गुरुवार, 3 मई 2018

सोशल मीडिया में ऐतिहासिक धरोहर लालकिले को बेचे जाने का असली सच


सोशल मीडिया में ऐतिहासिक धरोहर लालकिले को बेचे जाने का असली सच

EDITOR In chief ✍ गौरव सिंह 


पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर लाल किले को बेच दिए जाने की खबरें आग की तरह फैल रही हैं। 

इसमें लालकिले को देश के सबसे बड़े व्यवसायिक घराने डालमिया भारत को 5 साल के लीज यानी गोद दिए जाने बात कही जा रही।

ये बात तो पूरी तरह सच है कि डालमिया भारत ने देश की शान लाल किले को अगले पांच साल के लिए एक समझौता किया हैं। 

लेकिन इसको बेचने और कई तरह की अफवाहों का बाजार भी गर्म हो गया है। 

ऐसे में आखिर पूरी सच्चाई क्या है जानते हैं:

डालमिया भारत ग्रुप ने भारत सरकार, पर्यटन विभाग और पुरात्तव विभाग के साथ मिलकर एक MoU साइन किया है जिसके तहत 5 साल के लिए डालमिया ग्रुप इसकी देखरेख और निगरानी करेगा। 

ये सब सरकार की योजना अडॉप्ट ए हेरिटेज- अपनी धरोहर अपनी पहचान के तहत किया गया है।

कई जगहों पर खबर है कि इस  MoU को 25 करोड़ के अनुबंध पर साइन किया गया है जोकि एक गलत खबर है। 

आखिर क्या होता हैं Mou 

Memorandum of Understanding (MOU)
कहलाता है। 
समझौता ज्ञापन में एक साझा कार्यक्रम की रूपरेखा के साथ साथ-साथ काम करने के निश्चय की बात लिखी गयी होती है। 
यह एक विधिक पत्र है। 
इसका महत्व उस स्थिति में होता है जब कोई पक्ष किये गये वचनों के अनुसार कार्य नहीं कर रहा हो तो दूसरा पक्ष न्यायालय में जा सकता है।

वहीं ये पूरी तरह से डालमिया ग्रुप के हाथों में नहीं है। 
बल्कि पहले की ही तरह यहां टिकट की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग की देगा। 

साथ ही कपंनी लाल किले को हाथ भी नहीं लगा सकती लेकिन किले के आसपास पानी, साफ सफाई, 
वाई-फाई और रोशनी, क्लॉक रुम आदि की व्यवस्था करेगा। 
ये सभी काम कपंनी अपनी सीएसआर एक्टविटी के तहत करेगा। 

क्या हैं आखिर CSR 

डालमिया ग्रुप ने सरकार को 25 करोड़ दिए और लाल किले का ठेका 5 साल के लिए मिल गया. ऐसा नहीं है. एक चीज होती है CSR. 

थोड़ा खोलकर लिखूं तो कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी. 

माने कंपनी करेगी समाज सेवा. भारत सरकार ने एक नियम बनाया. कहा बड़ी-बड़ी कंपनियां जो भारत में चलती हैं वो अपने मुनाफे का एक हिस्सा समाज और समाज के लोगों की भलाई के लिए खर्च करेंगी.

CSR में कितना खर्च करती है कंपनी


डालमिया भारत फाउंडेशन के नाम से CSR का काम करता है

मान लीजिए एक कंपनी ने पहले साल 1 हजार का मुनाफा कमाया. 
दूसरे साल 2 हजार. और तीसरे साल 3 हजार. 
तो तीन साल में कुल मुनाफा हो गया 6 हजार. अब इसका औसत यानी एवरेज कीजिए. 
तो कंपनी को हर साल 2 हजार रुपये का मुनाफा हुआ. 
सरकार की नीति कहती है 
इस मुनाफे का 2 फीसद हिस्सा कंपनी समाजसेवा में लगाएगी. 
2 हजार का 2 फीसद यानी 40 रुपये सालाना. यानी तीन साल का 120 रुपये. बड़ी कंपनी को समाज सेवा के काम में खर्च करना ही होता है. इसमें न सरकार कंपनी से पैसा लेती है न कंपनी सरकार  को पैसा देती है. पैसों का कोई लेनदेन नहीं होता. लेकिन कंपनी सरकार को बताती है कि हमने इतना कमाया और लगभग इतना हम CSR के तहत समाजसेवा में खर्च करेंगे. 

तो लालकिले 25 करोड़ वाली बात यही CSR है. 
यानी डालमिया ग्रुप लालकिले के रखरखाव में करीब 25 करोड़ खर्च करने वाला है.

इसमें कंपनी हर साल 5 करोड़ रुपए लाल किले में पानी, बिजली, वाई-फाई आदि जैसी सुविधाएं देने के लिए करेगा। ये एक तरह से कंपनी की समाज को सेवा देने जैसा है। 
इस हिसाब से समाज सेवा के रुप में कंपनी ये काम कर रही है। इसके लिए कंपनी को सरकार की अनुमति लेनी होगी।

भारत में 3 हजार 686 ऐतिहासिक धरोहरें हैं. 
यानी हेरिटेज साइट्स. 
36 तो दुनिया भर की ऐतिहासिक इमारतों में गिनी जाती हैं. 
116 तो ऐसी हैं जिनमें अगर आपको जाना है तो पहले आपको टिकट लेना पड़ता है. 
टिकट के पैसे ASI को देने होते हैं. 

ASI माने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया


संस्कृति मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय और ASI ने मिलकर एक प्लान बनाया. अफसर लोग बैठे. लंबा चौड़ा चिट्ठा तैयार किया गया. उसका नाम दिया गया. अडॉप्ट ए हेरिटेज, अपनी धरोहर अपनी पहचान. अडॉप्ट मतलब गोद ले लो. मोदी जी ने पीएम बनने के बाद जैसे हर सांसद को बोला था ना एक गांव गोद ले लो और उसका कायापलट कर दो. उसी तरह का अडॉप्ट के हेरिटेज. भैया करेगा कौन. तो सरकार ने कहा कि बड़ी-बड़ी कंपनियां जो हैं वो आएं. हमने साइट्स का नाम बता दिया है. आप आओ देश और समाज के हित में इनको सजाओ-संवारो. रखरखाव करो

सरकार ने इस पूरे मामले पर एक बेवसाइट ही बना दी हैं 

http://www.adoptaheritage.in/

इस वेबसाइट में साफ-साफ बता दिया गया है कि कोई व्यवसायिक कंपनी अगर किसी हेरिटेज साइट को गोद लेती है तो क्या करेगी.  

जिनमें यह तीन चीजें मुख्य हैं

1- साफ- सफाई

2- जन सुविधाएं

3- वहां लोग आसानी से आ-जा सकें इसका इंतजाम

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