मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

आज विशेष जन्मतिथि आज देश गांधी जयंती के साथ भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मना रहा है।



आज विशेष जन्मतिथि 
आज देश गांधी जयंती के साथ भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मना रहा है। 

गौरव सिंह गौतम [मुख्य संपादक आत्मगौरव न्यूज़. कॉम]

लाल बहादुर शास्त्री



सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले शास्त्री जी एक शांत चित्त व्यक्तित्व भी थे। शास्त्री जी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को मुंशी लाल बहादुर शास्त्री के रूप में हुआ था। वह अपने घर में सबसे छोटे थे तो उन्हें प्यार से नन्हें बुलाया जाता था। उनकी माता का नाम राम दुलारी था और पिता का नाम मुंशी प्रसाद श्रीवास्तव था। शास्त्री जी की पत्नी का नाम ललिता देवी था।

मुश्किल परिस्थितियों हासिल की शिक्षा-बचपन में ही पिता की मौत होने के कारण नन्हें अपनी मां के साथ नाना के यहां मिर्जापुर चले गए। यहीं पर ही उनकी प्राथमिक शिक्षा हुई। उन्होंने विषम परिस्थितियों में शिक्षा हासिल की। कहा जाता है कि वह नदी तैरकर रोज स्कूल जाया करते थे। क्योंकि जब बहुत कम गांवों में ही स्कूल होते थे। लाल बहादुर शास्त्री जब काशी विद्यापीठ से संस्कृत की पढ़ाई करके निकले तो उन्हें शास्त्री की उपाधि दी गई। इसके बाद उन्होंने अपने नाम के आगे शास्त्री लगाने लगे।


शास्त्री जी का विवाह 1928 में ललिता शास्त्री के साथ हुआ। जिनसे दो बेटियां और चार बेटे हुए। एक बेटे का नाम अनिल शास्त्री है जो कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं। देश के अन्य नेताओं की भांति शास्त्री जी में भी देश को आजाद कराने की ललक थी लिहाजा वह 1920 में ही आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे। उन्होंने 1921 के गांधी से असहयोग आंदोलन से लेकर कर 1942 तक अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इस दौरान कई बार उन्हें गिरफ्तार भी किया गया और पुलिसिया कार्रवाई का शिकार बने।

दिया 'जय जवान जय किसान' का नारा
शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें शास्त्री जी ने विषम परिस्थितियों में देश को संभाले रखा। सेना के जवानों और किसानों महत्व बताने के लिए उन्होंने 'जय जवान जय किसान' का नारा भी दिया। 11 जनवरी 1966 को शास्त्री की मौत ताशकंद समझौत के दौरान रहस्यमय तरीके से हो गई।


महात्मा गाँधी


गुजरात में 2 अक्तूबर 1869 को जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी ने सत्य और अहिंसा को अपना ऐसा मारक और अचूक हथियार बनाया जिसके आगे दुनिया के सबसे ताकतवर ब्रिटिश साम्राज्य को भी घुटने टेकने पड़े। आज उनकी 149वीं जयंती के मौके पर आइये हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि पोरबंदर के मोहनदास को उनके जीवन के किन महत्वपूर्ण पड़ावों और घटनाओं ने महात्मा बना दिया।


मोहन दास के जीवन पर पिता करमचंद गांधी से ज्यादा उनकी माता पुतली बाई के धार्मिक संस्कारों का प्रभाव पड़ा। बचपन में सत्य हरिश्चंद्र और श्रवण कुमार की कथाओं ने उनके जीवन पर इतना गहरा असर डाला कि उन्होंने इन्हीं आदर्शों को अपना मार्ग बना लिया। जिस पर चलते हुए बापू देश के राष्ट्रपिता बन गए। 


वर्ष 1883 में कस्तूरबा से उनका विवाह के दो साल बाद उनके पिता का देहांत हो गया। राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल और भावनगर के शामलदास स्कूल में शुरुआती पढ़ाई पूरी कर मोहन दास 1888 में बैरिस्टरी की पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन पहुंच गए। स्वदेश लौटकर बंबई में वकालत शुरू की, लेकिन खास सफलता नहीं मिलने पर 1893 में वकालत करने दक्षिण अफ्रीका चले गए। यहां गांधी को अंग्रेजों के भारतीयों के साथ जारी भेदभाव का अनुभव हुआ और उन्हें इसके खिलाफ संघर्ष को प्रेरित किया। दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उनकी कामयाबी ने गांधी को भारत में भी मशहूर कर दिया और वर्ष 1917 में उन्होंने चंपारण के नील किसानों पर अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। इसके बाद तो गांधी जी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य ही ब्रितानी हुकूमत को देश के बाहर खदेड़ना बन गया। आखिर 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली और पूरे देश ने उन्हें अपना ‘राष्ट्रपिता’ माना।

