गुरुवार, 8 फ़रवरी 2018

वीडियो: बजरंग बली को हटाने आई सभी मशीने अचानक हुई बंद


        गौरव सिंह गौतम (मुख्य संपादक)

उत्तर प्रदेश में एक ऐसे अनोखे मंदिर का मामला सामने आया है, जिसने हर किसी को होश उड़ा कर रख दिए हैं. बता दें कि 130 साल पुराने मंदिर मे ऐसा अनोखा चमत्कार देखने को मिल रहा है. जिसका ये वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से देखा और लगातर शेयर किया जा है. यहां बजरंग बली के चमत्कार के चलते उनकी मूर्ति उठाने मे हजारो कुंतल बजन उठाने वाली जेसीबी मशीनों के साथ एरा विभाग के कर्मचारियों के दांत खट्टे हो गए. बजरंग बाली की इस मूर्ती उठाने के दौरान तीन दिन मे तीन जेसीबी मशीनों सहित कई और मशीने खराब हो गई.

मंदिर हटाना चाहती है एरा कंपनी:

मामला थाना तिलहर के नेशनल हाइवे 24 के कचियानी खेड़ा मंदिर का है। जहां पर 130 साल पहले बरम देव और बजरंग बली की प्रतिमा की स्थापना की गई थी । लेकिन रोड चौड़ीकरण के चलते एरा कंपनी को हटाना चाहती है। लेकिन यहाँ बजरंग बली की विशालकाय प्रतिमा हटाना निर्माणाधीन कंपनी को बडा महंगा साबित हो रहा है।  2 दिन से 3 क्रेन प्रतिमा को हटाने के लिए लगी ,पर हिला भी नही सकी बजरंग बली की प्रतिमा और मशीने खराब हो गई ।जिसके बाद आज प्रतिमा को तोड़ने के लिए जरनेटर और बैब्रेट मशीन को लगाया गया। लेकिन जरनेटर और मशीन भी खराब हो गई।

ग्रामीणों ने एरा कंपनी को चेताया:

ग्रामीणों ने बजरंगबली की प्रतिमा को हटाने के बजाय डिवाइडर के बीच में ही रहने की माँग को जोर दिया है।और यदि प्रतिमा को हटाया तो  जबरदस्त विरोध भी करने की चेतावनी भी दी है। वही मंदिर की प्रतिमा भारी मशीनों से भी हटाने मे नाकाम होने पर मंदिर मे और भी आस्था बढ़ गई है और अब लोग प्राचीन मंदिर को एक सच्चा मंदिर मान रहे है।

जिसके चलते आज हिन्दू युवा वाहिनी सहित दर्जनों ग्रामीणों के एरा के जीएम का पुतला फूंका और मंदिर को यथा स्थिति रखने की मांग की कहा अगर फिर भी मंदिर को तोड़ा गया तो बड़ा आंदोलन होगा, फिलहाल तनाव बना हुआ है.

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सोमवार, 5 फ़रवरी 2018

फतेहपुर में ऊबड़-खाबड़ भूमि को ‘अन्नपूर्णा’ बनाता ‘जेसीबी मैन’

✍गोविंद दुबे वरिष्ठ पत्रकार (दैनिक जागरण)
 ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी के हौसले की कहानी से सभी वाकिफ हैं, जिन्होंने अकेले पहाड़ का सीना चीरकर रास्ता तैयार किया। अब एक और शख्स से मिलिए, जिसे लोग ‘जेसीबी मैन’ कहते हैं। यह हैं फतेहपुर के अमौली ब्लॉक में भरसा के मजरे केवटरा गांव के 75 वर्षीय भावन निषाद। नोन नदी किनारे बसे इस गांव में भावन ने 25 वर्षों में 50 बीघा ऊबड़-खाबड़ जमीन समतल कर उसे ‘अन्नपूर्णा’ बना दिया। आज भी बूढ़ी काया में फौलादी इरादे समेटे भावन नदी किनारे और भी जमीनों को खेती के योग्य बनाने में जुटे हैं, गीता के इस उपदेश को आत्मसात करते हुए कि ‘सुखी रहना है तो निष्काम भाव से कर्म करो।’
भावन के तैयार किए खेतों में अब गेहूं, चना व सरसों की फसल लहलहा रही है। नदी की ऊबड़-खाबड़ जमीन पर फावड़ा चलाते हुए 75 साल के बूढे़ को देखकर हर किसी के मन में सवाल उठता है कि इस उम्र में इतनी मेहनत क्यों और किसके लिए? इसका जवाब भावन देते हैं, ‘पत्नी की मौत के बाद अकेला हो गया तो सोचा कि गांव के लिए ही कुछ किया जाए। मेरी समतल की गई जमीन से सैकड़ों लोगों का पेट भरता है, क्या यह पुण्य नहीं है।’

