रविवार, 22 जुलाई 2018

लघुकथा - #जाकी_रही_भावना_जैसी

आज की कहानी #जाकी_रही_भावना_जैसी 


वकील साहब गाँव के रहने वाले थे ।
पुस्तैनी जायदाद भी काफी थी ।
चार भाइयों का परिवार था ।
 दो भाई वकील बने तो कस्बे में रहते और शेष दो खेती का काम कराते थे । 
इस समय दो भाइयों की पत्नियाँ गर्भवती थीं और दोनों कस्बे में थीं । 
छोटी के समय आने पर प्रसव हुआ तो मृत शिशु को जन्म दिया और संक्रमण ऐसा हुआ कि उसके गर्भाशय को निकालने की दशा में ही नमिता का जीवन बचना संभव था , 
बड़े भाई ने बहू के जीवन को महत्वपूर्ण समझा और अनुमति प्रदान कर दी ।
             कुछ ही महीनों बाद उनकी पत्नी ने जुड़वां बेटों को जन्म दिया। 
वकील साहब ने अपनी पत्नी की अनुमति से एक बेटा नमिता की गोद में डाल दिया और भाई से कहा कि यह तुम्हारा बेटा है और इसको पालो ।
           ये घटना परिवार में चारों ओर फैल गई । 
किसी ने सराहा कि कौन माँ बाप अपना बच्चा देने की हिम्मत करता है । 
एक सज्जन कुछ कुटिल सोच के थे बोले - "लोग समझ ही नहीं पाये , वकील ने अपनी बुद्धि लगाई और बेटा दे दिया कि जायदाद का हिस्सा अपने पास ही रहेगा । 
कुल जायदाद का आधा हिस्सा मिलेगा तो उन्हीं के बेटों को । अगर कहीं भाई ने कोई दूसरा बच्चा गोद ले लिया तो एक हिस्सा हाथ से निकल जायेगा ।"
     
वहाँ बैठे लोगों ने सोचा -' जाकी रही भावना जैसी।'

Previous Post
Next Post

0 टिप्पणियाँ:

Thanks for Visiting our News website..