सादर नमन 🙏🙏
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बुधवार, 26 सितंबर 2018

असोथर थाने में डिजिटल वालेंटियर व दुर्गा पूजा को लेकर बैठक संपन्न



असोथर थाने में डिजिटल वालेंटियर व दुर्गा पूजा को लेकर बैठक संपन्न


 फतेहपुर - असोथर थानाध्यक्ष कमलेश कुमार पाल की अध्यक्षता में क्षेत्र से चुने गए डिजिटल वॉलिंटियर्स की बैठक मंगलवार को आयोजित की गई।

आयोजित बैठक में थानाध्यक्ष द्वारा पुलिस महानिदेशक उ0प्र0 द्वारा डिजिटल वलिटियर को दिये गए दिशा – निर्देशो से अवगत कराया।
बताया गया कि सोशल मीडिया के दुरुपयोग से अक्सर समाज मे तनाव पूर्ण माहौल उतपन्न हो जाता है, जबकि मामले की तह तक पहुंचने से पहले कभी कभी स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है जिसका नुकसान आमजनमानस को झेलना पड़ता है।
इन्ही जैसे तमाम करणो के चलते पुलिस महानिदेशक के निर्देशानुसार प्रदेश भर के सभी थाना क्षेत्रो से 18 बिंदुओं पर 250 डिजिटल वालंटियर चुने जाने है।
जिनका काम सोसल मीडिया में वायरल हो रही आपत्तिजनक विसय वस्तु जो जनहित में न होकर स्वच्छ समाज के लिए हानिकारक हो , को तुरंत आलाधिकारियों तक पहुंचना है ताकि समय रहते ही प्रसाशन मामले में सक्रिय होकर शांति व्यवस्था को बरकरार रख सके। बताया गया कि 250 डिजिटल वालंटियर व्हाट्सएप ग्रुप में एड होकर तमाम जानकारी प्रसासन तक पहुंचाने का काम करेंगे जिसके लिए बाकायदा ट्रेनिग दी जाएगी।
जबकि 18 बिंदुओं पर डिजिटल वालंटियर्स की बनने वाली टीम में पत्रकार , शिक्षक वर्ग, प्रधानाचार्य, डॉक्टर, समाजसेवी, छात्र नेता, ग्राम प्रधान पूर्व व मौजूदा, पेंशनर, रिटायर फौजी आदि शामिल होंगे।
व लोगों से आने वाले त्योहार दुर्गा पूजा व विजयादशमी से संबंधित जानकारी ली गई , किसी भी प्रकार की समस्या के थानाध्यक्ष ने तुरंत सूचना मिलने पर कार्यवाही की बात कही
थाना परिसर असोथर में आयोजित बैठक में चुने हुए डिजिटल वालंटियर सहित थानाध्यक्ष कमलेश कुमार पाल  , खंड विकास अधिकारी प्रवीणानन्द , उपनिरीक्षक विजय कुमार त्रिवेदी , उपनिरीक्षक प्रमोद कुमार पाल सहित अन्य व्यक्ति भी मौजूद रहे।

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मंगलवार, 25 सितंबर 2018

यूपी के फतेहपुर में चल रही थी अवैध असलहा फैक्ट्री , पुलिस ने किया भंडाफोड़



  • यूपी के फतेहपुर में चल रही थी अवैध असलहा फैक्ट्री 

  • उत्तर प्रदेश फतेहपुर जिले के खखरेरू थाना क्षेत्र के गढा रोड़ बदनमऊ स्थित पुरानी हवेली से अवैध शस्त्र बनाने की फैक्ट्री का फतेहपुर पुलिस ने किया खुलासा । 

  • अवैध असलहों व शस्त्र बनाने के समान सहित दो आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने भेजा जेल । 

  • पुलिस अधीक्षक फतेहपुर राहुल राज ने बरामद करने वाली टीम को 10,000 रुपये का किया इनाम घोषित ।
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आज विशेष जन्मतिथि पं० दीनदयाल_उपाध्याय

 #आज_विशेष_जन्मतिथि 

#दीनदयाल_उपाध्याय 
( #जन्म: 25 7, 1916, मथुरा, उत्तर प्रदेश; #मृत्यु: 11 फ़रवरी 1968) 

