शनिवार, 1 जुलाई 2017

विद्युत आपूर्ति में बाधक बन रहे जर्जर तार व पोल , योगी जी की सरकार में 18 घंटे की जगह 2 से 4 घंटे ही मिल रही विद्युत आपूर्ति

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✍गौरव सिंह (एन.डी.- न्यूज़)

असोथर 33/11 विद्युत उपकेंद्र से नरैनी फीडर से संचालित होने वाली गांवों की विद्युत आपूर्ति कब सुधरेगी।
यहां लगे चार दशक पूर्व जर्जर तार व पोल कब दुर्घटना का कारण बन जाए जनता इससे भयभीत है।
दिन में कई बार होने वाले लोकल फाल्ट उसे तो और भी बेचैन कर दे रहे हैं।

असोथर विद्युत उपकेन्द्र से असोथर के नरैनी फ़ीडर से लगभग आधा सैकड़ा से अधिक गांवों में आपूर्ति दी जाती है। राजीव गांधी विद्युतिकरण योजना के तहत लगे दो दर्जन के करीब गांवों को छोड़ दें तो अन्य गांवों के पोल व तार लगभग चार दशक पुराने है।
11000 वोल्टेज लाइन के कहीं कहीं खंभे झुक गये हैं तो कहीं तार झूल रहे हैं।
कहीं-कहीं के एच.टी. लाइन के तार जीर्ण शीर्ण हालात में पहुंच जो हल्की बूंदाबांदी बारिश होने व हवा चलने पर टूट जाते हैं। फलत: आए दिन गांवों की सप्लाई बाधित होना आम बात हो गई है।
दूर दराज यमुना तटवर्ती कछार सरकंडी क्षेत्र के गांवों में तो एक-एक पखवारे तक फाल्ट ठीक नहीं हो पाता और लोग अंधेरे में रहने को विवश होते हैं।
जहां असोथर उपकेंद्र से नरैनी फ़ीडर आपूर्ति होती भी है दिन भर में एक दर्जन बार आंख मिचौली करती है।
गर्मी के दिनों में बिजली का कटना और भारी दिखने लगता है।
बावजूद जनता के बुनियादी समस्या की तरफ किसी समाजसेवी या नेता का ध्यान नहीं जाता है।
महेन्द्र कुमार, खेलावन , ब्रजमोहन आदि ने बताया कि योगी सरकार बनने के बाद विद्युत आपूर्ति में सुधार होने की संभावनाएं थे पर इस सरकार की लचर कार्यशैली के चलते विद्युत  समस्या और भी गंभीर है बिजली तो बदहाल है ही ऊपर से जनता को (कर) बिजली बिल भी देना पड़ता है।
लोगों की माने तो दुर्भाग्य से फाल्ट हो जाने पर विद्युत उपकेन्द्र के लाइनमैन सौदेबाजी करते हैं।
लाइन मैन की लापरवाही के चलते नरैनी फीडर के गांवों में सप्लाई हफ्तों तक बाधित रहती है।
रमेश का कहना है कि अब तो फाल्ट ठीक करने में भी दलाली होने लगी है।
गांवों के कुछ लोग विद्युत कर्मियों से मिले रहते हैं और फाल्ट ठीक कराने के नाम पर जनता से वसूली करते हैं।
इसी बहाने उनकी भी जेब भर जाती है।
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