प्रधान प्रतिनिधि वीरेंद्र निषाद कहते हैं कि भावन को इससे मतलब नहीं है कि जमीन किसकी है और इसकी पैदावार कौन लेगा। वह निष्काम भाव से जमीन समतल करते हैं। जिसका मालिकाना हक होता है, वह जमीन पर फसल तैयार कर पैदावार लेता है। इस मेहनत के एवज में ‘जेसीबी मैन’ को लोग केवल दोनों पहर की रोटी दे देते हैं। न भी दें तो वह खुद बनाकर पेट भरते हैं।

सुबह उठते ही भावन निषाद फावड़ा लेकर जंगलों की ओर निकल जाते हैं ऊंची-नीची जमीन को बराबर करने। चार घंटे की मेहनत के बाद ही खाना खाते हैं। जमीन का मालिक खाना लेकर जंगल खुद पहुंच जाता है। भावन रोज आठ से दस घंटे फावड़ा चलाने का कार्य करते हैं।

थम गया गांव का पलायन

भावन अपनी मेहनत के बल पर समूचे समाज को एक बड़ा संदेश दे रहे। आज गांव के कई परिवारों की रोजी-रोटी का साधन खेती बन गई है। जगराम निषाद, लार्लू सिंह, प्रकाश वीर, जयकरन निषाद ने बताया कि बेकार जमीन पर खेती होगी, यह कभी हम लोगों ने सोचा ही नहीं था। जेसीबी लाकर जमीन बराबर कराने का पैसा भी नहीं था। अब गेहूं, सरसो, चना की फसल होने लगी तो कमाने बाहर चले गए परिवारों ने गांव में आकर खेती संभाल ली है।

दूसरे भी हुए प्रेरित

भावन के जज्बे और सोच ने गांव के दूसरे लोगों को भी प्रेरित किया। इसका सुखद परिणाम रहा कि अन्य ग्रामीणों ने ट्रैक्टर और फावड़े के जरिए 450 बीघा जमीन समतल कर पैदावार के योग्य बना दिया। गांव में अभी करीब 1000 बीघा ऊबड़-खाबड़ जमीन बची है।

बेकार जमीन को उपजाऊ बनाने में भावन जैसी लगन अन्य लोगों में हो जाए तो किसानों की आय दोगुनी क्या चार गुनी बढ़ सकती है। इसके लिए भावन को संगठन सम्मानित करेगा।

- भुवन भाष्कर द्विवेदी, निदेशक, खेत-किसान उत्पादक संगठन
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रविवार, 4 फ़रवरी 2018

मानवता की मिशाल कौशाम्बी जेलर

✍ गौरव सिंह (संपादक आत्मगौरव न्यूज़)

कौशांबी जेलर की पहल से होगी गरीब बंदियों की बेटियों की शादी
कहा जाता है कि अगर अधिकारी  बढ़िया बेहतर करे तो उसकी प्रशंसा जितनी की जाये उतनी काम है। यही हाल है कौशांबी जेल अधीक्षक बी.एस.मुकुंद का। उन्होंने जब से जेल की जिम्मेदारी संभाली है तब से जेल का कायाकल्प करने में कोई कसार नहीं छोड़ी है। वह कभी जेल में खेल प्रतियोगिता का आयोजन करवाके बंदियों को चुस्त दुरुस्त रखते हैं तो कभी बंदियों को कपड़े आदि बांटकर एक मिशाल पेश करते हैं। तभी तो अभी हाल ही में जिला जज सुरेंद्र पाल सिंह, चंद्र विजय श्रीनेत सी.जे.एम., मनीष कुमार वर्मा ज़िलाधिकारी एवं प्रदीप गुप्ता, पुलिस अधीक्षक, कौशाम्बी द्वारा जेल का आकस्मिक संयुक्त निरीक्षण किया गया। जेल में बेहतर रखरखाव और कोई अव्यवस्था ना मिलने पर जिला अधिकारी ने उन्हें प्रशस्तिपत्र भी दिया था।

निर्धन बंदियों की बेटियों की होगी शादी

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिला कारागार में आज में निरुद्ध असहाय, निर्धन, वृद्ध, दिव्यांग, विधवा महिला बंदी एवं ऐसे बंदी जिनकी पुत्रियों की शादी तय हो गयी है और उनके पास धन की व्यवस्था नहीं है। ऐसे बंदियो को राज्य सरकार की और से संचालित लाभकारी योजना की जानकारी प्रेम प्रकाश, सचिव, ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण, मंजू सोनकर, ज़िला समाज कल्याण अधिकारी द्वारा जानकारी दी गयी तथा बंदियो की स्क्रीनिंग की गयी।

