बाँदा के विधायक की मांग पर सरकार की मुहर ,सार्वजनिक स्थानों पर अब प्लास्टिक प्रतिबंध होगा मिट्टी से बने कुल्हड़ों , बर्तनो का उपयोग होगा
सार्वजनिक स्थानों पर अब प्लास्टिक कैरीबेग, डिस्पोजल गिलास, कप, प्लेट और अन्य चीजों पूरी तरह प्रतिबंध होगा
पर पूर्ण प्रतिबंध मिट्टी से बने कुल्हड़ों , बर्तनो का उपयोग होगा
तिंदवारी छेत्र के विधायक द्वारा उठाया गया था मुद्दा
उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा विधायक बृजेश कुमार प्रजापति द्वारा सदन में किये गये अनुरोध पर लिया गया बड़ा फैसला
पूर्ण प्रतिबंध प्लास्टिक कैरीबेग, डिस्पोजल गिलास, कप, प्लेट और अन्य चीजों पर अब
पूरी तरह प्रतिबंध होगा
विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने बताया की अगर मिट्टी से बने कुल्हड़ों , बर्तनो का उपयोग होगा
तो मिट्टी के व्यवसाय से जुड़े लोगो को होगा लाभ और रोजगार भी मिलेगा
भाजपा सरकार ने कहा की प्लास्टिक के गिलास और प्लेट का इस्तेमाल नुकसान
दायक हैं लगेगा पूर्ण प्रतिबन्ध… शुरू होगा
मिट्टी से बने कुल्हड़ों का उपयोग..
मिट्टी के व्यवसाय से जुड़े लोगो को होगा लाभ…
प्रदुषण पर होगा नियंत्रण,
पर्यावरण को मिलेगा लाभ..
भाजपा सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद !!
मिट्टी से ही बनता है कुल्हड़।
कुल्हड़(मिट्टी के ग्लास आदि) इसमें चाय या लस्सी पीने का अपना अगल ही मजा है।
फोम के कप से नुकसान :
कई जगह आपने देखा होगा कि दुकानों पर या शादियों में लोग चाय के लिए फोम के कप का इस्तेमाल करते हैं। ये पॉलीस्टीरीन से बने होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक है।
जब आप चाय इसमें डालते हैं तो इसके कुछ तत्व चाय में घुलकर पेट के अंदर चले जाते हैं जिससे आगे चलकर आपको कैंसर भी हो सकता है।
फोम वाले कप में मौजूद स्टाइरीन से आपको थकान, फोकस में कमी, अनियमित हार्मोनल बदलाव के अलावा और भी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इन कप में कभी भी चाय ना पियें।
ग्राहक को चाय, कॉफी, दही डिस्पोजल गिलास मे दी जाती है जबकि मिट्टी के जरिए इन चीजो को बनाना एक कला है, और इसमे मेहनत भी इतनी की पहले कलाकार मिट्टी को भिगोता है फिर मिट्टी को तैयार करके चकरी पर रखकर उसे अपनी कला से तरह तरह की चीजे तैयार करके सुखाने के बाद आग मे पकाकर रंग पेन्ट कर उसकी शोभा को बढ़ाता हैं।
बदले मे महगाई के इस दौर मे मेहनत के बराबर पैसा भी नही मिलता हैं।
लेकिन जब वह सामानो को बाजार मे ले जाता है तो विदेशी तर्ज पर आये सामानो की तुलना मे दुकानदार को महंगा पड़ता हैं और वह लेने से इंकार कर देता है।
बताया जाता है कि भारत का प्रत्येक व्यक्ति इन बातो को मानता हैं कि मिट्टी के बर्तन मे पका हुआ खाना पानी दोंनों बहुत स्वादिष्ट होता हैं।
हमारे देश के कलाकार तो ऐसे हैं कि मिट्टी से तैयार सामान रख दे तो चाहे वह फल हो या कोई भी वस्तु खराब नही हो सकता हैं।
बता दे कि कुम्हारों की खोज खबर तीज त्योहारों या शादी-ब्याह और मेले मे होती है जैसा कि दीपावली मे धर्मानुसार जरूरी हैं कि दीप जलाया जाय। सालभर मे एक बार या दो बार मिट्टी के बर्तनो का उपयोग किया जाता हैं।
अब सवाल यह उठता है कि यदि हम सभी समय रहते अपने देश की संस्कृति नही बचाया गया तो आने वाले समय मे हमारी संस्कृति का स्वरूप बहुत भयावह हो सकता हैं।
अतः इस परिस्थिति मे सरकार को कुम्हार बिरादरी के ऊपर ध्यान देते हुए कुछ रोजगार देना होगा अन्यथा कलाकारो के आगे संकट उत्पन्न हो सकता हैं। इस प्रकार सरकार विदेशी सामानो के निर्यात को बन्द कराए जिससे हमारा शरीर, हमारा पर्यावरण तथा हमारी संस्कृति दोंनो सदियों तक बनी रहे।
सार्वजनिक स्थानों पर अब प्लास्टिक कैरीबेग, डिस्पोजल गिलास, कप, प्लेट और अन्य चीजों पूरी तरह प्रतिबंध होगा
पर पूर्ण प्रतिबंध मिट्टी से बने कुल्हड़ों , बर्तनो का उपयोग होगा
तिंदवारी छेत्र के विधायक द्वारा उठाया गया था मुद्दा
उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा विधायक बृजेश कुमार प्रजापति द्वारा सदन में किये गये अनुरोध पर लिया गया बड़ा फैसला
पूर्ण प्रतिबंध प्लास्टिक कैरीबेग, डिस्पोजल गिलास, कप, प्लेट और अन्य चीजों पर अब
पूरी तरह प्रतिबंध होगा
विधायक बृजेश कुमार प्रजापति ने बताया की अगर मिट्टी से बने कुल्हड़ों , बर्तनो का उपयोग होगा
तो मिट्टी के व्यवसाय से जुड़े लोगो को होगा लाभ और रोजगार भी मिलेगा
भाजपा सरकार ने कहा की प्लास्टिक के गिलास और प्लेट का इस्तेमाल नुकसान
दायक हैं लगेगा पूर्ण प्रतिबन्ध… शुरू होगा
मिट्टी से बने कुल्हड़ों का उपयोग..
