बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

शिवरात्रि विशेष - आज भी पूजे मिलते हैं शिवलिंग  


गौरव सिंह गौतम (मुख्य संपादक आत्मगौरव न्यूज़.कॉम)

फतेहपुर जनपद में एक ऐसा शिव मंदिर है जहां बंद कपाट में शिव के गण या कोई अदृश्य शक्ति उनकी पूजा करके चली जाती हैं। 
वहां पर फूल बेलपत्र तथा चावल मिलता है। 
अपने आप में यह अद्भुत अविश्वसनीय और अकल्पनीय है। यह शिव मंदिर जनपद मुख्यालय से 35 किलो मीटर दूर असोथर कस्बे के बीचों बीच स्थित है । इसकी की महिमा अनोखी है सावन माह में सोमवार को यहां मेले जैसा दृश्य हो जाता है यह मंदिर शक्ति पीठ मोटे महादेवन  के नाम से प्रसिद्ध है ।

हजारों साल पुराना है शिव मंदिर

असोथर कस्बें के बीचों बीच पर स्थिति यह शिव मंदिर हजारो साल पुराना है। 
इसकी वास्तविक तिथि किसी को नहीं मालूम की कब मंदिर का निर्माण किया गया है। 
लेकिन इतना जरुर लोग बताते है कि यह मंदिर द्वापर युग का है। 
इस शिवलिंग की कहानी भी महाभारत के पात्र अश्वस्थामा के जीवन के क्षणों से जुड़ी हुई है।

अदृश्य शक्ति करती है शिवलिंग की पहले पूजा, 
कपाट खोलने पर मिलता है फूल बेलपत्र

मंदिर में एक शिवलिंग है इसके संबंध में स्थानीय लोगो का कहना है कि रात को जब मंदिर बंद किया जाता है उस समय मंदिर की सफाई की जाती है और शिवलिंग पर कोई भी वस्तु नहीं छोड़ी जाती। 
लेकिन, जब मंदिर के कपाट खोले जाते है तो शिवलिग पर फूल , बेलपत्र , चावल या अन्य पूजन सामग्री चढ़ाई हुई मिलती है। 
कस्बे में एक लोकोक्ति हैं कि आज भी मोटे महादेवन मंदिर में महाभारत काल के पांडवों व कौरवों गुरु द्रोण के पुत्र अश्वस्थामा आज भी सफेद घोड़े पर सवार हो शिव की पूजा अर्चना करने आते हैं , बुजर्गों के अनुसार पूर्व में असोथर कस्बा अश्वस्थामा मंदिर के पास बसा हुआ था , पूर्व में मोटे महादेवन मंदिर वीरान जंगल इलाके में था , जो कि आज कस्बें के बीचो बीच हैं।
इसके अलावा एक मान्यता  हैं कि मोटे महादेवन मंदिर में शिवलिंग (ईशान कोण) की ओर झुकी हैं।
पूर्व और उत्तर दिशाएं जहां पर मिलती हैं उस स्थान को ईशान कोण की संज्ञा दी गई है। 
यह दो दिशाओं का सर्वोतम मिलन स्थान है। 
यह स्थान भगवान शिव और जल का स्थान भी माना गया है। 
ईशान को सदैव स्वच्छ और शुद्ध रखना चाहिए। 
पूजा स्थान के लिए ईशान कोण को विशेष महत्व दिया जाता है।
यह शिवलिंग काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर झुकी हुई हैं , 
कहते हैं जो कोई भी यहा सच्चे मन से अराधना करता है तो उसकी मनोकामना 21 दिन में पूरी होती है, यहां पर वैसे रोज कई शिव भक्त आते है पर कुछ लोग इसमे खास होते है क्योंकि वो यहां ही नहीं गैर जनपदों के होते हैं नहीं और पूजन करके अपनी मनोकामना पूरी होने की मुराद मांगते हैं ।

अति प्राचीन है इस मंदिर का इतिहास

जानकार बताते है महाभारत युद्ध के बाद अजर अमर अश्वस्थामा पांडवो पुत्रों की हत्या का पश्चाताप करने लिए यहां पर पूर्व से अब तक अनवरत पूजा अर्चना करते आ रहे हैं ।

हालांकि बाद में इस मंदिर का जीर्णोद्धार राजस्थान राज्य जयपुर के राजा भगवान दास के पुत्र राजा मान सिंह ने मंदिर महात्म सुनने  व उनकी मनोकामना पूर्ण होने पर इस मंदिर का जीर्णोद्धार लगभग 250 वर्ष पहले करवाया था ।
वर्तमान में इस मंदिर का जीर्णोद्धार जिले के नामी ट्रांसपोर्टर शिवप्रकाश शुक्ला जी द्वारा करवाया गया हैं ।

औरंगजेब भी नहीं तोड़ सका शिवलिंग को 

मुगल शासक औरंगजेब के शासन के समय 1873 ईशवी० में देश मे अधिकतर शिवलिंग को क्षत विक्षत कर दिया गया था , परंतु कहते हैं जैसे ही औरंगजेब के सैनिकों ने इस मंदिर के प्रांगण में घुसने की कोशिश की उन पर आश्चर्यजनक रूप से एक साथ बहुत अधिक मधुमखियों ने हमला कर दिया , जिससे वह मंदिर तोड़ना तो दूर की बात रही , वह अपनी ही जान बचाकर वहां से भाग निकले ।



[शक्ति पीठ मोटे महादेवन मंदिर में पूजा अर्चना करते श्रद्धालु]


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