शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

आज विशेष - लघुकथा डॉ० अब्दुल कलाम





आज विशेष - लघुकथा डॉ० अब्दुल कलाम

✍ गौरव सिंह गौतम (प्रधान संपादक)

अबुल पाकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम 
अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम 
( #जन्म 15 अक्टूबर 1931 - #मृत्यु 27 जुलाई 2015) जिन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, 
भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे।वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता (इंजीनियर) के रूप में विख्यात थे।

महान वैज्ञानिक अब्दुल कलाम जी का जीवन परिचय 
  
अब्दुल कलाम संयुक्त परिवार में रहते थे। 
परिवार की सदस्य संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह स्वयं पाँच भाई एवं पाँच बहन थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे। 
इनका कहना था कि वह घर में तीन झूले (जिसमें बच्चों को रखा और सुलाया जाता है) देखने के अभ्यस्त थे। 
इनकी दादी माँ एवं माँ द्वारा ही पूरे परिवार की परवरिश की जाती थी। 
घर के वातावरण में प्रसन्नता और वेदना दोनों का वास था। इनके घर में कितने लोग थे और इनकी माँ बहुत लोगों का खाना बनाती थीं क्योंकि घर में तीन भरे-पूरे परिवारों के साथ-साथ बाहर के लोग भी हमारे साथ खाना खाते थे। 
इनके घर में खुशियाँ भी थीं, तो मुश्किलें भी थी। 
अब्दुल कलाम के जीवन पर इनके पिता का बहुत प्रभाव रहा। वे भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनकी लगन और उनके दिए संस्कार अब्दुल कलाम के बहुत काम आए। 
अब्दुल कलाम के पिता चारों वक़्त की नमाज़ पढ़ते थे और जीवन में एक सच्चे इंसान थे। 

जीवन की एक घटना

अब्दुल कलाम के जीवन की एक घटना है, 
कि यह भाई-बहनों के साथ खाना खा रहे थे। 
इनके यहाँ चावल खूब होता था, 
इसलिए खाने में वही दिया जाता था, रोटियाँ कम मिलती थीं। जब इनकी माँ ने इनको रोटियाँ ज़्यादा दे दीं, 
तो इनके भाई ने एक बड़े सच का खुलासा किया। 
इनके भाई ने अलग ले जाकर इनसे कहा कि माँ के लिए एक-भी रोटी नहीं बची और तुम्हें उन्होंने ज़्यादा रोटियाँ दे दीं। 
वह बहुत कठिन समय था और उनके भाई चाहते थे कि अब्दुल कलाम ज़िम्मेदारी का व्यवहार करें।
तब यह अपने जज़्बातों पर काबू नहीं पा सके और दौड़कर माँ के गले से जा लगे। 
उन दिनों कलाम कक्षा पाँच के विद्यार्थी थे। 
इन्हें परिवार में सबसे अधिक स्नेह प्राप्त हुआ क्योंकि यह परिवार में सबसे छोटे थे। 
तब घरों में विद्युत नहीं थी और केरोसिन तेल के दीपक जला करते थे, जिनका समय रात्रि 7 से 9 तक नियत था। 
लेकिन यह अपनी माता के अतिरिक्त स्नेह के कारण पढ़ाई करने हेतु रात के 11 बजे तक दीपक का उपयोग करते थे। अब्दुल कलाम के जीवन में इनकी माता का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। इनकी माता ने 92 वर्ष की उम्र पाई। 
वह प्रेम, दया और स्नेह की प्रतिमूर्ति थीं। उनका स्वभाव बेहद शालीन था। 
इनकी माता पाँचों समय की नमाज़ अदा करती थीं। 
जब इन्हें नमाज़ करते हुए अब्दुल कलाम देखते थे तो इन्हें रूहानी सुकून और प्रेरणा प्राप्त होती थी।

जिस घर अब्दुल कलाम का जन्म हुआ, 
वह आज भी रामेश्वरम में मस्जिद मार्ग पर स्थित है। 
इसके साथ ही इनके भाई की कलाकृतियों की दुकान भी संलग्न है। 
यहाँ पर्यटक इसी कारण खिंचे चले आते हैं, क्योंकि अब्दुल कलाम का आवास स्थित है। 
1964 में 33 वर्ष की उम्र में डॉक्टर अब्दुल कलाम ने जल की भयानक विनाशलीला देखी और जल की शक्ति का वास्तविक अनुमान लगाया। 
चक्रवाती तूफ़ान में पायबन पुल और यात्रियों से भरी एक रेलगाड़ी के साथ-साथ अब्दुल कलाम का पुश्तैनी गाँव धनुषकोड़ी भी बह गया था। 
जब यह मात्र 19 वर्ष के थे, तब द्वितीय विश्व युद्ध की विभीषिका को भी महसूस किया। 
युद्ध का दवानल रामेश्वरम के द्वार तक पहुँचा था। 
इन परिस्थितियों में भोजन सहित सभी आवश्यक वस्तुओं का अभाव हो गया था।

मृत्यु

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, शिलांग में व्याख्यान देते समय गंभीर दिल का दौरा पड़ने के कारण 27 जुलाई 2015 को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इस संसार को अलविदा कह गये।

उन्होंने अपने निधन से पूर्व 9 घंटे पहले टवीट करके कहा था की वे शिलांग आई आई ऍम में लेक्चर देने के लिए जा रहे हैं..

उनका कहना था 


“….मैं यह बहुत गर्वान्वित पूर्वक तो नहीं कह सकता कि मेरा जीवन किसी के लिए आदर्श बन सकता है, लेकिन जिस तरह मेरे नियति ने आकार ग्रहण किया उससे किसी ऐसे गरीब बच्चे को सात्वना अवश्य मिलेगी जो किसी छोटी से जगह पर सुविधाहीन सामाजिक दशाओं में रह रहा हो|
शायद यह ऐसे बच्चों को उनके पिछड़ेपन और निराशा की भावनाओं से विमुक्त होने में अवश्य सहायता करे|”

ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम जी का अंतिम संस्कार
30 जुलाई 2015 को अब्दुल कलाम को पुरे सम्मान के साथ रामेश्वरम के पी करुम्बू ग्राउंड में दफना दिया गया..

नमन🙏🙏🙏
वन्दे_मातरम
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