साप्ताहिक निरीक्षण में लगभग 35 सिद्धदोष एवं 20 विचाराधीन बंदी वृद् , बंदी अशोक पासी दिव्यांग, विचाराधीन बंदी पुद्दन- पुत्री की शादी की योजना, महिला बंदी चम्पा- विधवा पेंशन, महिला बंदी शूकुल एवं दससी वृद्धा अवस्था पेंशन के लिए पात्र पायी गयी। जिनके आवेदन पत्र आनलाइन भरवाने की कार्यवाही आरम्भ की गयी है। इनकी पात्रता हेतु अन्य आवश्यक काग़ज़ात जैसे आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्टर एत्यादि की कार्यवाही की जा रही। सभी औपचारिकताए पूर्ण होने पर नियमानुसार उपयुक्त पात्र बंदियो को राज्य की लाभकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। निरीक्षण के दौरान बीएसमुकुंद प्रभारी जेल अधीक्षक, ज्ञान लता पाल, संजय राय, राम शंकर सरोज सभी उपकारापाल, केदारनाथ शुक्ला चीफ़ हेड वार्डर उपस्थित रहे।

सराहनीय कार्य करते रहते हैं जेलर

बता दें कि कौशांबी के जेलर से कैदियों को भी काफी लगाव है। वो इसलिए कि जेलर जेल को बेहतर बनाने में जुटे हैं। अन्य जेलों की तुलना में यहां की व्यवस्थाएं काफी अच्छी हैं। जेलर समय-समय पर वह खेलकूद प्रतियोगिता सहित साफ-सफाई के लिए अभियान चलाते रहते हैं। वह जेल के भीतर चिकित्सा कैम्प और बंदियों को गर्म कपड़े बांटने का भी कार्य कर चुके हैं।





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रविवार, 8 अक्तूबर 2017

रावण को आज तक कोई नहीं जला सका, लंका के इस पहाड़ के नीचे है शव

✍गौरव सिंह गौतम (सह - संपादक एन.डी. - न्यूज़)

श्रीलंका और रामायण लेकर एक ताजा रिसर्च आई है जिसमें करीब 50 ऐसे स्थानों को खोज निकाले का दावा किया गया है जिनका संबंध रामायण से है। इसी शोध में दावा किया गया है कि एक पहाड़ी में बनी गुफा में आज भी रावण का शव सुरक्षित है।

वैसे तो हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले सभी लोग ऐसा मानते हैं कि रामायण और भगवान राम से जूड़ी कई चिन्ह और सबूत आज भी श्रीलंका में मौजूद हैं। नवरात्र पूरे होने के बाद शनिवार को दशहरा मनाया जाएगा। प्राचीन मान्यता है कि नवरात्र 10वें दिन ही भगवान राम ने रावण का वध किया था।
लेकिन रावण के शव का क्या हुआ था यह अब रहस्य बन गया है। बाल्मीक रामायण में तो कहा गया है कि रावण की मौत के बाद विभाषण लंका का राजा बना और फिर राजा बनने के बाद अपने सभी परिजनों का अंतिम संस्कार आदि कराया था। लेकिन अब जो रिसर्च आई है वह कुछ अलग है।

रिसर्च में कहा गया है कि श्रीलंका में रैगला के जंगलो में एक चट्टान नुमा पहाड़ी है। इस पहाड़ी में एक गुफा है और गुफा में रावण का शव आज भी सुरक्षित रखा है। यह शोध श्रीलंका के रामायण रिसर्च सेंटर और पर्यटन विभाग ने मिलकर ऐसी शोध की है।
शोध में दावा किया गया है कि इसी गुफा में जाकर रावण तपस्या किया करता था।

दावा है कि रैगला पहाड़ी मे आठ हजार फुट की ऊंचाई पर यह गुफा बनी है जहां रावण का शव रखा गया है।

मुझे से जुड़े ट्विटर पर भी http://www.twitter.com/gauravsinghgau3 पर
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शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

एक करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है इस लड़की का वीडियो

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर आए दिन कई तरह के वीडियो वायरल होते रहते हैं जिसे देखकर हमें काफी आश्चर्य होता है। नाचने का शौंक सभी को होता है मगर कुछ लोग ऐसे भी होते है जिनके पास नाचने की प्रतिभा सभी से एकदम अलग होती है।