मिट्टी के व्यवसाय से जुड़े लोगो को होगा लाभ…
प्रदुषण पर होगा नियंत्रण,
पर्यावरण को मिलेगा लाभ..
भाजपा सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद !!
मिट्टी से ही बनता है कुल्हड़।
कुल्हड़(मिट्टी के ग्लास आदि) इसमें चाय या लस्सी पीने का अपना अगल ही मजा है।
फोम के कप से नुकसान :
कई जगह आपने देखा होगा कि दुकानों पर या शादियों में लोग चाय के लिए फोम के कप का इस्तेमाल करते हैं। ये पॉलीस्टीरीन से बने होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक है।
जब आप चाय इसमें डालते हैं तो इसके कुछ तत्व चाय में घुलकर पेट के अंदर चले जाते हैं जिससे आगे चलकर आपको कैंसर भी हो सकता है।
फोम वाले कप में मौजूद स्टाइरीन से आपको थकान, फोकस में कमी, अनियमित हार्मोनल बदलाव के अलावा और भी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इन कप में कभी भी चाय ना पियें।
ग्राहक को चाय, कॉफी, दही डिस्पोजल गिलास मे दी जाती है जबकि मिट्टी के जरिए इन चीजो को बनाना एक कला है, और इसमे मेहनत भी इतनी की पहले कलाकार मिट्टी को भिगोता है फिर मिट्टी को तैयार करके चकरी पर रखकर उसे अपनी कला से तरह तरह की चीजे तैयार करके सुखाने के बाद आग मे पकाकर रंग पेन्ट कर उसकी शोभा को बढ़ाता हैं।
बदले मे महगाई के इस दौर मे मेहनत के बराबर पैसा भी नही मिलता हैं।
लेकिन जब वह सामानो को बाजार मे ले जाता है तो विदेशी तर्ज पर आये सामानो की तुलना मे दुकानदार को महंगा पड़ता हैं और वह लेने से इंकार कर देता है।
बताया जाता है कि भारत का प्रत्येक व्यक्ति इन बातो को मानता हैं कि मिट्टी के बर्तन मे पका हुआ खाना पानी दोंनों बहुत स्वादिष्ट होता हैं।
हमारे देश के कलाकार तो ऐसे हैं कि मिट्टी से तैयार सामान रख दे तो चाहे वह फल हो या कोई भी वस्तु खराब नही हो सकता हैं।
बता दे कि कुम्हारों की खोज खबर तीज त्योहारों या शादी-ब्याह और मेले मे होती है जैसा कि दीपावली मे धर्मानुसार जरूरी हैं कि दीप जलाया जाय। सालभर मे एक बार या दो बार मिट्टी के बर्तनो का उपयोग किया जाता हैं।
अब सवाल यह उठता है कि यदि हम सभी समय रहते अपने देश की संस्कृति नही बचाया गया तो आने वाले समय मे हमारी संस्कृति का स्वरूप बहुत भयावह हो सकता हैं।
अतः इस परिस्थिति मे सरकार को कुम्हार बिरादरी के ऊपर ध्यान देते हुए कुछ रोजगार देना होगा अन्यथा कलाकारो के आगे संकट उत्पन्न हो सकता हैं। इस प्रकार सरकार विदेशी सामानो के निर्यात को बन्द कराए जिससे हमारा शरीर, हमारा पर्यावरण तथा हमारी संस्कृति दोंनो सदियों तक बनी रहे।
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