फतेहपुर - सूखे ताल-तलैया, पानी के लिए भटक रहे बेजुबान
फतेहपुर : इस समय गर्मी चरम पर है। लोग कोरोना महामारी से तो परेशान हैं ही लॉकडाउन में
गरम तेज हवाओं के थपेड़े आदमी तो क्या जानवरों तक को झुलसा रहा है, लेकिन इन बेजुबानों को प्यास बुझाने के लिए न तो तालाबों में पानी है और न ही नहरों, पोखरों में पानी बचा है।
तापमान 42 डिग्री के पार पहुंच जाने से पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है जिससे चहुंओर पानी का संकट खड़ा हो गया है।
सबसे अधिक परेशानी जानवरों को हो रही है जिन्हें पीने तक को पानी नहीं मिल रहा है।
आजकल बिन पानी सब सून वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है।
खासकर गांवों के हालात तो बहुत खराब हैं।
गांव के तालाब, पोखरे, गड्ढे सब सूखे पड़े हैं।
पानी की एक बूंद भी तालाबों या पोखरों में दिखाई नहीं दे रही है। पानी के लिए व्याकुल जानवर पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं।
आलम यह है कि सिचाई विभाग की नहरें भी सूख चुकी हैं।
ऐसे में ग्रामीणों को कुएं-पोखरे की याद सताने लगी है जिन्हें खुद उन्होंने बर्बाद कर डाला है। रही-सही कसर प्रशासन की तालाबों एवं पोखरों के प्रति उदासीनता ने खत्म कर दी।
पानी की कमी से बिलबिलाते पशु-पक्षी अपनी परेशानी बताएं तो किससे।
उनकी मजबूरी भी कोई समझने वाला नहीं है।
असोथर क्षेत्र के ग्रामसभा सरकंडी , बेर्राव , कंधिया , बिलारीमउ , गोपलापुर मनावां आदि दर्जनों गांवों के तालाबों में पानी की एक बूंद भी नहीं बची है।
तालाबों व नहरों से उड़ती धूल, सूखी वनस्पतियां स्वयं ही हालात को बयां कर रही हैं।
चिलचिलाती धूप में जानवर पानी में नहाकर तरोताजा भी नहीं हो पा रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पानी की कमी से जानवरों को भारी परेशानी हो रही है।
हैंडपंपों का जलस्तर गिर रहा है। अधिकतर खराब हैं।
जो सही भी हैं उनमें पानी कम रह गया है।
कुछ समय चलाने के बाद पानी की एक बाल्टी भर पाती है।
ऐसे में जानवरों के शरीर का तापमान कम नहीं किया जा सकता है।
अत्यधिक गर्मी का असर दुधारू मवेशियों पर पड़ रहा है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से इस ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कारगर कदम उठाने की मांग की है।
जरौली पम्प कैनाल बंद होने से जायद फसलें सूखने की कगार पर
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सूखी असोथर की नहर |
असोथर विकास खंड क्षेत्र के जरौली गांव के पास यमुना नदी में पंप कैनाल लगा है।
इसमें सात पंपों से 400 क्यूसेक पानी निकालने वाली क्षमता की मशीनें लगी हुई हैं।
जिससे असोथर क्षेत्र के अलावा, विजयीपुर, धाता विकास खंड क्षेत्र के किसान फसलों की सिंचाई करते हैं।
इसके बावजूद नहर से धूल का गुबार उठ रहा है।
बता दें कि क्षेत्र की सिचाई व्यवस्था जरौली पंप कैनाल पर निर्भर है। परन्तु पूर्व में जरौली पंप कैनाल नहर के रास्तों पर पड़ने वाले पुल , नहर पटरी आदि के निर्माण के लिए पंप कैनाल को बंद किया गया था , पर इस समय कोरोना महामारी के चलते 3 मई तक लॉकडाउन के चलते सभी निर्माण कार्य बंद हैं , किसानों का कहना हैं , कि सिंचाई विभाग चाहें तो कैनाल के एक दो पंप ही फिलहाल शुरू कर दे जिससे किसानों सहित जानवरों पानी मिलने से काफी राहत मिल जाएंगी ।
नहरों के भरोसे जायद की फसल मूंग , उड़द , व सब्जियों की खेती भिंडी , तरोई , खीरा , करेला आदि की खेती करने वाले किसान पानी के लिए व्याकुल हो रहे हैं।
साथ ही प्रतिदिन नहर में पानी आने की बाट जोह रहे हैं।
विधातीपुर गांव निवासी किसान बिंदराज पासवान ने बताया कि नहर में पानी न आने से इस क्षेत्र के किसान मूंग , उड़द की फसल में समय से पानी न लगा पाने के लिए विवश हैं।
यह हम किसानों पर आघात जैसा है।
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