भारतीय जनसंघ के नेता थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक प्रखर विचारक, उत्कृष्ट संगठनकर्ता तथा एक ऐसे नेता थे जिन्होंने जीवनपर्यंन्त अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी व सत्यनिष्ठा को महत्त्व दिया। वे भारतीय जनता पार्टी के लिए वैचारिक मार्गदर्शन और नैतिक प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। 
पंडित दीनदयाल उपाध्याय मज़हब और संप्रदाय के आधार पर भारतीय संस्कृति का विभाजन करने वालों को देश के विभाजन का ज़िम्मेदार मानते थे। वह हिन्दू राष्ट्रवादी तो थे ही, इसके साथ ही साथ भारतीय राजनीति के पुरोधा भी थे। दीनदयाल की मान्यता थी कि हिन्दू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति हैं। दीनदयाल उपाध्याय की पुस्तक एकात्म मानववाद (इंटीगरल ह्यूमेनिज्म) है जिसमें साम्यवाद और पूंजीवाद, दोनों की समालोचना की गई है। एकात्म मानववाद में मानव जाति की मूलभूत आवश्यकताओं और सृजित क़ानूनों के अनुरुप राजनीतिक कार्रवाई हेतु एक वैकल्पिक सन्दर्भ दिया गया है।

जीवन_परिचय 

दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 को ब्रज के पवित्र क्षेत्र मथुरा ज़िले के छोटे से गाँव 'नगला चंद्रभान' में हुआ था। दीनदयाल के पिता का नाम 'भगवती प्रसाद उपाध्याय' था। इनकी माता का नाम 'रामप्यारी' था जो धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। रेल की नौकरी होने के कारण उनके पिता का अधिक समय बाहर बीतता था। उनके पिता कभी-कभी छुट्टी मिलने पर ही घर आते थे। थोड़े समय बाद ही दीनदयाल के भाई ने जन्म लिया जिसका नाम 'शिवदयाल' रखा गया। पिता भगवती प्रसाद ने अपनी पत्नी व बच्चों को मायके भेज दिया। उस समय दीनदयाल के नाना चुन्नीलाल शुक्ल धनकिया में स्टेशन मास्टर थे। मामा का परिवार बहुत बड़ा था। दीनदयाल अपने ममेरे भाइयों के साथ खाते-खेलते बड़े हुए। वे दोनों ही रामप्यारी और दोनों बच्चों का ख़ास ध्यान रखते थे। 3 वर्ष की मासूम उम्र में दीनदयाल पिता के प्यार से वंचित हो गये। पति की मृत्यु से माँ रामप्यारी को अपना जीवन अंधकारमय लगने लगा। वे अत्यधिक बीमार रहने लगीं। उन्हें क्षय रोग हो गया। 8 अगस्त सन् 1924 को रामप्यारी बच्चों को अकेला छोड़ ईश्वर को प्यारी हो गयीं। 7 वर्ष की कोमल अवस्था में दीनदयाल माता-पिता के प्यार से वंचित हो गये। सन् 1934 में बीमारी के कारण दीनदयाल के भाई का देहान्त हो गया।

शिक्षा

 गंगापुर में दीनदयाल के मामा 'राधारमण' रहते थे। उनका परिवार उनके साथ ही था। गाँव में पढ़ाई का अच्छा प्रबन्ध नहीं था, इसलिए नाना चुन्नीलाल ने दीनदयाल और शिबु को पढ़ाई के लिए मामा के पास गंगापुर भेज दिया। गंगापुर में दीना की प्राथमिक शिक्षा का शुभारम्भ हुआ। मामा राधारमण की भी आय कम और खर्चा अधिक था। उनके अपने बच्चों का खर्च और साथ में दीना और शिबु का रहन-सहन और पढ़ाई का खर्च करनी पड़ती थी।


स्वर्ण_पदक 

सन 1937 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा दी। इस परीक्षा में भी दीनदयाल जी ने सर्वाधिक अंक प्राप्त कर एक कीर्तिमान स्थापित किया। बिड़ला कॉलेज में इससे पूर्व किसी भी छात्र के इतने अंक नहीं आए थे। जब इस बात की सूचना घनश्याम दास बिड़ला तक पहुँची तो वे बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने दीनदयाल जी को एक स्वर्ण पदक प्रदान किया। उन्होंने दीनदयाल जी को अपनी संस्था में एक नौकरी देने की बात कही। दीनदयाल जी ने विनम्रता के साथ धन्यवाद देते हुए आगे पढ़ने की इच्छा व्यक्त की। बिड़ला जी इस उत्तर से बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा, 'आगे पढ़ना चाहते हो, बड़ी अच्छी बात है। हमारे यहाँ तुम्हारे लिए एक नौकरी हमेशा ख़ाली रहेगी। जब चाहो आ सकते हो।' धन्यवाद देकर दीनदयाल जी चले गए। बिड़ला जी ने उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की।


