मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

अपराधियों का मुहाफिज अड्डा बना फ़तेहपुर, नाकामी का चादर ओढ़ कर सो रही कोतवाली पुलिस


✍ विवेक मिश्र (वरिष्ठ पत्रकार)

फतेहपुर - जनपद में ताबड़तोड़ हो रही चोरियों, लूट, छिनैती, टप्पेबाजी व हत्या से जनपदवासी भयभीत हैं, वहीं बीते कुछ समय से अकेले शहर क्षेत्र में इकट्ठे अपराध में भारी बढोत्तरी हुई है, अपराधी बेख़ौफ़ घूम रहे हैं कब किसके साथ कौन सी घटना हो जाए कुछ मालूम नहीं, उधर कोतवाली पुलिस अपराध नियंत्रण में पूरी तरह से फेल नजर आ रही है, चोरों बदमाशों से हारी कोतवाली पुलिस अपराध नियंत्रण के बजाय सिर्फ अपराध को सूक्ष्म करने या दबाने में ही लगी रहती है जिससे अपराधियों के हौसले और भी बुलन्द होते हैं और वह पहले से भी बड़ी घटना करने में जरा भी नहीं हिचकिचाते। मगर अब भी कोतवाली पुलिस अपनी नाकामी का चादर ओढ़कर कुम्भकर्णी नींद में सो रही है।


जगह जगह चोरी, पुलिस की गश्ती पर भी प्रश्नचिन्ह


बीते कुछ समय के अंदर शहर के कई स्थानों पर चोरी होने से पुलिस गश्ती की पोल खुलकर सामने गयी है, लोगों का कहना है चोर घूम घूम कर शहर में चोरी कर रहे हैं तो आखिर पुलिस गश्त कहाँ करती है, कुछ समय पूर्व नउआ बाग़ के समीप रेनाल्ट शोरूम में चोरों ने 35 लाख की चोरी को अंजाम देकर पुलिस की रात्रिगश्ती की पोल खोलकर रख दी थी, बकेवर की ही तर्ज में चोरी का फुटेज होने के बावजूद पुलिस चोरी का खुलासा करने में नाकाम साबित हो रही है, वहीं चोरी का ये सिलसिला चला तो रुका ही नहीं फिर चोरों ने शहर क्षेत्र के अहमदमद गंज में एक बन्द माकान को अपना निशाना बनाया और चोरी का माल बटोरकर चम्पत हो गए, इसके बाद ताम्बेश्वरनगर के समीप वी डी यो के घर चोरी, राधानगर क्षेत्र के एक माकान व एक दुकान में सेंध लगाकर चोरी व कई टप्पेबाजी की घटनाओं से शहरवासी त्रस्त हैं मगर स्थानीय पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है, खुलासे के नाम पर कोतवाली पुलिस के हाथ खाली हैं। 


पहले चोरी फिर छिनैती व लूट की चुनौती


कोतवाली क्षेत्र में पहले से ही लोग चोरियों से त्रस्त थे इकठ्ठे लूट, छिनैती और टप्पेबाजी से शहर वासियों को और भी डर डर कर जीने को मजबूर होना पड़ रहा है, बकंधा मोड़ में बाइक सवार बदमाशों द्वारा देशी शराब के ठेके को लूटना, पुरानी तहसील के समीप भीड़ भाड़ वाले इलाके से महिला से चेन और टप्स छीनकर भाग जाना और दिनदहाड़े नहर कालोनी के समीप जे ई की डिग्गी से लाखों रूपये निकालकर फुर्र हो जाना, बदमाशों के बेख़ौफ़  होने व कोतवाली पुलिस की नाकामी को दर्शाता है। वहीं पुलिस अपना सारा ध्यान अपराध नियंत्रण के बजाय उसको दबाने में ही लगाती है जिससे शहर वासियों में भारी आक्रोश है।
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