहसी जोधा सिंह अटैया को सरकारी कार्यालय लूटने एवं जलाये जाने के कारण अंग्रेजों ने उन्हें डकैत घोषित कर दिया

जोधा सिंह ने आवागमन की सुविधा को देखते हुए क्रान्तिकारियों ने खजुहा को अपना केन्द्र बनाया ..
किसी देशद्रोही मुखबिर की सूचना पर प्रयागराज से कानपुर जा रहे कर्नल पावेल ने इस स्थान पर एकत्रित क्रान्ति सेना पर हमला कर दिया ...
कर्नल पावेल उनके इस गढ़ को तोड़ना चाहता था .
पर जोधासिंह की योजना अचूक थी 
उन्होंने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का सहारा लिया, जिससे कर्नल पावेल मारा गया 
अब अंग्रेजों ने कर्नल नील केे नेतृत्व में सेना की नयी खेप भेज दी। 
इससे क्रान्तिकारियों को भारी हानि उठानी पड़ी ..
इस बीच अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले इस वीर सपूत को खबर मिली कि वीर योद्धा ठाकुर दरियाव सिंह को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया ..
इसके बाद भी जोधासिंह का मनोबल कम नहीं हुआ .

उन्होंने नये सिरे से सेना के संगठन, शस्त्र संग्रह और धन एकत्रीकरण की योजना बनायी। इसके लिए उन्होंने छद्म वेष में प्रवास प्रारम्भ कर दिया; पर देश का यह दुर्भाग्य रहा कि वीरों के साथ-साथ यहाँ देशद्रोही भी पनपते रहे हैं ..
जब जोधासिंह  अटैया अरगल नरेश से संघर्ष हेतु विचार-विमर्श कर खजुहा लौट रहे थे, तो किसी मुखबिर की सूचना पर ग्राम घोरहा के पास अंग्रेजों की घुड़सवार सेना ने उन्हें घेर लिया। तभी उनको व उनके 51 क्रांतिकारी साथियों को 28 अप्रैल 1858 को कर्नल क्रस्टाइल की घुड़सवार सेना ने बंदी बना लिया ..
इसके बाद पारादान के पास स्थित इसी इमली के पेड़ पर सभी को फांसी दे दी गई ..
तब से इस इमली के पेड़ को बावनी इमली के नाम से पुकारा जाता है ..
उस वक्त अंग्रेजों का इतना खौफ था कि किसी ने इन शहीदों के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया ..
सभी शव कंकाल एक माह तक पेड़ पर ही झूलते रहे .

तब लगभग  3/4 जून 1858 की रात में रामपुर पहुर निवासी ठाकुर महराज सिंह ने 900 साथियों के साथ सभी के अस्थि पंजर उतरवाए और शिवराजपुर गंगा घाट में अंतिम संस्कार किया .. 
आज भी यहां भारत मां के इन अमर सपूतों को याद किया जाता है ..
तब से बावनी इमली का यह वृक्ष तीर्थ बन गया है..
🙏
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