सोमवार, 12 फ़रवरी 2018

शिवरात्रि विशेष - ऐसा शिव मंदिर जहां पर होती हैं हर इच्छा पूरी



✍गौरव सिंह गौतम (संपादक)

फतेहपुर - जनपद फतेहपुर मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर गाजीपुर व असोथर के मध्य में स्थित अति प्राचीन जागेश्वर धाम मंदिर हैं , जो क्षेत्र सहित जनपद फतेहपुर में अलौकिक छटा बिखेर रहा हैं , लोगों की ऐसी मान्यता हैं कि यहाँ पर सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना पूर्ण होती हैं ।
लोगों का मानना हैं व बुजुर्ग जानकर लोगो का कहना हैं कि स्वयंभू शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा महाभारत काल में अज्ञातवास के समय पांडवों ने की थी। 
बाद में असोथर स्टेट के महराज भगवंत राय खींची जी ने जागृत शिवलिंग की पूजा-अर्चना के साथ मेला की शुरुआत कराई।
असोथर-गाजीपुर के मध्य स्थित जागेश्वर धाम से भक्तों की अटूट आस्था है।
महाभारत काल में यह क्षेत्र राज विराट के अधीन था।
यही कुंती पुत्र पांडवों ने अज्ञातवास के समय रहकर जंगल में प्रकट शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कर तप किया था।
बाद में अश्वस्थामा जी इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते रहे। 
एक लोकोक्ति हैं कि एक बार खींची वंश के राजा भगवंत राय ने शिवलिंग की गहराई जानने के लिए खुदाई करवाई तथा उसे सीधा करने के लिए हाथी के पैर में रस्सी बांधकर खिंचवाया गया तो हाथी की मृत्यु हो गई। 
कालांतर में भागलपुर बिहार निवासी प्रवक्ता द्वारा भव्य मंदिर का निर्माण संवत 1950 में करवाया गया। 
इस धाम में महाशिवरात्रि से होली तक 15 दिन का मेला लगता है।
सावन मास में तो यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। पुजारी त्रिभुवन नाथ गोस्वामी का कहना है कि इस दिव्य धाम में बिहार, मध्य प्रदेश सहित कई जनपद से भक्त दर्शन करने आते हैं।

विश्व के शीर्ष विश्विद्यालयों में एक एमिटी यूनिवर्सिटी के निदेशक डॉ० अजय राणा जी इस शिव मंदिर के अनन्य भक्त हैं अभी पिछले वर्ष 28 जुलाई 2017 को उन्होंने ने सपरिवार इस मंदिर में दर्शन व रूद्राभिषेक किया , और मंदिर परिसर के पास ही एक विश्वविद्यालय खोलने के लिए जमीन भी देखी हैं ।

(जागेश्वर धाम में सपरिवार रुद्राभिषेक करते एमिटी यूनिवर्सिटी के निदेशक डॉ० अजय राणा )

श्रावण मास  के पहले सोमवार व शिवरात्रि को  मंदिर में भक्तों का तांता लगता हैं ,
गाजीपुर व असोथर के मध्य में स्थित जागेश्वर धाम भक्तों की अपार श्रद्धा का केंद्र है ।
मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले हर भक्त की मनोकामना भगवान् भोले नाथ पूरी करते हैं ।

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