सर्वोच्च_अध्यक्ष 

पंडित दीनदयाल जी की संगठनात्मक कुशलता बेजोड़ थी। आख़िर में जनसंघ के इतिहास में चिरस्मरणीय दिन आ गया जब पार्टी के इस अत्यधिक सरल तथा विनीत नेता को सन् 1968 में पार्टी के सर्वोच्च अध्यक्ष पद पर बिठाया गया। दीनदयाल जी इस महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारी को संभालने के पश्चात् जनसंघ का संदेश लेकर दक्षिण भारत गए। देश सेवा पंडित जी घर गृहस्थी की तुलना में देश की सेवा को अधिक श्रेष्ठ मानते थे। दीनदयाल देश सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उन्होंने कहा था कि 'हमारी राष्ट्रीयता का आधार भारतमाता है, केवल भारत ही नहीं। माता शब्द हटा दीजिए तो भारत केवल ज़मीन का टुकड़ा मात्र बनकर रह जाएगा। पंडित जी ने अपने जीवन के एक-एक क्षण को पूरी रचनात्मकता और विश्लेषणात्मक गहराई से जिया है। पत्रकारिता जीवन के दौरान उनके लिखे शब्द आज भी उपयोगी हैं। प्रारम्भ में समसामयिक विषयों पर वह 'पॉलिटिकल डायरी‘ नामक स्तम्भ लिखा करते थे। पंडित जी ने राजनीतिक लेखन को भी दीर्घकालिक विषयों से जोडकर रचना कार्य को सदा के लिए उपयोगी बनाया है।

मृत्यु

विलक्षण बुद्धि, सरल व्यक्तित्व एवं नेतृत्व के अनगिनत गुणों के स्वामी, पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की हत्या सिर्फ़ 52 वर्ष की आयु में 11 फ़रवरी 1968 को मुग़लसराय के पास रेलगाड़ी में यात्रा करते समय हुई थी। उनका पार्थिव शरीर मुग़लसराय स्टेशन के वार्ड में पड़ा पाया गया। भारतीय राजनीतिक क्षितिज के इस प्रकाशमान सूर्य ने भारतवर्ष में सभ्यतामूलक राजनीतिक विचारधारा का प्रचार एवं प्रोत्साहन करते हुए अपने प्राण राष्ट्र को समर्पित कर दिया।

🙏🙏
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सोमवार, 24 सितंबर 2018

फतेहपुर - अवैध शराब के साथ युवक गिरफ्तार


अवैध शराब के साथ युवक गिरफ्तार 

फतेहपुर - जनपद में पुलिस अधीक्षक राहुल राज के नेतृत्व में नशा विरोधी अभियान के तहत असोथर थानाक्षेत्र के बर्रा बगहा मजरे सरकंडी गांव से सोमवार को रजोली प्रजापति उम्र 50 वर्ष पुत्र छेद्दु प्रजापति निवासी ग्राम कौंडर थानाक्षेत्र असोथर को अवैध शराब के 30 पौवा सहित एस.आई. लालचन्द्र कुशवाहा व हमराही सिपाही सौरभ ने गिरफ्तार कर न्यायालय भेज दिया हैं ।
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पुलिस क्षेत्राधिकारी ने किया कस्बें में पैदल गश्त व थाने का निरीक्षण



पुलिस क्षेत्राधिकारी ने किया कस्बें में पैदल गश्त व थाने का निरीक्षण
   

फतेहपुर -  सीओ थरियांव रामप्रकाश ने असोथर थाने का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। 

इस दौरान उन्होंने थाने में लंबित मामलों के शीघ्र निस्तारण के निर्देश दिए। 
इस दौरान उन्होंने मुहर्रम त्योहार को सकुशल क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाएं रखने व असोथर थाना परिसर में साफ - सफाई स्वच्छता बनाए रखने पर थानाध्यक्ष असोथर व उनकी टीम को बधाई दी ।
उन्होंने अभिलेखों, मालखाने, हवालात का निरीक्षण किया। 
व आने वाले आगामी त्योहार दुर्गा पूजा व विजयादशमी को लेकर थानाध्यक्ष व उपनिरीक्षको आवश्यक दिशा निर्देश दिए ।
इसके बाद सीओ थरियांव रामप्रकाश व असोथर थानाध्यक्ष कमलेश कुमार पाल व पुलिस टीम ने कस्बे में पैदल गश्त कर लोंगो को सुरक्षा का एहसास दिलाया ।
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शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

कुंडा बना छावनी, राजा भैया के पिता को किया गया नज़र बंद

प्रतापगढ़: कुंडा बना छावनी, राजा भैया के पिता को किया गया नज़र बंद

high alert in kunda Raja Bhaiya father house arrested
  • उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में राजा भैया के पिता करवा रहे भंडारे का आयोजन.
  • जिला प्रशासन से अनुमति न मिलने पर भी आज विशाल भंडारा.
  • जिसके चलते प्रशासन ने किया कुंडा को छावनी में तब्दील.
  • राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह को किया गया नजरबंद.
  • पूरा कुंडा छावनी में तब्दील.
  • जिले में धारा 144 लागू.
  • एक तरफ प्रशासन एक तरफ बंदर की पुण्य तिथि पर विशालकाय भंडारा का मामला.
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