किसान को प्रमाण पत्र मिलने के बाद गांव वाले उड़ा रहे मजाक !
तहसील व बैंक वाले नही दे सके उचित जवाब !
इटावा /भरथना - फसल ऋण माफी योजना में मात्र 3 रूपय का कर्जमाफी प्रमाण पत्र मिलते ही कर्जदार किसान क्षेत्र गांव में हंसी का पात्र बन गया ।
जबकि जबकि किसान पर भारतीय स्टेट बैंक का एक लाख रुपए का कर्ज था ।
शासन की मंशा अनुसार प्रशासन द्वारा बीते गुरुवार को फसल ऋण मोचन योजना के तहत योजना के तहत एक लाख रुपए तक किसानो के कर्ज माफ संबंधी मुख्यालय पर प्रमाण पत्र वितरण कर ,
हजारों किसानों को सरकारी कर्ज से मुक्ति दिलाती हो लेकिन तहसील क्षेत्र के ग्राम नगला अति भोली का गरीब किसान जिलेदार सिंह उक्त प्रमाण पत्र लेकर क्षेत्र में हंसी का पात्र बन गया है ,
किसान के युवा पुत्र रमेशचंद्र ने फसल ऋणमोचन योजना में मिले प्रमाणपत्र दिखाते हुए बताया कि उसके पिता जिलेदार सिंह का भरथना की मुख्य शाखा भारतीय स्टेट बैंक मे केसीसी खाता में एक लाख रुपया कर्ज हैं ।
योजना के तहत कर्ज माफी की सूची में नाम दर्ज होने के कारण वह प्रमाण पत्र लेने के लिए तहसील मुख्यालय पहुंचा था परंतु वहां पर जब प्रमाण पत्र मिला तो उसे ज्ञात हुआ ,
कि उसका पिता जी का कर्ज केवल एक लाख रुपए की बजाए तीन रुपए ही माफ हुआ है अब यह सरकारी चूक कहें या प्रशासनिक प्रशासनिक लापरवाही ,
पर ऐसे लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए ।
तहसील व बैंक वाले नही दे सके उचित जवाब !
इटावा /भरथना - फसल ऋण माफी योजना में मात्र 3 रूपय का कर्जमाफी प्रमाण पत्र मिलते ही कर्जदार किसान क्षेत्र गांव में हंसी का पात्र बन गया ।
जबकि जबकि किसान पर भारतीय स्टेट बैंक का एक लाख रुपए का कर्ज था ।
शासन की मंशा अनुसार प्रशासन द्वारा बीते गुरुवार को फसल ऋण मोचन योजना के तहत योजना के तहत एक लाख रुपए तक किसानो के कर्ज माफ संबंधी मुख्यालय पर प्रमाण पत्र वितरण कर ,
हजारों किसानों को सरकारी कर्ज से मुक्ति दिलाती हो लेकिन तहसील क्षेत्र के ग्राम नगला अति भोली का गरीब किसान जिलेदार सिंह उक्त प्रमाण पत्र लेकर क्षेत्र में हंसी का पात्र बन गया है ,
किसान के युवा पुत्र रमेशचंद्र ने फसल ऋणमोचन योजना में मिले प्रमाणपत्र दिखाते हुए बताया कि उसके पिता जिलेदार सिंह का भरथना की मुख्य शाखा भारतीय स्टेट बैंक मे केसीसी खाता में एक लाख रुपया कर्ज हैं ।
योजना के तहत कर्ज माफी की सूची में नाम दर्ज होने के कारण वह प्रमाण पत्र लेने के लिए तहसील मुख्यालय पहुंचा था परंतु वहां पर जब प्रमाण पत्र मिला तो उसे ज्ञात हुआ ,
कि उसका पिता जी का कर्ज केवल एक लाख रुपए की बजाए तीन रुपए ही माफ हुआ है अब यह सरकारी चूक कहें या प्रशासनिक प्रशासनिक लापरवाही ,
पर ऐसे लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई होनी ही चाहिए ।
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