मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

श्रीमद् भागवत सप्ताह का हुआ समापन


फतेहपुर - असोथर कस्बे के मजरे विधातीपुर,  में चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह का सोमवार को समापन हो गया। 
पीलीकोठी चित्रकूट से आयी कथावाचक  साध्वी मधुबाला ने कथा के महत्व और श्रवण पर प्रकाश डाला। 
उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति से ही जीवन का कल्याण होता है। 
इसलिए आडंबर के बगैर भगवान की भक्ति करनी चाहिए।  श्रीमदभागवत कथा का पारायण मनुष्य की वह अद्वितीय शक्ति है,जो उसके अंत:करण को शुद्ध कर जीवन बदल देती है। 
इसके मूल सारांश का अध्ययन व श्रवन कर अपने जीवन में उतारें। साध्वी मधुबाला ने कहा कथा श्रवण जन्म-जन्मांतर के पुण्य का फल है और बताया कि बड़े भाग्य से मनुष्य का तन मिलता है तथा बड़े सौभाग्य से मनुष्य को कथा सुनने का मौका मिलता है। 
श्रीमद् भागवत मनुष्य को मोक्ष की तरफ ले जाती है। 
भागवत कथा सुनने से मनुष्य के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। भागवत कल्पवृक्ष है। 
श्रीमद् भागवत अत्यंत गोपनीय रहस्यात्मक पुराण है। 
यह भगवत्स्वरूप का अनुभव कराने वाला और समस्त वेदों का सार है। 
आज अंतिम दिन श्रीमद् भागवत कथा की रसधार पुरे गांव में बहने लगी। 
श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं में कृष्ण और सुदामा की लीला अमर-प्रेम मित्रता पर बिशेष चर्चा हुई। 
प्रसंगानुसार जीवंत झांकी निकाली गयी। 
श्रद्धालुओं ने गीत-नृत्य का घंटों आनंद उठाया। 
इस बीच कथावाचक साध्वी मधुबाला ने भगवान की रोचक प्रसंग पर विस्तार से प्रकाश डाला। 
कहा कि भगवान की लीला जीवनोपयोगी है, 
इसे आत्मसात कर हम अपना यही लोक और परलोक दोनों सुधार सकते हैं। 
भगवान कृष्ण की लीला के प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान को जो भाव से थोड़ा देता है उसे भगवान संपूर्ण सुख प्रदान कर देते हैं। 
मन-मोहक झाँकियों के माध्यम से प्रभु की सरस ललित ब्रज लीलाओं का प्रस्तुतीकरण किया गया। 
जिसे देखककर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये। 
जहां भगवान के नाम नियमित रूप से लिया जाता है। 
वहां सुख, समृद्धि व शांति बनी रहती है। 
जीवन को कर्मशील बनाना है तो श्रीमदभागवत कथा का श्रवण करें। 
यह जीवन जीने की कला सीखाती है।
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