नवरात्रि में कब करें कलश स्थापना, शुभ मुहूर्त और बीज मंत्र
मां दुर्गा की उपासना का पर्व नवरात्रि जल्द ही शुरू होने जा रहा है।
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि से ही नए साल की शुरुआत भी हो जाती है।
इस बार 18 मार्च से नवरात्रि की शुरुआत होगी जो 25 मार्च को अष्टमी और नवमी तिथि तक रहेगी।
इस बार नवरात्रि 8 दिनों तक ही रहेगा।
18 मार्च से कलश की स्थापना होगी।
इस बार चैत्र नवरात्रि को घट स्थापना का शुभ मुहुर्त 18 मार्च की सुबह 6.31 मिनट से लेकर 7.46 मिनट तक का है।
यदि आप इस दौरान घट स्थापना नहीं कर सकें, तो अभिजित मुहूर्त में भी स्थापना कर सकते हैं।
यदि आप कोई शुभकाम करना चाहते हैं और शुभ मुहूर्त नहीं हो, तो अभिजीत मुहूर्त में वह काम किया जा सकता है।
ऐसे करें घट स्थापना
नवरात्रि पूजा के प्रथम दिवस कलश की स्थापना के लिए पहले जहां घट रखना है उस स्थान अच्छी तरह साफ करके शुद्ध कर लें।
इसके बाद गणेश जी का स्मरण करते हुए लाल रंग का कपड़ा बिछा कर उस पर थोड़ा चावल रखें।
अब एक मिट्टी के पात्र में जौ बोकर, पात्र के उपर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें और इसके मुंह पर रक्षा सूत्र बांध दें।
कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं।
कलश के अंदर साबुत सुपारी, दूर्वा, फूल और सिक्का डालें, फिर उस ऊपर आम या अशोक के पत्ते रख कर ऊपर से नारियल रख दें।
इसके बाद इस पर लाल कपड़ा लपेट कर उसे मौलि से लपेट दें।
अब सभी देवी देवताओं का आवाहन करें और उनसे नौ दिनों के लिए घट में विराजमान रहने की प्रार्थना करें। दीपक जलाकर कलश का पूजन करें, और इसके सम्मुख धूपबत्ती जला कर इस पर फूल माला अर्पित करें।
जवारे की विशेष मान्यता है
नवरात्रि में जौ या जवारे बोने की भी परंपरा होती है। मान्यता है कि यदि जवारे अच्छी तरह से फलते हैं, तो उस घर में देवी ने वास किया है और आने वाले छह महीने उस घर में काफी खुशी और संपन्नता के साथ बीतने वाले हैं।
वहीं, यदि जवारे में कोई एक भी सफेद रंग का निकल आए, तो इसे बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा तभी होता है, जब देवी स्वयं वहां रही हों।
सफेद जवारा निकलने पर शतचंडी यज्ञ का फल मिलता है।
यह हैं बीज मंत्र
नवदुर्गा के इन बीज मंत्रों की प्रतिदिन की देवी के दिनों के अनुसार मंत्र जप करने से मनोरथ सिद्धि होती है।
आइए जानें नौ देवियों के दैनिक पूजा के बीज मंत्र -
1. शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम:।
2. ब्रह्मचारिणी : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
3. चंद्रघंटा : ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
4. कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:।
5. स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
6. कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
7. कालरात्रि : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
8. महागौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
9. सिद्धिदात्री : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
0 टिप्पणियाँ:
Thanks for Visiting our News website..