एक करोड़ लोगों ने देखा वीडियो

सोशल मीडिया पर इन दिनों ऐसा ही एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक लड़की ने फिल्म धूम-3 के एक गाने कमली पर जबरदस्त डांस किया है। फिल्म में इस गाने में बॉलीवुड एक्ट्रेस कैटरीना कैफ ने डांस किया था, लेकिन लड़की ने 'कमली' पर ऐसा डांस किया है जिसने कैटरीना कैफ को जोरदार टक्कर दी है। इस वीडियो को अब तक एक करोड़ से ऊपर लोग देख चुके हैं। लड़की के इस डांस के वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड किये जाने के बाद से लोगों में हलचल मची हुई है। लड़की के डांस को खूब पसंद किया जा रहा है। 
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मंगलवार, 26 सितंबर 2017

आज भी जिंदा हैं ये सात अमर "महामानव"


✍गौरव सिंह गौतम संपादक (एन.डी. न्यूज़)
भारत दुनिया का शायद पहला देश होगा जहां लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात की जाती है। ऐसे में विज्ञान भी अचंभे की स्थिति में आ ही जाता है।

लाखों वर्षों से जीवित रहने की बात भले ही शोध का विषय हो सकती है पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह सभी पौराणिक पात्र वर्तमान में जी‍वित होगें।

रोचक बात यह है इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये सभी जीवित होंगे या नहीं? यह आलौकिक है।



किसी भी प्रकार के चमत्कार से इंकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ शरीर बदल-बदलकर ही हजारों वर्षों तक जीवित रहा जा सकता है।
हिंदू पौराणिक इतिहास और हमारे वेदों और पुराणों के अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, वरदान या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात कही गई है वे सारी शक्तियां इनमें विद्यमान है।
1. बलि : राजा बलि ने देवताओं को युद्ध में हराकर इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। बलि सतयुग में भगवान वामन अवतार के समय हुए थे। राजा बलि के घमंड को चूर करने के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी। राजा बलि ने कहा कि जहां आपकी इच्छा हो तीन पग धर दीजिए। तब भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया। राजा बलि के दान से प्रसन्न हाेकर तब भगवान ने इन्हें कलियुग के अंत तक जीवित रहने का वरदान दिया।
2. परशुराम : परशुराम भगवान राम के काल के पूर्व महान ऋषि रहे हैं। उनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका है। पतिव्रता माता रेणुका ने पांच पुत्रों को जन्म दिया, जिनके नाम क्रमशः वसुमान, वसुषेण, वसु, विश्वावसु तथा राम रखे गए। राम की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें फरसा दिया था इसीलिए उनका नाम परशुराम हो गया। भगवान परशुराम राम के पूर्व हुए थे, लेकिन वे चिरंजीवी होने के कारण राम के काल में भी थे।
3. हनुमान जी : अंजनी पुत्र हनुमान को भी अजर अमर रहने का वरदान है। यह राम के काल में राम भगवान के परम भक्त रहे हैं। हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी नजर आते हैं। महाभारत में प्रसंग हैं कि भीम उनकी पूंछ को मार्ग से हटाने के लिए कहते हैं तो हनुमानजी कहते हैं कि तुम ही हटा लो, लेकिन भीम अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उनकी पूछ नहीं हटा पाते हैं।
4. आल्हा : आल्हा और ऊदल दो भाई थे। ये बुन्देलखण्ड (महोबा) के वीर योद्धा थे। आल्हा मैहर की शारदा माता के भक्त थे। मां ने आल्हा की भक्ति को देखते हुए उन्हें अमरता का वरदान दिया। आज भी मैहर के मंदिर में सबसे पहले आल्हा पूजा करते हैं। जिसका प्रमाण है जब मंदिर के पंडित जी सुबह की पूजा करने मां के दरबार में आते हैं तो उन्हें पहले से ही पूजा की हुई मिलती है। यही आल्हा के जीवित होने का प्रमाण है।
5. ऋषि व्यास : महाभारतकार व्यास ऋषि पराशर एवं सत्यवती के पुत्र थे। इनके सांवले रंग के कारण ये 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाए। इनकी माता ने बाद में शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद द्वंद्व युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया। कृष्ण द्वैपायन ने धार्मिक तथा वैराग्य का जीवन पसंद किया, किन्तु माता के आग्रह पर इन्होंने विचित्रवीर्य की दोनों सन्तानहीन रानियों द्वारा नियोग के नियम से दो पुत्र उत्पन्न किए जो धृतराष्ट्र तथा पाण्डु कहलाए, इनमें तीसरे विदुर भी थे। कहा जाता है कि ऋषि व्यास भी अमर हैं।
6. कृपाचार्य : शरद्वान् गौतम के एक प्रसिद्ध पुत्र हुए हैं कृपाचार्य। कृपाचार्य अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। शिकार खेलते हुए शांतनु को दो शिशु प्राप्त हुए। उन दोनों का नाम 'कृपी' और 'कृप' रखकर शांतनु ने उनका लालन-पालन किया। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे। यह भी अमर हैं।

