क्या गरीबों के लिए इंसाफ के कोई मायने रह ही नहीं गए हैं...क्या गरीबों को इंसाफ इसलिए नहीं मिलेगा क्यों कि वो गरीब हैं...और शायद ये सही भी है...अगर ऐसा ना होता तो रेप पीड़ित नाबालिग का पिता इस तरह रो-रोकर अपनी आप-बीती सुनाने को मजबूर ना होता...
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के ललौली थाने के कोर्राकनक गांव की रहने वाली इस पीड़िता को देखिये...
जिसका अपहरण कर दबंग ने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया जिसके बाद पुलिस मुकदमा ना दर्ज कर थाने से ही भगा दिया , वहीँ पीड़ित पिता का कहना है कि उसकी मासूम बेटी दादी के साथ घर पर सो रही थी...
कि तभी गांव का एक युवक उसे मुंह दाबकर उठा ले गया...
पीड़ित पिता ने बेटी के लापता हे की हर जगह शिकायत की लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई...
फिर किसी तरह आरोपी के चंगुल से भागी मासूम ने परिजनों को उसके साथ हुए ज्यादती की पूरी कहानी सुनाई...
डरी सहमी मासूम कैमरे के सामने बोलने पर घबरा रही है...
वहीं पीड़ित के पिता ने बताया कि उसकी बेटी का अपहरण करके उसके साथ दिन में चार-पांच बार दरिंदगी को अंजाम दिया जाता था...
और जब पीड़ित ने मामले की शिकायत पुलिस से करनी चाही तो पुलिस ने तहरीर को ही बदलवा दिया...
मामला मीडिया में आता देख पुलिस भी अब रटा-रटाया कार्रवाई का जवाब दे रही है...
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर गरीब इंसाफ की आस में जाए तो कहां जाए।
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