गुरुवार, 9 नवंबर 2017

सैनिक कीट का प्रकोप, पकी खड़ी धान की फसल को कर रहा रातों रात सफाचट , हाड़तोड़ मेहनत के बाद तैयार, पकी धान की फसल को बचाने के लिए जूझ रहे अन्नदाता

✍आत्म गौरव न्यूज़ संपादक - (गौरव सिंह) #9936846600
उत्तरप्रदेश / फतेहपुर - इन दिनों जनपद फतेहपुर के धान उत्पादन में जिले व इलाहाबाद मंडल में अग्रणी विकासखंड असोथर के किसान इन दिनों धान की पकी खड़ी फसल में सैनिक कीट के प्रकोप से जूझ रहे हैं।

बस कुछ ही दिनों में कटने के लिए तैयार खड़ी फसल में सैनिक कीट के प्रकोप से किसान खासा परेशान हैं
इन दिनों असोथर क्षेत्र के किसानों की फसल पर इस कीट का प्रकोप दिखाई पड़ रहा हैं।
जाड़ा देर से पड़ने पर यह और भी भीषण रूप में कीट यकायक प्रकट हो रहा है, रातो रात में पकी बालियाँ काटकर नीचे गिरा देता है।
इस कीट की हरेपीले रंग की 1.5 इंच लम्बी सूंडी जिनके शरीर पर लम्बाई में 4 कालीभूरी धारियां होती हैं, प्रायः दिन के समय जमीन के साथ ही पौधे के कल्लों के बीच छिपी रहती है,
खेत मे पानी रहने पर पानी की सतह से ऊपर; सांझ का धुंधलका होते ही ऊपर आकर बालियाँ काटनी प्रारम्भ कर देती हैं।
धान की कटाई के पश्चात खेत में पडा रहने या फिर खलिहान में पिटाई से पहले तक भी बालियाँ काटती रहती हैं।
प्रौढ़ शलभ आधे इंच से बड़े जिनकी पंख खोलने पर चौड़ाई 1.5 इंच तक होती है।
अगले पंख पीले भूरे या सिलेटी रंग के जिन पर 2 गाढ़े धब्बे भी होते हैं, पर पिछले पंख गहरे बार्डर वाले सफेद पीले रंग के होते हैं।
अंडे चपटे हरा रंग लिए हुए सफेद होते हैं जो फूटने से पहले काले हो जाते हैं।
प्यूपा खेत मे पड़ी दरारों, पौधों के कल्लों के बीच या फिर नीचे गिरी हुई पत्तियों के बीच मिलते हैं।
यह कीट अंडे की अवस्था मे 5 से 7 दिन, लार्वा में 25 से 28 दिन तथा प्यूपा में 8 से 11 दिन रहकर अपना जीवन पूर्ण करता है।

*वही इस कीट के प्रकोप से बचने के लिए प्रबंधन की बात करे तो ,*
*कम समय में पकने धान इस कीट के प्रकोप से बच जाते हैं।*
*खेत में तथा मेड़ों पर के खरपतवार साफ करते रहने से कीट का प्रकोप कम होता है।*

*इस सैनिक कीट के प्रकोप के चलते बर्बाद हो रही किसानो की फसल बचाने के संबंध में जब मैंने गौरव सिंह ने उपचार/प्रबंधन के लिए कृषि वैज्ञानिकों से वार्तालाप की तो उन्होंने बताया कि इस कीट की रोकथाम के लिए*

*रासायनिक उपचार के रूप में क्लोरपायरीफास 20 ई सी, क्विनलफास 25 ई सी की 1.5ली मात्रा या डाईक्लोरवास 76 ई सी की 0.5 ली मात्रा 600-700 लीटर पानी मे घोलकर प्रति हैक्टर छिड़काव करें। या फेंथोऐट / फालीडाल 25 किलो धूल का भुरकाव सांझ का धुंधलका होने पर जब सूडियाँ ऊपर आ जाती हैं, 4 -5 सूडियाँ प्रति मीटर दिखाई देने पर करना चाहिए।*

हालांकि असोथर में इन दिनों कीटनाशक दवाओं के विक्रताओं की पौ - बारह हैं, वह कम पढ़े लिखे और अशिक्षित किसान भाइयों को अपने लाभ के लिए तमाम तरह की कीटनाशक दवाएं सबसे बेहतरीन बनाकर बेच रहे हैं।
कुछ कीटनाशक विक्रेता तो अपनी दुकानों में रखी वर्षों पुरानी एक्सपायर दवाएं किसानों को बेच कर अपना स्टॉक खाली कर दे रहे हैं।

कुछ ही दिनों में कटने वाली हाड़ - तोड़ मेहनत के बाद तैयार धान की फसल को बचाने के लिए किसान भाई इन दिनों कीटनाशक दवाओं के विक्रेताओं की दुकानों के चक्कर लगाते दिख रहे हैं।
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