7. अश्वत्थामा : अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। अश्वत्थामा के माथे पर अमरमणि है और इसीलिए वह अमर हैं, लेकिन अर्जुन ने वह अमरमणि निकाल ली थी। ब्रह्मास्त्र चलाने के कारण कृष्ण ने उन्हें शाप दिया था कि कल्पांत तक तुम इस धरती पर जीवित रहोगे, इसीलिए अश्वत्थामा सात चिरंजीवी में गिने जाते हैं। माना जाता है कि वे आज भी जीवित हैं तथा अपने कर्म के कारण भटक रहे हैं। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में जिले के असोथर के आस पास अश्वस्थामा मंदिर दिखाई देने के दावे किए जाते रहे हैं।
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बुधवार, 6 सितंबर 2017

एक ऐसा पुल जिसके नीचे नदी तो ऊपर बहती है नहर

GAURAV SINGH Sub-Editor (ND News)
फतेहपुर –असोथर कस्बे से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह ऐतहासिक पुल ,eकई फिल्मो जैसे नशा एक बर्बादी का मंजर आदि के कुछ दृश्यो को भी इस मनोरम मनमोहक जगह पर फिल्माया गया है ..

जानकारी के अनुसार फतेहपुर । भारत देश हमेशा ही ऐतिहासिक स्मारकों का देश रहा है। चाहे ताजमहल हो या फिर लाल किला या फिर कुतुबमीनार। सभी स्मारक अपने आप में एक उत्कृष्ट निर्माण कला के नायाब नमूने हैं। ऐसा ही एक स्मारक उत्तर प्रदेश के जनपद फतेहपुर के ग्राम असोथर क्षेत्र में बरैड़ा गांव स्थित में झाल का पुल है,
जो ब्रिटिश शासनकाल की उत्कृष्ट निर्माण कला का ऐतिहासिक उदाहरण है।
ऊपर रामगंगा कैनाल नहर, तो नीचे ससुरखदेरी नदी पुल के ऊपर बहती रामगंगा नहर और नीचे नदी की अविरल छटा देखते ही बनती है।
इतना ही नहीं दोनों नदियों के बीच बने पुल के बीचों-बीच बनी कोठरियां स्वयं में अनूठी हैं।
मैने तीन तस्वीरे दी हुयी है आप देख सकते है
ससुरखदेरी नदी से सौ फुट की ऊंचाई पर पुल का निर्माण इस तरह से किया गया कि ऊपर से रामगंगा कैनाल नहर की निकासी हुई।
नदी एवं नहर के बीचों-बीच लगभग 15 सुरंग मार्ग कोठरियों का निर्माण किया गया।
जिन्हें चोर कोठरियों के नाम से जाना जाता है। जगह-जगह सीढ़ियां बनाकर इन कोठरियों में उतरने के भी इन्तजामात किए गए हैं।
इस पुल को सिंचाई विभाग की ऐतिहासिक और उत्कर्ष संरचना माना जाता है।
चूंकि इतना पुराना पुल होने के बावजूद इसकी मजबूती आज भी बरकरार है।
१३० वर्ष पुराना है पुलबताया जाता है कि बिट्रिश काल का यह पुल लगभग 130 वर्ष पुराना है। इस पुल का निर्माण सन् 1885 में शुरू हुआ था। चार वर्ष में इसका निर्माण तत्कालीन मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग एनडब्लू पी एवं कर्नल डब्लू एएच ग्रेट हैंड के निर्देशन में पूरा हुआ..
मेरी जानकारी व इतिहास के जानकारों के मुताबिक असोथर कस्बा अंग्रेजी हुकूमत के दौरान स्थानीय मुख्यालय हुआ करता था।
जहां जिला मजिस्ट्रेट की हैसियत एवं उसके नुमाइन्दे मय फौज के निवास करते थे।
इस इलाके में जलापूर्ति का एक मात्र साधन ससुरखदेरी नदी थी,
जिससे क्षेत्र के किसानों एवं अन्य लोगों को जलापूर्ति का अभाव रहता था। जलाभाव से पीड़ित लोगों की मांग पर ही अंग्रेजी हुकूमत ने यहां रामगंगा कैनाल नहर बनवाई थी ।
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